इस हफ्ते यूरोप में इटली की पॉपुलिस्ट पार्टियां के शासन की चर्चा रही तो कैटेलोनिया के नए राष्ट्रपति ने पद संभालने के साथ ही सुर्खियां बटोरी.
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पॉपुलिस्ट पार्टियां चलाएंगी इटली में शासन
इटली की दो पॉपुलिस्ट पार्टियों फाइव स्टार मूवमेंट और नॉर्थ लीग के बीच नई गठबंधन सरकार बनाने के लिए समझौता हो गया है. यह पहला मौका है जब इटली की सत्ता पॉपुलिस्ट पार्टियों के हाथों में होगी. ये दल यूरोपीय संघ के कड़े वित्तीय नियम-कायदों का विरोध करते हैं.
वायु प्रदूषण की कीमत जर्मनी को पड़ी भारी
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वायु प्रदूषण के मामले में लापरवाही जर्मनी को महंगी पड़ सकती है. जर्मनी समेत यूरोपीय संघ के पांच अन्य देशों को यूरोपीय कमीशन कोर्ट में ले गया है. ईयू ने 2010 में नाइट्रोजन डायऑक्साइड और अन्य गैसों के उत्सर्जन की सीमा तय की थी. लेकिन संघ के कई देशों में प्रदूषण का स्तर सीमा से बाहर जा चुका है.
कैटेलोनिया में नया राष्ट्रपति
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छह महीने के गतिरोध के बाद कैटेलोनिया की संसद ने किम तोरा को नया राष्ट्रपति चुना है. बीते गुरुवार तोरा ने पद की शपथ ली. स्पेन का विवादित राज्य कैटेलोनिया लंबे समय से आजादी की मांग कर रहा है. कैटेलोनिया के पूर्व नेता पुजदेमोन निर्वासन में हैं.
रूसी जासूस को मिली छुट्टी
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नर्व एजेंट का शिकार बने पूर्व रूसी जासूस सेर्गेई स्क्रिपाल को ब्रिटेन के अस्पताल से छुट्टी मिल गई है. सेरगेई स्क्रिपाल और उनकी 33 वर्षीय बेटी यूलिया को 4 मार्च को सॉल्सबरी शहर के एक पार्क में नर्व एजेंट से हमला किया गया था. मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ा और अमेरिका, ब्रिटेन समेत कई यूरोपीय देशों ने रूसी राजनयिकों को अपने यहां से निकाला.
नर्व एजेंट की एबीसी
2018 में रूस के पूर्व जासूस सेरगेई स्क्रिपाल और उनकी बेटी पर नर्व एजेंट से हमला किया गया था. नर्व एजेंट आखिर होता क्या है और कैसे शरीर पर असर करता है?
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क्या होता है नर्व एजेंट?
नर्व एजेंट ऐसे जहरीले रसायन हैं जो सीधे नर्वस सिस्टम यानि तंत्रिका तंत्र पर असर करते हैं. ये दिमाग तक जाने वाले संकेतों को रोक देते हैं, जिससे शरीर ठीक तरह से काम करना बंद कर देता है. इसका असर सबसे पहले मांसपेशियों पर लकवे के रूप में देखने को मिलता है.
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कैसा दिखता है?
यह पाउडर के रूप में भी होते हैं और गैस के भी, लेकिन ज्यादातर द्रव का इस्तेमाल किया जाता है, जो भाप बन कर उड़ जाता है. अक्सर यह गंधहीन और रंगहीन होता है, इसलिए किसी तरह का शक भी नहीं होता.
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कैसे दिया जाता है?
यह भाप अगर सांसों के साथ शरीर के अंदर पहुंचे, तो कुछ सेकंडों में ही अपना असर दिखा सकती है. कई बार द्रव को त्वचा के जरिये शरीर में भेजा जाता है. ऐसे में असर शुरू होने में कुछ मिनट लग जाते हैं.
