आठ साल पहले दो भारतीय मछुआरों की हत्या के मामले में इटली के दो नौसैनिकों पर अब भारत में मुकदमा नहीं चलेगा. परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने इस मामले में फैसला सुनाया. उन पर मुकदमा इटली में चलेगा.
विज्ञापन
अंतरराष्ट्रीय कानून की एक अदालत परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने गुरूवार को इस मामले में फैसला सुनाया. अदालत ने इतालवी नौसैनिकों को आरोपों से बरी नहीं किया और कहा कि उन पर मुकदमा इटली में चलेगा.
अदालत ने कहा कि उन पर भारत में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता लेकिन भारत को हर्जाना जरूर मिलना चाहिए और दोनों देश आपस में बातचीत कर हर्जाने की रकम तय कर सकते हैं.
घटना 2012 की है जब केरल के तट के पास भारतीय मछुआरों की एक नाव वहां से गुजर रहे इतालवी तेल के टैंकर एनरिका लेक्सी के पास पहुंच गई. टैंकर पर तैनात दो इतालवी नौसैनिकों के गोली चलाने से दो भारतीय मछुआरों की मौत हो गई. इटली का शुरू से दावा रहा है कि नौसैनिकों ने चेतावनी देने के इरादे से गोली चलाई थी, लेकिन भारतीय नौसेना ने इतालवी नौसैनिकों को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था.
दो साल तक दोनों को हिरासत में रखा गया लेकिन आधिकारिक रूप से कोई आरोप नहीं तय किए गए. इसके बाद सितंबर 2014 में इनमें से एक नौसैनिक और मई 2016 में दूसरा नौसैनिक सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई शर्तबंद जमानत पर इटली वापस लौट गए और फिर वापस नहीं आए.
2015 में इटली ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के तहत आने वाले इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल फॉर द लॉ ऑफ द सी का दरवाजा खटखटाया. परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने जुलाई 2019 में मामले को सुना.
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने मीडिया को बताया कि अदालत ने भारतीय एजेंसियों के कदमों को सही ठहराया और कहा कि इटली ने नौपरिवहन की आजादी का उल्लंघन किया है. उन्होंने यह भी बताया कि ट्रिब्यूनल ने नौसेनिकों को हिरासत में रखने के लिए हर्जाने की मांग को भी ठुकरा दिया.
हालांकि, ट्रिब्यूनल ने कहा कि सरकारी अधिकारी होने के नाते नौसैनिकों को कानूनी कार्रवाई से राजनयिक छूट प्राप्त है और उसकी वजह से भारतीय अदालतें उन पर सुनवाई नहीं कर सकती हैं.
इतालवी विदेश मंत्रालय ने कहा कि उनका देश सहयोग की भावना ध्यान में रखते हुए ट्रिब्यूनल के निर्देशों का पालन करने को तैयार है. उसने यह भी कहा कि इटली के सरकारी अभियोजक ने मामले में अपनी जांच शुरू भी कर दी है और नौसैनिकों पर कोई आरोप लगता है या नहीं, इसका फैसला अब इटली की एजेंसियां करेंगी.
यह मामला जब अपने चरम पर था तब इसका असर भारत और इटली के द्विपक्षीय रिश्तों पर भी पड़ा था. इसी बीच, मीडिया में आई खबरों के अनुसार 2012 में मारे गए दोनों मछुआरों में से एक की पत्नी ने इस फैसले का स्वागत किया है.
पाकिस्तान की जेल में बंद कुलभूषण जाधव के मामले पर हेग की अंतरराष्ट्रीय अदालत में सुनवाई हुई. इस सुनवाई के बाद आए फैसले में पाकिस्तान को झटका लगा. कुलभूषण जाधव को पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने फांसी की सजा सुनाई हुई थी.
