उनकी कहानी कल्पनाओं जैसी ही है. भारत के गांव में पैदा होकर नासा में कदम रखना और फिर अंतरिक्ष का चक्कर लगाना. कल्पनालोक की कल्पना चावला आज के दिन अंतरिक्ष में विलीन हो गईं, लेकिन धरती पर लाखों कल्पनाएं छोड़ गईं.
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16 दिन अंतरिक्ष में बिता कर एक फरवरी, 2003 को तीव्र गति से लौटता कोलंबिया यान धरती से सिर्फ 16 मिनट की दूरी पर था. तभी आसमान में बिजली कौंधी, धमाका हुआ, आग का शोला निकला और सब खत्म हो गया. अमेरिका, भारत और पूरी दुनिया स्तब्ध रह गई. भारतीय मूल की अमेरिकी कल्पना चावला सहित सात अंतरिक्ष यात्री सदा के लिए आकाश के हो गए.
फ्लोरिडा के अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन का झंडा आधा झुका दिया गया. आसमान से अंतरिक्ष यान का थोड़ा बहुत मलबा टेक्सास और लुईजियाना के आस पास गिरा. टूटी हुई कल्पनाएं किसी पार्क, किसी जंगल, किसी दफ्तर में बिखर गईं. नासा भावुक हो गया. न जाने कितनी कल्पनाओं को हकीकत में बदलने वाली संस्था ने अपनी उड़ानों के पर कतर दिए. शटल प्रोग्राम मैनेजर रॉन डिटेमोर ने रुंधे गले से एलान किया, "हम तब तक उड़ान नहीं भरेंगे, जब तक इस हादसे के बारे में समझ न आ जाए. हमने जरूर कोई गलती की होगी."
सात अंतरिक्ष यात्रियों में दो महिलाएं थीं, लॉरेल क्लार्क और कल्पना चावला. हरियाणा के करनाल में पैदा हुई चावला बच्चियों और महिलाओं के लिए मिसाल बनीं. भारत में पढ़ाई करने के बाद अमेरिकी एजेंसी में काम करने वाली चावला का यह दूसरा अंतरिक्ष दौरा था.
वॉशिंगटन पोस्ट ने अगले दिन हेडलाइन लगाई, "कोलंबिया खो गया." आसमान में हुए इस हादसे ने ज्यादातर अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों की जान ली. लेकिन न्यूयॉर्क टाइम्स ने अगले दिन के संस्करण में चावला को खास तरजीह दी. उनके घर करनाल से एमी वाल्डमैन ने विशेष रिपोर्ट भेजी कि किस तरह "लड़कों की चाह रखने वाले इलाके में एक लड़की पर लोग नाज" किया करते थे. वाल्डमैन ने इस रिपोर्ट में बताया है कि किस तरह लोग उसके स्कूल में जमा हुए थे कि "लैंडिंग का जश्न मनाएंगे लेकिन जब यान नष्ट हो गया, तो वहां सन्नाटा फैल गया."
रिपोर्ट की आखिरी पंक्ति कहती है, "कल्पना चावला मर नहीं सकती." अगर गौर से देखा जाए, तो लाखों बच्चियों में नई ऊर्जा और नई कल्पनाएं भरने वाली कल्पना चावला आस पास ही दिख जाएंगी.
ब्लैक होल की दुनिया
ब्लैक होल यानि कृष्ण विवर के बारे में पूरी जानकारी नहीं मिल पाई है. घनघोर अंधेरे और उच्च द्रव्यमान वाले इन ब्लैक होल्स की तस्वीरें इस गैलेरी में.
तस्वीर: NASA
बहुत कुछ पर कुछ नहीं
ब्लैक होल वास्तव में कोई छेद नहीं है, यह तो मरे हुए तारों के अवशेष हैं. करोड़ों, अरबों सालों के गुजरने के बाद किसी तारे की जिंदगी खत्म होती है और ब्लैक होल का जन्म होता है.
तस्वीर: cc-by-sa 2.0/Ute Kraus
विशाल धमाका
यह तेज और चमकते सूरज या किसी दूसरे तारे के जीवन का आखिरी पल होता है और तब इसे सुपरनोवा कहा जाता है. तारे में हुआ विशाल धमाका उसे तबाह कर देता है और उसके पदार्थ अंतरिक्ष में फैल जाते हैं. इन पलों की चमक किसी गैलेक्सी जैसी होती है.
