नीदलैंड्स की सरकार एक कानून का मसौदा तैयार कर रही है, जिसमें मानव अंगों के व्यापार के नियम कायदे तय किए जाएंगे. कई डच अस्पताल कई अमेरिकी कंपनियों से सिर, घुटने और कंधे जैसे अंग खरीद रही हैं. आखिर क्यों?
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इंसानी अंगों का व्यापार करने वाली कंपनियों को आम तौर पर 'बॉडी ब्रोकर' कहा जाता है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने पिछले दिनों खबर दी कि दो डच अस्पताल अमेरिकी कंपनियों से मानव अंग खरीदना बंद कर रहे हैं.
इसकी वजह एक तरफ इस तरह के कारोबार को लेकर नैतिक चिंताएं हैं, तो दूसरी तरफ इससे जुड़ी कंपनियां भारी मुनाफा कमा रही हैं. अधिकारियों का कहना है कि यह बात स्पष्ट होनी जरूरी है कि जिन अंगों का कारोबार हो रहा है उन्हें किसने और कैसे दान दिया है.
डच कानून में इस बात को सुनिश्चित किया जाएगा कि शरीर का कोई भी अंग बिना इजाजत के ना लिया जाए और अंग दान देने वाले परिवार को पता रहे कि उसका उपयोग मुनाफे कमाने के लिए होगा या नहीं.
जरूरी है अंगदान
जरूरी है अंगदान
अंग प्रत्यारोपण मरीजों की जान बचाने में अहम साबित हो सकता है, लेकिन दानकर्ताओं के अभाव में बहुत से मरीज प्रत्यारोपण के इंतजार में रहते हैं. जानिए स्थिति को बदलने के लिए दुनिया भर में क्या क्या किया जा रहा है.
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किसी और का अंग
ट्रांसप्लांट में अक्सर यह दिक्कत होती है कि शरीर किसी और के अंग को स्वीकार नहीं कर पाता. परिवार के किसी सदस्य का अंग हो तो शरीर को उसे अपनाने में आसानी होती है.
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दिल के लिए..
मरने से पहले दिल दान करने का फैसला लिया जा सकता है, अधिकतर लोगों का इस ओर ध्यान केवल तब जाता है जब किसी अपने को इसकी जरूरत पड़ती है.
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गरीबी का दाम
भारत की कई झुग्गियों में यह बात फैली हुई है कि गुर्दा बेचना गरीबी से बाहर निकलने का एक रास्ता है. एक गुर्दे के करीब 55,000 रुपये तक मिल जाते हैं.
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डॉक्टरों की मिलीभगत
आरोप लगाया जाता है कि तस्करी में शामिल डॉक्टर ऑपरेशन करने के लिए एक से दूसरे देश यात्रा करते रहते हैं. ये ऑपरेशन अधिकतर ऐसे देशों में होते हैं जहां कानून कड़े नहीं हैं और पकड़े जाने का खतरा कम है.
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वेटिंग लिस्ट
दिल और गुर्दे समेत कई तरह के अंगों के लिए लोग लम्बी वोटिंग लिस्ट में हैं. जब तक ट्रांसप्लांट ना हो सके, तब तक स्टेम सेल की मदद से फायदा मिल सकता है.
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नए कानून
जर्मनी में अब बीमा कम्पनियां लोगों से पूछ रही हैं कि क्या वे अंग दान करना चाहेंगे. हर व्यक्ति को यह कार्ड भरना है.
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बदले मानसिकता
अंगदान के बारे में लोगों की मानसिकता अगर बदल जाए तो लाखों जानें बच सकेंगी.
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यह कानून ऐसे समय में बनाया जा रहा है जब अमेरिका में बॉडी ब्रोकर कंपनियों के खिलाफ जांच चल रही है. ये कंपनियां आम तौर पर मृत शरीर को ले लेती हैं जो अकसर दान मिलते हैं. फिर ये उन्हें काटती हैं और उनके अंगों को निकाल कर बेच देती हैं. कई परिवारों को पता भी नहीं होता है कि उनके प्रियजनों के अंगों को मोटा मुनाफा कमाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.
