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इंसानों के साथ रह कर मछली खाते थे प्राचीन कुत्ते

२५ जुलाई २०२२

कुत्तों के साथ इंसान की दोस्ती बहुत पुरानी है, इस दोस्ती की वजह से कुत्तों के रहन सहन और खान पान में बहुत बदलाव हुए. वास्तव में इंसान के साथ आने से ही भेड़ियों की कुछ दोस्ताना प्रजातियां कुत्तों में बदल गईं.

इंसान ने कुत्ते का इस्तेमाल शिकार, पशुपालन और अपनी प्रगति में किया
इंसान ने कुत्ते का इस्तेमाल शिकार, पशुपालन और अपनी प्रगति में किया तस्वीर: Ryhor/imago images

इंसान के करीब रह कर कुत्तों में बड़े सारे बदलाव हुए. करीब 7400 साल पहले जिन साइबेरियाई कुत्तों का विकास हुआ था वह भेड़ियों की तुलना में बहुत छोटे था ऐसे में उन्हें भोजन के लिए इंसानों पर निर्भर रहना पड़ता था. समुद्री स्तनधारी या फिर बर्फ के नीचे फंसी मछलियों को खाने के लिए उन्हें इंसानों की मदद लेनी पड़ती थी.

शुक्रवार को जारी एक नई स्टडी में इसकी जानकारी दी गई है. अमेरिका की अलबर्टा यूनिवर्सिटी के रॉबर्ट लोसे की अगुवाई में यह रिसर्च हुई जिसकी रिपोर्ट साइंस एडवांसेज में छपी है. इस रिसर्च से मिली जानकारियां कुत्तों की शुरुआती आबादी के विकास को समझने में अहम साबित होंगी. तब कुत्तों का इस्तेमाल इंसान शिकार, पशुपालन और अपनी प्रगति में कर रहा था.

प्राचीन समय से ही इंसान और कुत्ते की दोस्ती हैतस्वीर: WHA/ United Archives/picture alliance

भेड़िये बने कुत्ते

रॉबर्ट लोसे का कहना है, "कुत्तों के भोजन में लंबे समय में काफी बदलाव हुए हैं और सचमुच इन्हें जरूरत से ज्यादा सरल मान लिया गया है." लोसे ने बताया कि करीब 40000 हजार साल पहले भेड़ियों के कुत्तों में बदलने की प्रक्रिया शुरू. उसे समझने के लिए पहले जो इस दिशा में काम हुए हैं उनमें सिर्फ दो बातों पर पर ध्यान दिया गया.

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इनमें पहला था कि हिमयुग के दौरान दोस्ताना भेड़िये मांस के लिए इंसानों की तरफ आए जो उन्हें अकसर उनके कचरे में मिल जाता था. इसके नतीजे में वो अपने जंगली साथियों से दूर हो गये और बाद में उन्हें जान बूझ कर उनकी कुत्तों के रूप में ब्रीडिंग कराई गई.

दूसरी बात ये कि कुछ कुत्तों का विकास इस तरह से हुआ कि उनमें कृषि क्रांति के बाद स्टार्च को पचाने की बेहतर क्षमता विकसित हुई. यही वजह है कि कुछ आधुनिक कुत्तों की प्रजातियों में एएमवाई2बी जीन की ज्यादा कॉपियां होती हैं जो पैंक्रियाटिक अमाइलेज बनाता है.

भेड़ियों के कुत्ते में बदलने की शुरुआत करीब 40 हजार साल पहले हुईतस्वीर: Pierre-Philippe Marcou/AFP/Getty Images

भेड़िये से छोटे थे कुत्ते

प्राचीन कुत्तों के भोजन को ज्यादा गहराई से समझने के लिए लोसे और उनके साथियों ने पिछले 11000 सालों के 200 से ज्यादा प्राचीन कुत्तों के अवशेषों का विश्लेषण किया. इसके साथ इतनी ही संख्या में प्राचीन भेड़ियों का भी.

लोसे ने बताया, "हमें पूरे साइबेरिया से नमूने जमा करने के लिए जाना पड़ा, हमने उन हड्डियो का विश्लेषण किया, कोलैजन के नमूने लिए और फिर प्रयोगशालाओं में प्रोटीन का विश्लेषण किया."

अवशेषों के आधार पर टीम ने शरीर के आकार का आकलन किया. उन्होंने स्टेबल आइस्टोप एनालिसिस का भी इस्तेमाल किया जिससे कि भोजन से जुड़े आकलन तैयार किया जा सकें. लोसे ने बताया कि उन्हें पता चला 7000-8000 साल पहले के कुत्ते, "पहले ही बहुत छोटे थे, मतलब कि तब के भेड़िये जो कुछ कर सकते थे वो सब कर पाना उनके वश में नहीं था."

मध्य एशिया की प्राचीन प्रजाति का कुत्तातस्वीर: Ryhor Bruyeu/imago images

मछली खाने लगे कुत्ते

इसके नतीजे में इंसानों पर उनकी निर्भरता बढ़ी साथ ही छोटे शिकारों और कचरे की सफाई पर. आमतौर पर भेड़िये उस समय अपने से बड़े जानवरों का शिकार कर रहे थे लेकिन यह कुत्तों के लिए मुश्किल हो गया. लोसे का कहना है, "हम देखते हैं कि कुत्तों के भोजन जलीय है यानी वो मछली, शेलफिश, सील और सी लॉयन खा रहे थे जो वो खुद आसानी से हासिल कर सकते थे." प्राचीन कुत्ते साइबेरिया के उन इलाकों में मछली खा रहे थे जहां नदियां और झीलें साल में सात-आठ महीने तक जमी रहते हैं." उस वक्त के भेड़िये झुंड में शिकार करते थे और आमतौर पर हिरणों का शिकार करते थे.

इस नये भोजन ने कुत्तों के लिए कुछ सुविधाओं के साथ चुनौतियां भी पैदा कीं. लोसे के मुताबिक, "फायदा था क्योंकि उन्हें इंसानों से कुछ मिल जाता था और अकसर वह आसानी से मिलता था लेकिन इसकी कीमत उन्हें नई बीमारियों और भरपूर पोषण नहीं मिलने की समस्याओं के रूप में चुकानी पड़ी."

चीतों से रक्षा करते कुत्ते

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नये बैक्टीरिया और परजीवियों के संपर्क में आने की वजह से उनमें अनुकूलन हुआ लेकिन शायद कुत्तों की कुछ प्रजातियां उनके बीच खुद को जिंदा नहीं रख पाई होंगी.

अमेरिका के ज्यादातर शुरुआती कुत्ते मर गये और इसके पीछे का कारण पता नहीं है. उनकी जगह यूरोपीय कुत्तों ने ले ली हालांकि इसके लिए औपनिवेशिक शासन को जिम्मेदार नहीं माना जाता. जो कुत्ते बचे रह गये उनमें ज्यादा विविध माइक्रोबायोम मिले और इससे उन्हें ज्यादा कार्बोहाइड्रेट पचाने में मदद मिली. ये कार्बोहाइड्रेट इंसानों के साथ रहने से उनकी जिंदगी में आया था.

एनआर/ओएसजे (एएफपी)

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