तस्वीर: NASA
सिमटा तारा
मरने वाले तारे में इतना आकर्षण होता है कि उसका सारा पदार्थ आपस में बहुत गहनता से सिमट जाता है और एक छोटे काले बॉल की आकृति ले लेता है. इसके बाद इसका कोई आयतन नहीं होता लेकिन घनत्व अनंत रहता है. यह घनत्व इतना ज्यादा है कि इसकी कल्पना नहीं की जा सकती. सिर्फ सापेक्षता के सिद्धांत से ही इसकी व्याख्या हो सकती है.
तस्वीर: NASA and M. Weiss (Chandra X -ray Center)
ब्लैक होल का जन्म
यह ब्लैक होल इसके बाद ग्रह, चांद, सूरज समेत सभी अंतरिक्षीय पिंडों को अपनी ओर खींचता है. जितने ज्यादा पदार्थ इसके अंदर आते हैं इसका आकर्षण बढ़ता जाता है. यहां तक कि यह प्रकाश को भी सोख लेता है.
सभी तारे मरने के बाद ब्लैक होल नहीं बनते. पृथ्वी जितने छोटे तारे तो बस सफेद छोटे छोटे कण बन कर ही रह जाते हैं. इस मिल्की वे में दिख रहे बड़े तारे न्यूट्रॉन तारे हैं जो बहुत ज्यादा द्रव्यमान वाले पिंड हैं.
तस्वीर: NASA and H. Richer (University of British Columbia)
विशालकाय दुनिया
अंतरिक्ष विज्ञानी ब्लैक होल को उनके आकार के आधार पर अलग करते हैं. छोटे ब्लैक होल स्टेलर ब्लैक होल कहे जाते हैं जबकि बड़े वालों को सुपरमैसिव ब्लैक होल कहा जाता है. इनका भार इतना ज्यादा होता है कि एक एक ब्लैक होल लाखों करोड़ों सूरज के बराबर हो जाए.
तस्वीर: NASA/CXC/MIT/F.K. Baganoff et al
छिपे रहते हैं
ब्लैक होल देखे नहीं जा सकते, इनका कोई आयतन नही होता और यह कोई पिंड नहीं होते. इनकी सिर्फ कल्पना की जाती है कि अंतरिक्ष में कोई जगह कैसी है. रहस्यमय ब्लैक होल को सिर्फ उसके आस पास चक्कर लगाते भंवर जैसी चीजों से पहचाना जाता है.
1972 में एक्स रे बाइनरी स्टार सिग्नस एक्स-1 के हिस्से के रूप मे सामने आया ब्लैक होल सबसे पहला था जिसकी पुष्टि हुई. शुरुआत में तो रिसर्चर इस पर एकमत ही नहीं थे कि यह कोई ब्लैक होल है या फिर बहुत ज्यादा द्रव्यमान वाला कोई न्यूट्रॉन स्टार.
तस्वीर: NASA/CXC
पुष्ट हुई धारणा
सिग्नस एक्स-1 के बी स्टार की ब्लैक होल के रूप में पहचान हुई. पहले तो इसका द्रव्यमान न्यूट्रॉन स्टार के द्रव्यमान से ज्यादा निकला. दूसरे अंतरिक्ष में अचानक कोई चीज गायब हो जाती. यहां भौतिकी के रोजमर्रा के सिद्धांत लागू नहीं होते.
तस्वीर: NASA/CXC/M.Weiss
सबसे बड़ा ब्लैक होल
यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला के वैज्ञानिको ने हाल ही में अब तक का सबसे विशाल ब्लैक होल ढूंढ निकाला है. यह अपने मेजबान गैलेक्सी एडीसी 1277 का 14 फीसदी द्रव्यमान अपने अंदर लेता है.
तस्वीर: ESO/L. Calçada
अनसुलझे रहस्य
ब्लैक होल के पार देखना कभी खत्म नहीं होता. ये अंतरिक्ष विज्ञानियों को हमेशा नई पहेलियां देते रहते हैं.