अप्रैल फूल डे को ऑल फूल्स डे भी कहा जाता है. सालों पहले पश्चिम के कुछ लोगों ने अप्रैल महीने की पहली तारीख को मूर्ख बनाने का दिन घोषित कर दिया. फिर क्या था धीरे धीरे यह दिवस दुनिया भर में प्रसिद्ध हो गया. इस दिन लोग तरह तरह के मजाक और बेवकूफ बनाने के तरीकों का सहारा लेकर एक दूसरे की हंसी उड़ाने की जुगत में लगे रहते हैं. अप्रैल फूल डे के दिन लोग खुद को दूसरे से ज्यादा बुद्धिमान बताने की कोशिश में रहते हैं. अप्रैल फूल को लेकर ठीक ठीक जानकारी नहीं है कि इसकी शुरुआत कब से हुई लेकिन ऐसा मानना है कि यह सदियों से अलग अलग संस्कृतियों में मनाया जाता है.
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह 1582 से मनाया जा रहा है. ऐसा कहा जाता है कि जब फ्रांस ने जूलियन कैलेंडर से ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपनाया तो उस समय लोगों को इसकी जानकारी मिलने में बहुत देर हुई. उस समय लोगों को यह समझ में नहीं आया कि नए कैलेंडर के मुताबिक साल की शुरूआत एक जनवरी को हो गई है. वह मार्च के आखिरी सप्ताह से लेकर एक अप्रैल तक नए साल का जश्न मनाते रहे. इस तरह से इन लोगों का मजाक उड़ाया जाने लगा. अलग अलग देशों में इसे मनाने का अलग अलग कारण है. वैसे इंग्लैंड में अप्रैल फूल के दिन मनोरंजक और रोचक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. कार्यक्रम के जरिए लोग दूसरे पर मूर्खता भरे गीत गाकर मनोरंजन करते हैं. वहीं स्कॉटलैंड में मूर्ख दिवस को हंटिंग द फूल के नाम से जाना जाता है. इस दिन यहां लोग मुर्गा चुराते हैं जो कि पहली अप्रैल की खास परंपरा है.
आधुनिक समय में अखबार, रेडियो और इंटरनेट पर अप्रैल फूल डे की चलन तेजी से बढ़ी है. पाठकों का मनोरंजन करने के लिए अखबार तरह तरह के चुटकुले और चित्रों का सहारा लेते हैं. 1957 में बीबीसी ने एक अप्रैल को लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए एक मनगढ़ंत रिपोर्ट दिखाई थी जिसमें बताया गया था कि कैसे स्विस के किसान स्पेगेटी की बंपर फसल की उम्मीद कर रहे हैं. इस रिपोर्ट में लोगों को नुडल्स उगाते हुए भी दिखाया गया था. बीबीसी ने इस तरह से हजारों दर्शकों और पाठकों को बेवकूफ बनाया था.
चाहे कीचड़ की दौड़ हो या जूता फेंक प्रतियोगिता, जर्मनी में अजीबो गरीब खेलों की कोई कमी नहीं. जैसे जैसे गर्मी का मौसम जवान होता है, इस तरह की अजीब प्रतियोगिताएं शुरू हो जाती हैं. देखें तस्वीरें.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photoलोअर सेक्सनी में पूर्वी फ्रीजिया के शहर उपलेवार्ड में हर साल कीचड़ दौड़ की विश्व प्रतियोगिता होती है. इस साल यह 31वीं बार आयोजित की गई. दुनिया भर के 24 देशों की टीमों ने इसमें हिस्सा लिया.
तस्वीर: picture-alliance/dpaस्कॉटलैंड की सदियों की पुरानी परंपरा जर्मनी में लगातार मशहूर हो रही है. लोअर सेक्सनी के ग्रोसगोल्टर्न में चौथी बार तना फेंक प्रतियोगिता हुई. लक्ष्य, तना ज्यादा से ज्यादा दूर और संभवतया सीधी लाइन में फेंकना. ये तने 35 से 60 किलोग्राम के बीच के होते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaफ्रांसीसी और डच लोगों को यूरोप के बेस्ट काउबॉय कहा जा रहा है, क्योंकि उन्होंने गाय पकड़ने की यूरोपीय प्रतियोगिता जीती है. थ्युरिंजिया के छोटे से गांव आइनोएड में यह आयोजित की गई, जिसमें इटली, जर्मनी, फ्रांस, बेल्जियम, नीदरलैंड्स और ऑस्ट्रिया के 100 ग्वाले पहुंचे थे.
तस्वीर: picture-alliance/dpaफिनलैंड के नाविकों ने 120 साल पहले यह मजेदार प्रतियोगिता शुरू की. डिस्क थ्रो की तरह गमबूट फेंकने की प्रतियोगिता होती है. इस विधा में पहले वैश्विक खेल 2007 में सेक्सनी के डोएब्लेन में हुए. वहीं से जूता फेंकने में जर्मनी की नंबर वन टीम भी आती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaहनोवर की इस प्रतियोगिता में 12 टीमों ने इस साल हिस्सा लिया. उद्देश्य खुद बनाई नावों से 300 मीटर की दूरी तय करना, जिसमें कुछ अड़चने भी आती हैं. टीम रंग बिरंगी पोशाकों में होती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaपांच किलोमीटर की यह शानदार दौड़ दूसरी बार जर्मनी में हुई. म्यूनिख में 5,550 धावक इस स्पोर्ट और पार्टी आयोजन में शामिल हुए. होली से प्रेरित इस दौड़ में शामिल होने वाले लोगों पर दर्शक रंग फेंकते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaइस साल लकड़ी काटने की प्रतियोगिता म्यूनिख में हुई. इस टक्कर में प्रतिद्वंद्वी 2.80 मीटर ऊंचे तने का ऊपरी हिस्सा काटते हैं. जीतता वह है जो अलग अलग पांच प्रतियोगिताओं को सबसे पहले पूरा करता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaब्रांडेनबुर्ग के क्लेटविट्स में भारी कीचड़ में खेल होते हैं और अलग अलग बाधाएं भी होती है. टीम के खिलाड़ियों को 18 किलोमीटर का कीचड़ से भरा रास्ता पार करना होता है और वह भी बड़ी बाधाओं से भरपूर.
तस्वीर: picture-alliance/dpaटफ मडर इवेंट के दौरान कितना कीचड़ लगता है, यह इस तस्वीर में देखा जा सकता है. साफ सुथरे रहने वाले लोगों के लिए यह खेल नहीं बना.
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