दक्षिणी जर्मनी में मिले जीवाश्मों से एक कपि के बारे में जानकारी मिली है जो करीब 1.16 करोड़ साल पहले जिंदा था. इसकी खोज इंसानों के दो पैरों पर चलने की कहानी में नाटकीय बदलाव ला सकती है.
विज्ञापन
बुधवार को वैज्ञानिकों ने बताया कि डैन्यूवियस गुगेनमोसी नाम का यह कपि, इंसान और कपि दोनों के गुणों से लैस है. इसके नीचले अंग दो पैरों पर चलने के लिए अनुकूलित हैं, तो लंबी बांहें फैल कर पेड़ों की शाखाएं पकड़ने में माहिर. इससे पता चलता है कि डैन्यूवियस सीधे खड़े हो कर दो पैरों पर चल सकता था. साथ ही यह पेड़ों पर उछलकूद करते समय अपने दोनों हाथों और दोनों पैरों का बखूबी इस्तेमाल करता था. सीधे खड़े हो कर चलने वाले ज्ञात कपियों में यह अब तक का सबसे पुराना कपि है.
इस खोज से पता चलता है कि दो पैरों पर चलने की कला इंसान और बंदरों के साझे पूर्वज कपियों में हुई थी. इसी समूह में चिम्पैंजी, बोनोबो, गुरिल्ला और ओरांगउटन भी आते हैं. हालांकि बाकी जीवों से अलग इस कपि का आवास अफ्रीका की बजाय यूरोप में था. अफ्रीकी में आधुनिक मानव के पूर्वज होमो सेपियंस की उत्पत्ति करीब 3 लाख साल पहले मानी जाती है.
दो पैरों पर चलने वाले जीव का अब तक का सबसे पुराना जीवाश्म महज 60 लाख साल पुराना था जो केन्या में मिला था. यह इंसान के ही लुप्त हो चुके पूर्वजों में शामिल ओरोरिन टुगेनेनसिस का था जिसके पैरों के निशान भूमध्यसागरीय द्वीप क्रीट में भी मिले थे. अगर डैन्यूवियस इंसान का पूर्वज साबित हो जाता है तो इसका मतलब होगा कि इसके वंशजों ने किसी वक्त अफ्रीका का रुख कर लिया था. रिसर्च का नेतृत्व करने वाली जर्मनी की ट्यूबिंगन यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर मादेलेन बुएमे कहती हैं, "दो पैरों वाली चाल की उत्पत्ति क्यों, कब और कहां हुई इसे डैन्यूवियस ने नाटकीय रूप से बदल दिया है."
डैन्यूवियस की खोज दो पैरों पर चलने की पुरानी कहानी को बदल सकती है. अब तक यह माना जाता रहा है कि 60 लाख साल पहले पूर्वी अफ्रीका में चिम्पैंजी जैसे एक जीव ने दो पैरों पर चलना शुरू किया. पर्यावरणीय बदलावों के कारण खुले मैदानों और कभी जंगलों से भले इलाकों में सावन्ना का विकास इसकी वजह थी. बुएमे का कहना है, "यह मिसाल अब कमजोर हो गई है या फिर दूसरे शब्दों में हमें गलत साबित कर दिया गया है."
डैन्यूवियस यह दिखाता है कि सीधे खड़े हो कर चलने की खोज जमीन पर ना हो कर पेड़ों पर हुई थी. बुएमे ने यह भी कहा कि पहले जो माना जा रहा था कि इंसान और कपि के आखिरी साझे पूर्वज ने इसे कई चरणों में नहीं विकसित किया. पहले माना जाता था कि इंसान ने सीधे खड़े होने से पहले झुक कर चलना सीखा था. आज के कपियों की तुलना में डैन्यूवियस छोटा है. हालांकि नर कपि का आकार नर चिम्पैंजी और बोनोबो के काफी करीब है. नर का वजन करीब 30 किलो है जबकि मादा का 20 किलो. डैन्यूवियस की लंबाई महज तीन फीट है.