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कैसा होता है असर?
नर्व एजेंट के संपर्क में आने वाले व्यक्ति को फौरन ही सांस लेने में दिक्कत आने लगती है. आंखों की पुतलियां सफेद हो जाती हैं, हाथ-पैर चलना बंद कर देते हैं और व्यक्ति कोमा में पहुंच जाता है. ज्यादातर मामलों में कुछ मिनटों में ही व्यक्ति की मौत हो जाती है.
जहर देने के तरीके
कई बार इन्हें खाने में या किसी ड्रिंक में मिला कर दिया जाता है. लेकिन ऐसे में असर देर से शुरू होता है. ऐसे भी मामले देखे गए हैं जब इन्हें सीधे व्यक्ति पर स्प्रे कर दिया गया हो. इससे वे सीधे त्वचा के अंदर पहुंच जाते हैं.
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क्या है इलाज?
जहर को जहर काटता है. इसके असर को कम करने के लिए एक एंटीडोट दिया जा सकता है लेकिन जरूरी है यह जल्द से जल्द दिया जाए. एंटीडोट देने से पहले यह पता लगाना भी जरूरी है कि किस प्रकार का नर्व एजेंट दिया गया है.
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किस प्रकार के होते हैं?
नर्व एजेंट को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. जी-एजेंट, वी-एजेंट और नोविचोक. शुरुआत 1930 के दशक में हुई जब सस्ते कीटनाशक बनाने के चक्कर में एक घातक जहर का फॉर्मूला तैयार हो गया और यह जर्मन सेना के हाथ लग गया.
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क्या है जी-एजेंट?
'जी' इसलिए क्योंकि यह जर्मनी में बना. 1936 में सबसे पहला जी-एजेंट जीए बना. उसके बाद जीबी, जीडी और जीएफ तैयार किए गए. जीबी को ही सारीन के नाम से भी जाना जाता है. अमेरिका युद्ध की स्थिति में रासायनिक हथियार के रूप में इसका इस्तेमाल कर चुका है.
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क्या है वी-एजेंट?
दूसरे विश्व युद्ध के बाद रूस, अमेरिका और ब्रिटेन ने भी नर्व एजेंट बनाना शुरू किया. ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने 1950 के दशक में वीएक्स तैयार किया. वीएक्स के अलावा वीई, वीजी, वीएम और वीआर भी हैं लेकिन वीएक्स सबसे घातक है.
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क्या है नोविचोक?
रूसी भाषा में नोविचोक का मतलब है नया. इन्हें 70 और 80 के दशक में सोवियत संघ में बनाया गया था. इनमें से एक ए-230, वीएक्स की तुलना में पांच से आठ गुना ज्यादा जहरीला होता है और मिनटों में जान ले सकता है.
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कैसे ट्रांसपोर्ट होते हैं?
यह इतने जहरीले होते हैं कि इन्हें ले जाने वाले पर भी खतरा बना रहता है. जरा सा संपर्क भी जानलेवा साबित हो सकता है. इसलिए इनके लिए खास तरह की शीशी का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे कस कर बंद किया जाता है. साथ ही ट्रासंपोर्ट करने वाला खास तरह के कपड़े भी पहनता है.
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कहां से आया?
नर्व एजेंट कोई आम जहर नहीं है जिसे घर पर बना लिया जाए. यह सैन्य प्रयोगशालाओं में बनाया जाता है और हर एक फॉर्मूले में थोड़ा बहुत फर्क होता है. इसलिए हमले के मामले में पता किया जाता है कि फॉर्मूला कौन से देश का है. इसके अलावा जिस शीशी या कंटेनर में जहर लाया गया, उसकी बनावट से भी पता किया जाता है.
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कितना असरदार?
नर्व एजेंट के हमले के बाद बचने की संभावना बहुत ही कम होती है. हालांकि खतरा कितना ज्यादा है, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि जहर किस मात्रा में दिया गया है.