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इंडियन ग्रां प्री ने दिल चुराया

३१ अक्टूबर २०११

भारत में हुई पहली फॉर्मूला वन रेस की अंतरराष्ट्रीय मंच पर तारीफ हो रही है. धुरंधर ड्राइवर कह रहे हैं कि इंडियन ग्रां प्री फॉर्मूला वन सीजन की सबसे शानदार रेस बन सकती है. लोगों की दीवानगी से सभी टीमें हैरान हैं.

तस्वीर: dapd

कॉमनवेल्थ खेलों के दौरान हुई शर्मिंदगी को पहली भारतीय फॉर्मूला वन रेस ने धो कर रख दिया. विदेशी मेहमान और पत्रकार बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट को देखकर हैरान रह गए. उन्हें उम्मीद नहीं थी कि भारत में ऐसा भी हो सकेगा.

मैक्लारेन टीम के बॉस मार्टिन व्हिटमार्स कहते हैं कि दर्शकों की उमंग ने इंडियन जीपी में उत्साह भर दिया. उनके मुताबिक कई जगहों स्थानीय लोगों को रेस के बारे में कुछ भी अता पता नहीं रहता. लेकिन भारत में ऐसा नहीं हुआ, "दिल्ली में इसका अंदाजा मिल रहा था. अंदाजा लग रहा था कि यहां के लोगों में खेल के प्रति दीवानगी है. मुझे लगता है कि उन्होंने इसे गले लगा लिया. भारत में लोगों का उत्साह गजब का था. मुझे लगता है कि यह एक सफल आयोजन होगा."

तस्वीर: AP

दीवानगी से भरे दशर्कों के अलावा बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट के ट्रैक और सुविधाओं ने भी फॉर्मूला वन के दिग्गजों का ध्यान खींचा. दो बार वर्ल्ड चैंपियन रह चुके फर्नांडो ओलोंजो ने कहा, "यह शानदार था. काफी धूल थी और ग्रिप में दिक्कत आ रही थी, नए सर्किट में ऐसा होता ही है. आने वाले सालों में यह ठीक हो जाएगा."

पहली इंडियन जीपी में दूसरे स्थान पर रहे ब्रिटिश ड्राइवर जेसन बटन ने भी माना कि धूल से दिक्कत हुई. लेकिन उन्होंने कहा, "यह सर्किट ड्राइविंग के लिए गजब का है. इसमें मजा आता है. यह चुनौतीपूर्ण है, बहुत बड़ी चुनौती. एक दिक्कत है, वह है धूल लेकिन भारत में इसे लेकर आप क्या कर सकते हैं."

तस्वीर: AP

आयोजकों का कहना है कि 95,000 हजार दर्शकों ने रेस का आनंद उठाया. सर्किट के बाहर भी हजारों लोगों ने देशी तरीकों का इस्तेमाल कर रेस देखी. सर्किट से सटी सड़कों पर ट्रक खड़े हो गए और उनकी छत पर चढ़कर आम लोग फेटल की जीत के गवाह बने. फॉर्मूला वन के प्रमुख बेर्नी एक्लेस्टोन इन सब बातों से बेहद प्रभावित हुए. एक्लेस्टोन ने कहा, "मैं बहुत खुश हूं. मैं उतना ही खुश हूं जितना हर कोई है. हमें कोई शिकायत नहीं है. फॉर्मूला वन भारत में उतना ही लोकप्रिय है जितना फ्रांस में क्रिकेट. लेकिन आने वाले सालों में यह स्थिति तेजी से बदलेगी."

81 साल के एक्लेस्टोन अक्सर रेस शुरू होने के बाद निकल जाते हैं. लेकिन पहली इंडियन जीपी में वह डटे रहे. सर्किट के बाहर लगे ट्रैफिक जाम की वजह से कुछ दिक्कतें हुईं. अधिकारियों को उम्मीद है कि भविष्य ऐसी समस्याएं हल हो जाएगी.

रिपोर्ट: एएफपी, रॉयटर्स/ओ सिंह

संपादन: ए कुमार

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