इस सुपर लीग का अगर पूरा आकार देखें तो जगमगाता हुआ, अपार उत्तेजना और उत्साह में सराबोर, गूंजता और खिलखिलाता माहौल दिखता है. टीवी पर आईएसएल का लाइव उद्घाटन समारोह देखने के बाद अंदाजा लगाना आसान था कि कॉरपोरेट और कैपिटल का जमावड़ा, खेल में एक लीग की ही नहीं एक नये आर्थिक युग की शुरुआत भी कर रहा है. बिजनेस हितों की ऐसी विहंगम एकजुटता उस आयोजन में नजर आई मानो खेल का नहीं कोई बड़ा कॉरपोरेट इवेंट हो रहा हो. क्रिकेट की इंडियन प्रीमियर लीग बता चुकी है कि खेल में निवेश, भूमंडलीय आर्थिकी का एक बेहद आकर्षक पैकेज है. हल्काफुल्का नुकसान भले ही कर दे, निराश नहीं करता.
रिलायंस, अमेरिकी कॉरपोरेट धुरंधर आईएमजी, स्टार इंडिया और ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन के सौजन्य से सजीधजी आईएसएल ने कई कॉरपोरेट स्पॉन्सरों को आकर्षित किया है. टाइटल प्रायोजकों के रूप में हीरो और एसोसिएट प्रायोजकों के रूप में सैमसंग, पेप्सिको, हीरो, अमूल, मुत्थु ग्रुप, मारुती सुजुकी जैसे बड़े नाम शामिल हैं. फिल्म और क्रिकेट के सितारे, लीग की टीमों के मालिक या सह मालिक हैं. लीग में आठ टीमें निकाली गई हैं. हर टीम की दस साल की फ्रेंचाइजी की कीमत ढाई करोड़ डॉलर रखी गई है. यानी कुल 20 करोड़ डॉलर में टीमें खरीदी गई हैं.
स्टार इंडिया, लीग मैचों को अपने पांच क्षेत्रीय चैनलों पर दिखा रहा है. अनुमान है कि हीरो मोटोकॉर्प ने करीब 20 करोड़ रुपए हर साल के हिसाब से लीग की टाइटल स्पॉन्सरशिप खरीदी है. बड़े ब्रांडों के पास भारत में अपने संभावित ग्राहकों की तलाश के लिए खेल जैसा मुफीद मैदान भला क्या होगा. टीमों की भी टाइटल स्पॉन्सर कंपनियां बड़े मुनाफे की उम्मीद में बड़ा निवेश कर रही हैं.
जानकारों के मुताबिक फुटबॉल के प्रति जुनून बिजनेस, स्पॉन्सरशिप और खेल संभावना से सीधे जुड़ा हुआ है. इस पैशन को जिंदा रखना ही लीग के सुनहरे भविष्य की गारंटी है. जाहिर है इसी जुनून में उन खिलाड़ियों का भविष्य भी छिपा है जो सामर्थ्य के बावजूद खेल की राजनीति और प्रबंधकीय सुस्तियों में धक्के खाते रहे हैं. आईएसएल से एक बहुत बड़ी उम्मीद बांधी गई है कि देश में फुटबॉल के दिन फिरेंगें. प्रतिभाएं निखरेंगीं, खूब दर्शक जुटेंगे. देसी खिलाड़ियों को नए अवसर मिलेंगे, नए अनुभव होंगे. यानी भारतीय फुटबॉल का नया युग शुरू होगा. लेकिन एक सवाल बनता ही है कि फुटबॉल या किसी भी खेल के उत्थान के लिए क्या कॉरपोरेट जगत का ही इंतजार इस देश में रहता है, वो निवेश लायक समझेगा तो खेल खेला जाएगा. पिछले 67 साल से देश की सरकारें क्या कर रही थीं?
क्रिकेट को छोड़ दें तो अन्य खेलों में बड़ा नाम क्यों नहीं कर पाए? आज फुटबॉल लीग आई है तो कहा जा रहा है कि वो दिन दूर नहीं जब विश्व कप में भी जाएंगें लेकिन कोस्टारिका जैसे देश तो वहां पहले से हैं और पिछली दफा क्वार्टर फाइनल तक पहुंच कर धमाल भी मचा चुके हैं. आपको बता दें कि कोस्टारिका वो देश है जहां 20 फीसदी लोग गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं और दस फीसदी लोग बेरोजगार हैं. कोस्टारिका ही क्यों, युद्धों और अंदरूनी अशांतियों से ध्वस्त और त्रस्त देशों बोस्निया-हर्जेगोविना, घाना, चिली और क्रोएशिया को लीजिए.
फिर भारत में ये हाल क्यों? अगर सब कुछ कॉरपोरेट को ही करना है तो क्या सरकार और प्रशासन की एक बहुत विशाल सेना फाइलों को इधर से उधर खिसकाने और चुनावी राजनीति में ही मगन रहने के लिए हैं.