डैन्यूवियस जहां रहते थे वह जगह गर्म थी जो जंगलों और घुमावदार नदियों से भरी सपाट जमीन पर बसी थी. कम से कम चार डैन्यूवियस के जीवाश्म जर्मनी के बवेरिया राज्य के अलगाउ इलाके में मिले हैं. कई अहम अंग मिले हैं. हालांकि पूरी खोपड़ नहीं मिली है. हाथ पैरों की हड्डियां, रीढ़ की हड्डी, उंगली और अंगूठों की हड्डियां मिली हैं जिनकी मदद से रिसर्चरों ने उसकी चाल का पता लगाया है. वैज्ञानिक डैन्यूवियस की कलाइ, कूल्हे, घुटने और टखने के जोड़ों की गतिविधियों का भी पता लगाने में सफल रहे हैं.
एनआर/आईबी (एपी)
अद्भुत है इंसान का शरीर
शरीर अपने आप में एक चमत्कार है. इंसान को जिंदा रखने के लिए हर दिन वह करोड़ों काम करता है. एक नजर शरीर में मौजूद नायाब दुनिया पर.
तस्वीर: Fotolia/Peter Hermes Furian
जबरदस्त फेफड़े
हमारे फेफड़े हर दिन 20 लाख लीटर हवा को फिल्टर करते हैं. हमें इस बात की भनक भी नहीं लगती. फेफड़ों को अगर खींचा जाए तो यह टेनिस कोर्ट के एक हिस्से को ढंक देंगे.
तस्वीर: Fotolia/Sebastian Kaulitzki
ऐसी और कोई फैक्ट्री नहीं
हमारा शरीर हर सेकंड 2.5 करोड़ नई कोशिकाएं बनाता है. साथ ही, हर दिन 200 अरब से ज्यादा रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है. हर वक्त शरीर में 2500 अरब रक्त कोशिकाएं मौजूद होती हैं. एक बूंद खून में 25 करोड़ कोशिकाएं होती हैं.
तस्वीर: Fotolia
लाखों किलोमीटर की यात्रा
इंसान का खून हर दिन शरीर में 1,92,000 किलोमीटर का सफर करता है. हमारे शरीर में औसतन 5.6 लीटर खून होता है जो हर 20 सेकेंड में एक बार पूरे शरीर में चक्कर काट लेता है.
तस्वीर: Colourbox
धड़कन, धड़कन
एक स्वस्थ इंसान का हृदय हर दिन 1,00,000 बार धड़कता है. साल भर में यह 3 करोड़ से ज्यादा बार धड़क चुका होता है. दिल का पम्पिंग प्रेशर इतना तेज होता है कि वह खून को 30 फुट ऊपर उछाल सकता है.
तस्वीर: Fotolia/Stefan Körber
सारे कैमरे और दूरबीनें फेल
इंसान की आंख एक करोड़ रंगों में बारीक से बारीक अंतर पहचान सकती है. फिलहाल दुनिया में ऐसी कोई मशीन नहीं है जो इसका मुकाबला कर सके.
तस्वीर: McPHOTO/blickwinkel/picture alliance
नाक में एंयर कंडीशनर
हमारी नाक में प्राकृतिक एयर कंडीशनर होता है. यह गर्म हवा को ठंडा और ठंडी हवा को गर्म कर फेफड़ों तक पहुंचाता है.
तस्वीर: Fotolia/schankz
400 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार
तंत्रिका तंत्र 400 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से शरीर के बाकी हिस्सों तक जरूरी निर्देश पहुंचाता है. इंसानी मस्तिष्क में 100 अरब से ज्यादा तंत्रिका कोशिकाएं होती हैं.
तस्वीर: Imago
जबरदस्त मिश्रण
शरीर में 70 फीसदी पानी होता है. इसके अलावा बड़ी मात्रा में कार्बन, जिंक, कोबाल्ट, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फेट, निकिल और सिलिकॉन होता है.
