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इंटरनेट से आएगा पुतिन को हराने वाला

२० अक्टूबर २०१२

12 साल से रूस की सत्ता पर काबिज ब्लादिमीर पुतिन के खिलाफ लोग लंबे अरसे विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं. लेकिन अब पुतिन के एकाधिकार को चुनौती देने के लिए विरोधी दल इंटरनेट के जरिए लोगों से नेता चुनने की अपील कर रहे हैं.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

अब तक एक लाख 60 हजार लोग इस मुहिम में हिस्सा ले चुके हैं. लोगों से कहा जा रहा है कि वे ऑन लाइन वोटिंग करके नेता चुनने में मदद करें. मकसद पुतिन के खिलाफ चलाए जा रहे आंदोलन को मजबूत करना और इंटरनेट संसद का निर्माण करना है. हालांकि रूस के दूर दराज इलाकों के लोग इसके बारे में कम ही जानते हैं लेकिन मॉस्को और दूसरे शहरों में इसे अच्छा खासा समर्थन मिल रहा है.

चुनाव से बची सत्ता

विपक्षी दलों का आरोप है कि रूस के चुनावों में धांधली हुई है और चुनाव का इस्तेमाल पुतिन की सत्ता को बचाने के लिए किया गया. विरोधियो पर पलटवार करते हुए पुतिन ने उनकी तुलना "बकबक करने वाले बंदर" से की है.

ऑन लाइन वोटिंग की इस प्रक्रिया में 112 लोगों के नाम दिए गए हैं. इनमें छात्र नेता, ब्लॉगर, समाजिक कार्यकर्ता और व्यवसायी शामिल हैं. जाने माने विपक्षी नेता और शतरंज चैंपियन गैरी कास्पारोव और पूर्व उप प्रधानमंत्री बोरिस नेमत्सोव भी इसमें शामिल है. वोटिंग के बाद 45 लोगों की एक कॉर्डिनेशन काउंसिल चुनी जाएगी जो आगे चलकर आभासी संसद की स्थापना करेगी. आयोजकों को उम्मीद है कि इसके बाद विपक्ष पर नेतृत्वहीनता का आरोप लगाना आसान नहीं होगा. यह भले ही प्रदर्शन है लेकिन ऐसे लोगों की भी कमी नहीं जो इसको शक की निगाह से देखते हैं. आलोचकों का कहना है कि विपक्षी पार्टियां लोकप्रियता हासिल करने के लिए ये सब कर रही हैं.

दो बार राष्ट्रपति फिर प्रधानमंत्री और अब फिर से राष्ट्रपति पुतिनतस्वीर: AFP/Getty Images

रूस के लोकप्रिय सर्च इंजन यानदेक्स की स्थापना करने वाले जाने माने व्यवसायी इल्या सेगालोविच भी उन लोगों में से हैं जो खुलेआम पुतिन का विरोध करते रहे हैं. रूस के लोकप्रिय टीवी चैनल दोज्द में ऑन लाइन चुनाव लड़ने वालों के बीच बहसें भी कराई गई हैं. इसी साल अगस्त में मुहिम के समर्थन में एक वीडियो भी लॉन्च किया गया. रूस के जाने माने ब्लॉगर और भ्रष्टाटार विरोधी आंदोलन के अगुवा असेक्सेई नवाल्यिन का कहना है कि इससे विपक्षी पार्टियों को वैधता मिलेगी. वो कहते हैं, "यही वो तरीका है जिससे हम उस आरोप का जवाब देंगे जिसमें कहा जाता है कि पुतिन सरकार विरोधियों से बात करना चाहती है लेकिन नेता ही नहीं है. हालांकि ये आरोप परेशान करने वाला है लेकिन एक हद तक तो ये सच भी है. "

विरोधियों ने पुतिन के खिलाफ फेसबुक में भी मोर्चा खोल दिया है. वोट देने के लिए लोग फेसबुक प्रोफाइल पिक्चर की जगह पासपोर्ट को तस्वीर लगा रहे हैं. वोटिंग का दूसरा तरीका सांकेतिक दान का है. लोग सांकेतिक दान के रूप में रूबल आयोजकों के पास जमा कर रहे हैं. पैसा जमा करने वालों का परिचय अपने आप बैंक के जरिए आयोजकों के पास पहुंच जाता है.