यूरोप में गर्मियों के अंत के साथ क्लब फुटबॉल मुकाबले शुरू होते हैं. मुकाबले शुरू होने से पहले ट्रांसफर विंडो खुलती है. इस दौरान क्लब खिलाड़ियों को खरीद या बेच सकते हैं. एक नजर फुटबॉल जगत के 10 बड़े ट्रांसफरों पर.
तस्वीर: Adrian Dennis/AFP/Getty Imagesबिजली की रफ्तार से दौड़ने वाले गेरेथ बेल ट्रांसफर फीस के लिहाज से दुनिया के सबसे महंगे फुटबॉलर हैं. 2013 में उन्हें स्पेन के क्लब रियाल मैड्रिड ने करीब 10 करोड़ यूरो में खरीदा. बेल स्कॉटलैंड के क्लब टॉटेनहेम हॉटस्पर से मैड्रिड आए.
तस्वीर: picture-alliance/dpaबेल से पहले पुर्तगाल के कप्तान क्रिस्टियानो रोनाल्डो दुनिया के सबसे महंगे फुटबॉलर थे. रोनाल्डो 2009 में मैनचेस्टर यूनाइटेड से रियाल मैड्रिड आए. इस प्रतिभाशाली स्ट्राइकर को अपनी टीम में शामिल करने के लिए रियाल ने 9.4 करोड़ यूरो चुकाए.
तस्वीर: FRANCISCO LEONG/AFP/Getty Imagesउरुग्वे के स्ट्राइकर लुइस सुआरेज जितने बदनाम दांत काटने के लिए हैं, उतनी ही तारीफ वो अपने खेल से बटोरते हैं. लगातार तीन बार चैंपियंस लीग के सेमीफाइनल से बाहर हो चुकी बार्सिलोना ने इस सत्र में सुआरेस को 8.8 करोड़ यूरो में खरीदा. वह इंग्लिश क्लब लीवरपूल से बार्सिलोना पहुंचे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaवर्ल्ड कप से चमके कोलंबिया के स्टार अटैकिंग मिडफील्डर खामेज रोड्रिगेज के लिए रियाल मैड्रिड ने 7.95 करो़ड़ यूरो चुकाए. 2014 में वर्ल्ड कप के गोल्डन बूट खामेज एएस मोनाको से मैड्रिड पहुंचे.
तस्वीर: picture alliance/AP Photoइस वक्त दुनिया के बेहतरीन विंगरों में गिने जाने वाले अर्जेंटीना के आंखेल डी मारिया को मैनचेस्टर यूनाइटेड ने 7.5 करोड़ यूरो में खरीदा. 2013-14 में रियाल मैड्रिड को चैंपियंस लीग जिताने वाले डी मारिया ने अर्जेंटीना का वर्ल्ड कप फाइनल तक पहुंचाने में भी बड़ी मदद की. चोट की वजह से नंबर 7 डी मारिया फाइनल नहीं खेल सके.
तस्वीर: Juan Mabromata/AFP/Getty Imagesफुटबॉल का महान सितारा, दुनिया के सबसे बेहतरीन मिडफील्डर और फ्रांस के कप्तान रह चुके जिनेदिन जिदान को 2001 में रियाल मैड्रिड ने इटली के क्लब जुवेंटस से 7.5 करोड़ यूरो में खरीदा. 2006 के वर्ल्ड कप के बाद संन्यास लेने वाले जिदान अब रियाल मैड्रिड के विशेष सलाहकार हैं.
तस्वीर: picture alliance/AP Photoस्वीडन के स्ट्राइकर स्लाटन इब्राहिमोविच को 2009 में बार्सिलोना ने इटली के क्लब इंटर मिलान से 6.9 करोड़ यूरो में खरीदा. हालांकि इब्राहिमोविच बार्सिलोना के साथ लंबी पारी नहीं खेल सके. अकेले खेल को पलटने की क्षमता रखने वाला यह खिलाड़ी वापस मिलान लौट गया. अब वह फ्रेंच क्लब पेरिस सॉं जर्मां के लिए खेलते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa2009 में रियाल मैड्रिड के ब्राजील के स्टार स्ट्राइकर काका को 6.5 करोड़ यूरो में एसी मिलान से खरीदा. जबरदस्त खेल और शालीन व्यक्तित्व के लिए प्रसिद्ध काका 2012-13 तक रियाल के लिए खेले. इसके बाद वह मिलान लौट गए. फिलहाल काका साओ पाउलो के लिए खेल रहे हैं.
तस्वीर: imago/Gribaudi/ImagePhotoसुआरेस के जोड़ीदार और उरुग्वे के स्ट्राइकर एडिन्सन कवानी को बीते साल पेरिस सॉं जर्मां ने 6.4 करोड़ यूरो में इटैलियन क्लब नैपोली से खरीदा. वह फ्रांसीसी क्लब के सबसे महंगे खिलाड़ी हैं.
तस्वीर: Getty Imagesघुंघराले बालों वाले ब्राजील के डाविड लुइस इस वक्त दुनिया के सबसे महंगे डिफेंडर हैं. उन्हें 2014 में पेरिस सॉं जर्मां ने 6.26 करोड़ यूरो में इंग्लिश क्लब चेल्सी से खरीदा.
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