तस्वीर: Imago/McPhoto
बेजोड़ झींक
झींकते समय बाहर निकले वाली हवा की रफ्तार 166 से 300 किलोमीटर प्रतिघंटा हो सकती है. आंखें खोलकर झींक मारना नामुमकिन है.
तस्वीर: Fotolia/Brenda Carson
बैक्टीरिया का गोदाम
इंसान के वजन का 10 फीसदी हिस्सा, शरीर में मौजूद बैक्टीरिया की वजह से होता है. एक वर्ग इंच त्वचा में 3.2 करोड़ बैक्टीरिया होते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
ईएनटी की विचित्र दुनिया
आंखें बचपन में ही पूरी तरह विकसित हो जाती हैं. बाद में उनमें कोई विकास नहीं होता. वहीं नाक और कान पूरी जिंदगी विकसित होते रहते हैं. कान लाखों आवाजों में अंतर पहचान सकते हैं. कान 1,000 से 50,000 हर्ट्ज के बीच की ध्वनि तरंगे सुनते हैं.
तस्वीर: picture alliance/dpa
दांत संभाल के
इंसान के दांत चट्टान की तरह मजबूत होते हैं. लेकिन शरीर के दूसरे हिस्से अपनी मरम्मत खुद कर लेते हैं, वहीं दांत बीमार होने पर खुद को दुरुस्त नहीं कर पाते.
तस्वीर: Colourbox
मुंह में नमी
इंसान के मुंह में हर दिन 1.7 लीटर लार बनती है. लार खाने को पचाने के साथ ही जीभ में मौजूद 10,000 से ज्यादा स्वाद ग्रंथियों को नम बनाए रखती है.
तस्वीर: Colourbox/rufar
झपकती पलकें
वैज्ञानिकों को लगता है कि पलकें आंखों से पसीना बाहर निकालने और उनमें नमी बनाए रखने के लिए झपकती है. महिलाएं पुरुषों की तुलना में दोगुनी बार पलके झपकती हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Rehder
नाखून भी कमाल के
अंगूठे का नाखून सबसे धीमी रफ्तार से बढ़ता है. वहीं मध्यमा या मिडिल फिंगर का नाखून सबसे तेजी से बढ़ता है.
तस्वीर: picture-alliance/ZB
तेज रफ्तार दाढ़ी
पुरुषों में दाढ़ी के बाल सबसे तेजी से बढ़ते हैं. अगर कोई शख्स पूरी जिंदगी शेविंग न करे तो दाढ़ी 30 फुट लंबी हो सकती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/D. Karmann
खाने का अंबार
एक इंसान आम तौर पर जिंदगी के पांच साल खाना खाने में गुजार देता है. हम ताउम्र अपने वजन से 7,000 गुना ज्यादा भोजन खा चुके होते हैं.
तस्वीर: DW/S. Waheed
मजे के लिए सेक्स
सिर्फ इंसान और डॉल्फिन मछली ही मजे के लिए सेक्स करते हैं. बाकी जीव बच्चे पैदा करने के लिए सेक्स करते हैं.
तस्वीर: Casper Christoffersen/AFP/Getty Images
बाल गिरने से परेशान
एक स्वस्थ इंसान के सिर से हर दिन 80 बाल झड़ते हैं.
तस्वीर: Imago/Westend61
सपनों की दुनिया
इंसान दुनिया में आने से पहले ही यानी मां के गर्भ में ही सपने देखना शुरू कर देता है. बच्चे का विकास वसंत में तेजी से होता है.
तस्वीर: MAK/Fotolia
नींद का महत्व
नींद के दौरान इंसान की ऊर्जा जलती है. दिमाग अहम सूचनाओं को स्टोर करता है. शरीर को आराम मिलता है और रिपेयरिंग का काम भी होता है. नींद के ही दौरान शारीरिक विकास के लिए जिम्मेदार हार्मोन्स निकलते हैं.