इतिहास में आजः 13 फरवरी
१२ फ़रवरी २०१४पोप के आरोपों और आदेशों का सामना करने के लिए 13 फरवरी 1633 को प्रोफेसर गैलिलियो रोम आए. पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है, चर्च ने उनके इस सिद्धांत को विद्रोह कहा और उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की. अप्रैल में मुकदमा शुरू हुआ. गैलिलियो ने हल्की सजा पाने के लिए चर्च के सामने अपना गुनाह स्वीकार किया. इसके बाद उन्हें फ्लोरेंस में उनके घर में नजरबंद कर दिया गया. इसी पहरे के दौरान उनकी आठ जनवरी 1642 को मौत हो गई.
पीसा में रहने वाले एक संगीतकार के घर गैलिलियो ने 15 फरवरी 1564 को जन्म लिया था. वो पीसा यूनिवर्सिटी में मेडिसिन की पढ़ाई करने के लिए गए लेकिन वहां उनका ध्यान दर्शनशास्त्र और गणित की ओर झुक गया. उन्होंने रोमन दार्शनिक अरस्तू के उस सिद्धांत को गलत साबित किया जिसमें कहा गया था कि ऊपर से गिरने वाली चीज की गति उसके वजन पर आधारित होती है. पीसा की झुकी मीनार से हल्की और भारी चीजें साथ गिरा कर गैलिलियो ने इस सिद्धांत को गलत साबित किया.
इसके बाद गणित के प्रोफेसर गैलिलियो ने पोलैंड के खगोलशास्त्री निकोलाउस कॉपरनिकस के सिद्धांत का समर्थन किया. कॉपरनिकस ने कहा था कि सूर्य सौर मंडल का केंद्र है. यह सिद्धांत इटली पर राज करने वाले कैथोलिक चर्च से मेल नहीं खाता था. चर्च पृथ्वी को सौर मंडल ही नहीं बल्कि ब्रह्मांड का केंद्र कहता था. गैलिलियो ने कहा कि कॉपरनिकस सही हैं. सूर्य सौर मंडल का केंद्र है और पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है. पोप ने गैलिलियो की किताबों पर प्रतिबंध लगा दिया और उन्हे ईश्वर विद्रोही करार दिया.