विरोधियों का दमन

14 करोड़ की आबादी वाले रूस में ऐसे लोगों की तादाद कम ही है जो पुतिन समर्थकों के हाथों में खेलते हैं. पुतिन समर्थकों ने विरोधियों को "इंटरनेट का चूहा" कहा है. लेकिन सबसे बड़ा खतरा दमन और पुलिसिया कार्रवाई का है. पुतिन के समर्थकों का आरोप है कि पुतिन की सत्ता का विरोध करने वाले लोग धनी, समृद्ध और देश की बहुसंख्यक जनता से कटे हैं. पुतिन सरकार ने कहा है कि वो विरोधियों की इस मुहिम को नजरंदाज कर देगी लेकिन वोटिंग वेबसाइट पर साइबर हमला, रूस के सरकारी चैनलों में विरोधियों के खिलाफ आए दिन नये खुलासे और आलोचना से ये साबित होता है कि सरकार इससे अनभिज्ञ नहीं है.

देश की मुख्य जांच एजेंसी ने हाल ही में वोट कराने वालों के खिलाफ फर्जीवाड़े का केस भी दायर किया है. आरोप है कि पुतिन ने विरोधियों का दमन करने के लिए नये नियम बनाए हैं. इसके तहत अव्यवस्था फैलाने के लिए आर्थिक दंड और जेल की सजा तक हो सकती है.

मॉस्को में पुतिन के खिलाफ प्रदर्शनतस्वीर: Kirill Kudryavtsev/AFP/GettyImages

इंटरनेट से क्या होगा

मॉस्को में वकालत कर रहे 33 साल के वालेरी शेपेर्योव कहते हैं, "अगर विपक्षी पार्टी के लोग नेता चुनने में कामयाब भी हो गए तो पुतिन की सरकार उसे पकड़कर जेल में डाल देगी." पुतिन के विरोधियों ने ऑन लाइन वोटिंग की शुरुआत स्थानीय निकायों के चुनाव के एक हफ्ते बाद की है. गौर करने वाली बात ये है कि इसमें विपक्षी दलों का प्रदर्शन ठीक नहीं था. पुतिन की सरकार से जुड़े एक सूत्र का कहना है कि ये लोग असली चुनाव में मुकाबला नहीं कर सकते इसीलिए ऑन लाइन चुनाव लड़ रहे हैं.

ऑनलाइन वोटिंग का विचार लियोनिद वाल्कोव का है जो पहले एक प्रोग्रामिंग एक्सपर्ट थे. 2011 में आई उनकी किताब 'क्लाउड डेमोक्रेसी' में उन्होंने बताया है कि कैसे इंटरनेट का इस्तेमाल कर वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था को झटके दिए जा सकते हैं. येकातेरिनबर्ग में वाल्कोव का ऑफिस है. उन्हें एक तरफ तो जनता के सवालों के जवाब देने पड़ते हैं और दूसरी तरफ साइबर हमलों से भी निपटना पड़ता है. उनका कहना है, "रूस में अगर बदलाव आ सकता है तो वह बड़े व्यवसायियों और बड़े राजनेताओं से ही आएगा." ऑन लाइन वोटिंग को उन्होंने "जनता की शुरुआती पेशकश" कहा है. उनका कहना है कि पुतिन का विकल्प तलाशने की कोशिश में देश के धनी लोगों को विरोध प्रदर्शन करने वालों की मदद करनी चाहिए. बकौल वाल्कोव, "अगर हम देश के धनी और अमीर लोगों को ये समझाने में सफल हो सके कि बदलाव की स्थिति पुतिन से बेहतर होगी तो ताकतवरों के बीच मतभेद पैदा किया जा सकता है. और इससे वाकई जल्दी से स्थितियां बदल जाएंगी."

वीडी/ओएसजे (रॉयटर्स)

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