तस्वीर: Reuters/F. Mahmood
गिरफ्तारी पर पाकिस्तानी दावा
25 मार्च 2016 को पाकिस्तान ने भारत को बताया कि भारतीय नौसेना के अधिकारी कुलभूषण जाधव को 3 मार्च 2016 को बलूचिस्तान के चमन सीमा के इलाके में मशकेल इलाके से गिरफ्तार किया गया है. उनके पास एक भारतीय पासपोर्ट मिला है जिस पर उनका नाम हुसैन मुबारक पटेल लिखा हुआ है. वो पाकिस्तान में आर एंड ए डब्ल्यू के लिए काम कर रहे थे. उनके ऊपर पाकिस्तान को अस्थिर करने की साजिश में शामिल होने का आरोप है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Naveed
गिरफ्तारी पर भारतीय आपत्ति
भारत ने दावा किया कि जाधव 2001 में भारतीय नौसेना से रिटायर हो चुके हैं. वो ईरान में अपना व्यापार कते हे हैं. पाकिस्तानी एजेंसियों ने उनका ईरान से अपहरण कर उन्हें पाकिस्तान लाया गया है. वहीं उनकी फर्जी पहचान तैयार की गई. उनका भारतीय नौसेना या आर एंड ए डब्ल्यू से कोई संबंध नहीं है. भारत ने जाधव से बात करने के लिए 25 मार्च 2016 और उसके बाद वियना समझौते के आधार पर लगातार काउंसलर एक्सेस की मांग की.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Ali
पाकिस्तान ने नहीं मानी भारत की बात
पाकिस्तान ने काउंसलर एक्सेस की मांग को खारिज कर दिया. पाकिस्तान ने कहा कि जाधव एक जासूस हैं ऐसे में उन्हें काउंसलर एक्सेस नहीं दिया जा सकता. भारत काउंसलर एक्सेस के सहारे अपने जासूस से सूचनाएं निकलवाना चाहता है. 21 मार्च 2017 को पाकिस्तान ने कहा कि अगर भारत इस मामले की जांच में सहयोग करे तो काउंसलर एक्सेस दिया जा सकता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/epa/H. Tyagi
पाकिस्तान ने सुनाई सजा ए मौत
पाकिस्तान ने इस मामले की सुनवाई सैन्य अदालत में की. कार्यवाही के बीच ही पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव के दो वीडियो भी जारी किए. कई सारे कट्स वाले इन वीडियो में जाधव अपने कथित मिशन के बारे में जानकारी देते हैं. वो यह कबूल करते भी दिख रहे हैं कि वो पाकिस्तान में भारतीय जासूस थे. सैन्य अदालत ने साढ़े तीन महीने ट्रायल चलाने के बाद 12 अप्रैल 2017 को जाधव को फांसी की सजा सुना दी.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Rahi
भारत ने किया हेग का रुख
जाधव से बात करने के लिए काउंसलर एक्सेस ना दिए जाने और फांसी की सजा सुनाए के खिलाफ भारत ने हेग के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में अर्जी दाखिल की. 8 मई 2017 को दाखिल की गई इस अर्जी में भारत ने कहा कि जाधव को गलत तरीके से फंसाया गया है. भारत को उनसे बात करने के लिए काउंसलर एक्सेस ना देकर वियना काउंसलर समझौता 1963 का उल्लंघन पाकिस्तान कर रहा है. इस कोर्ट ने फैसला सुनाने तक जाधव की फांसी पर रोक लगा दी.
तस्वीर: Reuters/E. Plevier
जाधव से मिलीं पत्नी और मां
25 दिसंबर 2017 को कुलभूषण जाधव को उनकी पत्नी और मां से मिलने दिया गया. इस मुलाकात के दौरान भारतीय वाणिज्य दूतावास के उपायुक्त भी मौजूद रहे. भारत ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान में जाधव की पत्नी और मां से बदसलूकी की गई. पाकिस्तान ने इन आरोपों को खंडन किया. जाधव की मां और पत्नी को मीडिया से दूर रखा गया. उनकी मुलाकात एक शीशे की दीवार के बीच में होने के चलते इंटरकॉम से हुई.
अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने फांसी पर रोक के अलावा पाकिस्तान द्वारा जाधव मामले में की जाने वाली हर कार्रवाई के बारे में सूचना देने के लिए भी कहा. अंतरराष्ट्रीय अदालत ने पहले भारत को 13 सितंबर 2017 को अपना पक्ष रखने का मौका दिया. पाकिस्तान ने 13 दिसंबर 2017 भारतीय पक्ष का जवाब दिया. 17 अप्रैल 2018 को भारत ने अपने अगले तर्क दिए और 17 जुलाई 2018 को पाकिस्तान ने इन तर्कों के जवाब दिए.
तस्वीर: Reuters/E. Plevier
फैसले का दिन
18 से 21 फरवरी 2019 के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच दो और बार मौखिक बहस हुई. 4 जुलाई 2019 को अदालत ने कहा कि 17 जुलाई 2019 को न्यायाधीश अब्दुलकावि अहमद युसूफ इस मामले में फैसला सुनाया गया. भारत की ओर से वकील हरीश साल्वे और पाकिस्तान की ओर से वकील ख्वाजा कुरैशी ने पक्ष रखा.
तस्वीर: Reuters/F. Mahmood
अंतरराष्ट्रीय अदालत में पाकिस्तान की हार
जाधव के मामले पर अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाया. अदालत ने जाधव की फांसी पर रोक लगा दी. साथ ही जाधव को काउंसलर एक्सेस देने के निर्देश भी पाकिस्तान को दिए. अदालत ने जाधव को रिहा करने की भारत की अपील को ठुकरा दिया. अदालत ने पाकिस्तान को सजा पर पुनर्विचार करने के निर्देश दिए.