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इंसानों की वजह से विलुप्त हुए गुफा में रहने वाले भालू

शामिल शम्स
१९ अगस्त २०१९

पहले कहा जाता था कि प्रागैतिहासिक गुफा भालू जलवायु के ठंडा होने की वजह से विलुप्त हो गए. लेकिन ऐसा नहीं है. एक आनुवांशिक अध्ययन से पता चला है कि ये भालू इंसानों द्वारा किए गए अतिक्रमण की वजह से विलुप्त हो गए.

Deutschland Skelett Höhlenbär in der Sophienhöhle
तस्वीर: picture-alliance/imagebroker/M. Nitzschke

वैज्ञानिकों ने कहा कि प्रागैतिहासिक गुफा भालू का पतन पूर्वी यूरोप में होमो सेपियंस के आगमन के साथ शुरू हुआ. साइंटिफिक रिपोर्ट जर्नल में प्रकाशित रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि बर्फ युग में कड़ी ठंड की वजह से नहीं बल्कि मानवीय गतिविधियों की वजह से शाकाहारी प्रजातियां विलुप्त हो गईं.

शोधकर्ताओं ने फ्रांस, जर्मनी, इटली, पोलैंड, सर्बिया, स्पेन और स्विटजरलैंड की 14 जगहों पर 59 भालू गुफाओं से आंकड़े जुटा कर गुफा भालू की पिछली आबादी की गतिशीलता (कब उनकी कितनी आबादी रही) के बारे में पता लगाया. आंकड़ों से यह खुलासा हुआ कि गुफा भालुओं की संख्या में गिरावट 50 हजार साल पहले शुरू हो गई थी. यह वह समय था जब यूरोप में होमो सेपियंस पहुंचे थे. 40 हजार साल पहले भालुओं की संख्या में तेजी से गिरावट शुरू हुई. इस समय होमो सेपियंस पूरे महाद्वीप में फैल चुके थे. 20 हजार साल पहले गुफा में रहने वाले भालू अंततः विलुप्त हो गए.

गुफा भालू का वैज्ञानिक नाम उर्सस स्पैलेअस है. हिम युग में ये गुफा शेर, बालों वाले गैंडे, वूली मैमथ और स्टेप बाइसन जैसे जानवरों के साथ यूरोप में रहते थे. ये भालू ध्रुवीय भालू जितने बड़े होते थे. जर्मनी में ट्यूबिंगन विश्वविद्यालय के जीवविज्ञानी एर्वे बोशेरेन्स  ने कहा, "इस बात के बहुत प्रमाण हैं कि मनुष्यों ने धरती के चारों ओर फैलने के बाद बड़े स्तनधारियों की संख्या कम होने और विलुप्त होने में अहम भूमिका निभाई. ऐसा 50 हजार साल पहले शुरू हुआ था. ऐसा सिर्फ इन जानवरों के शिकार की ही वजह से नहीं हुआ बल्कि इन प्रजातियों की जनसांख्यिकीय गिरावट के कारण भी हुआ. पारिस्थितिक तंत्र समाप्त हो गया और विलुप्त होने का कारण बना."

वैज्ञानिकों ने लंबे समय तक इस बात पर बहस की है कि क्या गुफा भालू का विलुप्त होना जलवायु ठंडा होने का परिणाम है, जिसकी वजह से उनके भोजन के लिए संकट पैदा हो गया या फिर ऐसा मानव शिकार और उनके गुफाओं पर अतिक्रमण की वजह से हुआ. ज्यूरिख विश्वविद्यालय के पैलियोजेनेटिकिस्ट वेरेना श्यूएनेमैन कहते हैं कि ताजा अध्ययन यह खुलासा करता है कि गुफा में रहने वाले भालुओं की संख्या में गिरावट, जलवायु के सर्द होने के कालखंड से पहले ही शुरू हो चुकी थी. पृथ्वी पर जलवायु के सर्द होने के कालखंडों को आईस एज भी कहा जाता है. श्यूएनेमैन कहते हैं कि भालू की आबादी दो लंबे ठंडे दौर और कई दूसरी ठंडी अवधि के दौरान स्थिर रही.

अध्ययन में यह दावा किया गया है कि होमो सेपियंस का आगमन तीन लाख साल पहले अफ्रीका में हुआ था और बाद में यह पूरी दुनिया भर में फैल गया. इस वजह से ही यूरेशिया, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में कई प्रजातियों पर संकट आ गया. वैज्ञानिक कहते हैं कि होमो सेपियंस के आगमन से पहले गुफा भालू की आबादी तब भी स्थिर बनी हुई थी जब उनके क्षेत्र में अन्य मानव प्रजातियां रहती थी. यूरेशिया में होमो सेपियंस के आने के बाद मानव प्रजाति निएंडरथाल भी विलुप्त हो गए.

आरआर/एनआर

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