डच संसद में एक सांसद हंके ब्रुइन्स स्लॉट ने कहा कि नीदरलैंड्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि शरीर के अंग आम व्यावसायिक उत्पाद बन कर ना रह जाएं. उन्होंने कहा, "जहां तक विदेशी अंगों के इस्तेमाल की बात है तो नीदरलैंड्स में इस बात को लेकर कानूनी रूप से कोई स्पष्टता नहीं है और कंपनियां इसका पूरा फायदा उठा रही हैं."
यहां कुत्ते रक्तदान करते हैं
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स्वास्थ्य मंत्री ह्यूगो डी युंगे का कहना हैं, "नए कानून के मुताबिक जो लोग इंसानी (अंगों के) नूमूनों के साथ काम करते हैं, उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि अंग दान करने वालों ने उनके व्यावसायिक इस्तेमाल की सहमति दी है."
डी युंगे ने यह भी कहा कि लोगों को पता नहीं होता की उनको क्या उम्मीद करनी चाहिए या उन्होंने किस बात के लिए अपनी सहमति दी हैं. उनके मुताबिक, "चूंकि मृत शरीर के लिए पैसा मिल रहा होता है, इसलिए जिन परिवारों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है और जो अंतिम संस्कार तक का खर्च नहीं उठा सकते हैं, उन्हें तो यह विकल्प अच्छा ही लगेगा. लेकिन हम इंसानी शरीर के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं कर सकते."
डच अस्पताल एम्सटरडम मेडिकल सेंटर (एएमसी) का कहना हैं कि उसने 2008 से अमेरिकी कंपनियों मेडक्योर और साइंस केयर से लगभग 500 सिर खरीदे है. वहीं रॉटरडैम के इरास्मस मेडिकल सेंटर ने कहा कि उसने घुटने और कंधे खरीदे हैं.
स्वास्थ्य मंत्री डी युंगे ने कहा कि वह खुद रिसर्च करेंगे कि नीदरलैंड में 'बॉडी ब्रोकर' का कारोबार कितना फैला हुआ हैं और इसके तौर तरीकों की समीक्षा करने के बाद वापस संसद को इस बारे में सूचित करेंगे.
एन राय/एके (रॉयटर्स)
अपना लिंग दान कर सकते हैं आप
क्या आपको पता है कि आप अपना लिंग भी दान कर सकते हैं? डॉक्टरों ने एक और सफल लिंग प्रत्यारोपण करके इसका रास्ता खोल दिया है.
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अमेरिका में एक व्यक्ति का लिंग प्रत्यारोपण हुआ है. 64 साल के थॉम मैनिंग का लिंग ट्रांसप्लांट किया गया. कैंसर की वजह से उनका लिंग काटना पड़ा था.
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15 घंटे चले ऑपरेशन के बाद यह ट्रांसप्लांट संभव हुआ. यह अमेरिका का पहला लिंग ट्रांसप्लांट था जिसे मैसाचुसेट्स में अंजाम दिया गया.
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लिंग प्रत्यारोपण की पहली कोशिश 2005 में चीन में की गई थी. लेकिन वह कामयाब नहीं रही. कुछ दिन बाद प्रत्यारोपित लिंग को हटाना पड़ा था.
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2014 में दक्षिण अफ्रीका में पहला लिंग प्रत्यारोपण हुआ था. जिस व्यक्ति को नया लिंग लगाया गया था, वह बाद में पिता भी बन गया था.
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अमेरिका में जो ऑपरेशन हुआ, उसकी तैयारी चार साल चली. 2012 में जिस डॉ. कर्टिस सेट्रुलो ने हाथ का पहला ट्रांसप्लांट किया था, उन्हीं ने अपनी टीम के साथ पहला लिंग प्रत्यारोपण किया.