लाल बहादुर शास्त्री के अचानक निधन के बाद भारत में प्रधानमंत्री चुना जाना था और पूर्व वित्त मंत्री मोरारजी देसाई का नाम सबसे आगे चल रहा था. इस मामले में इंदिरा ने चार दिन पहले तक अपना नाम भी नहीं रखा था. लेकिन आखिरी मौके पर कांग्रेस ने उनके नाम पर मुहर लगाई और तय हुआ कि इंदिरा गांधी भारत की अगली प्रधानमंत्री बनेंगी. हालांकि अपने कैबिनेट की घोषणा करने तक वह प्रधानमंत्री पद नहीं संभाल पाईं. इससे पहले 16 में से 11 भारतीय राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इंदिरा गांधी के नाम पर हरी झंडी दे दी.
अंग्रेजी अखबार द गार्डियन के रिपोर्टर ताया जिनकिन ने अगले दिन यानि 20 जनवरी, 1966 को अपनी रिपोर्ट में लिखा, "48 करोड़ लोगों की प्रधानमंत्री के नाते 48 साल की इंदिरा गांधी दुनिया की सबसे ताकतवर महिला बन गई हैं. हालांकि सीलोन (आज के श्रीलंका) की श्रीमती बंदारनायके ने दुनिया की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने में उनसे बाजी मार रखी है."
एक नजर आजादी से अब तक भारत के प्रधानमंत्रियों और उनके कार्यकाल पर.
तस्वीर: Reutersभारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू धर्मनिरपेक्ष नेता थे. उनके कार्यकाल में समाजवादी नीतियों पर जोर रहा. विज्ञान, शिक्षा और समाज सुधारों की शुरुआत हुई. हालांकि नेहरू के कार्यकाल में देश ने अकाल भी देखे. आलोचक कहते हैं कि नेहरू ने देश से ज्यादा विदेशों पर ध्यान दिया और प्राथमिक शिक्षा पर भी कम ध्यान दिया.
तस्वीर: Keystone/Getty Imagesदूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की छवि बेहद मेहनती और जमीन से जुड़े नेता की रही. चुपचाप ईमानदारी से अपना काम करने वाले शास्त्री देश को अकाल से निकालने से सफल रहे. कृषि में क्रांति करने वाले इस नेता ने ही "जय जवान, जय किसान" का नारा दिया.
तस्वीर: Getty Imagesलाल बहादुर शास्त्री की मौत के बाद इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं. कांग्रेस पार्टी टूट गई, लेकिन बांग्लादेश युद्ध के दौरान उनकी छवि लौह महिला की बनी. आपातकाल लगाने और पार्टी लोकतंत्र को खत्म करने के लिए इंदिरा गांधी की आलोचना होती है. उन्हीं के कार्यकाल में खालिस्तान आंदोलन भी शुरू हुआ.
तस्वीर: picture-alliance/KPAइंदिरा गांधी की सरकार में वित्त मंत्री रहे मोरारजी देसाई आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनावों में इंदिरा की हार के बाद पीएम बने. लेकिन उनकी जनता पार्टी सरकार दो ही साल चली. चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री बने और फिर इंदिरा गांधी सत्ता में लौटीं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaइंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनके बेटे राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने. 40 साल की उम्र में प्रधानमंत्री बनने वाले राजीव ने संचार, शिक्षा और लाइसेंस राज में बड़े सुधार किये. शाहबानो केस, बोफोर्स घोटाले, भोपाल गैस कांड और काले धन के मामले उन्हीं के कार्यकाल में सामने आए.
तस्वीर: AP1989 के चुनावों में कांग्रेस की हार से जनता पार्टी की गठबंधन सरकार बनी. वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने. उन्हीं के कार्यकाल में मंडल आयोग की सिफारिशें लागू हुई. 1990 में वीपी सिंह की सरकार गिरी और चंद्र शेखर की अगुवाई में सरकार बनी. ये भी 1991 में गिर गई.
तस्वीर: AFP/Getty Imagesराजीव गांधी की हत्या के बाद जून 1991 में कांग्रेस के नरसिंह राव देश के पहले दक्षिण भारतीय प्रधानमंत्री बने. वित्त मंत्री मनमोहन सिंह की मदद से उन्होंने उदारीकरण के रास्ते खोले. उन्हीं के कार्यकाल में हिंदू कट्टरपंथियों ने बाबरी मस्जिद तोड़ी.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo1996 के चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद बीजेपी को सबसे ज्यादा सीटें मिली. अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली अल्पमत सरकार सिर्फ 13 दिन चल सकी. इसके बाद जनता दल यूनाइटेड ने एचडी देवगौड़ा (बाएं से तीसरे) के नेतृत्व में सरकार बनाई. भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझती ये सरकार साल भर में धराशायी हो गई.
तस्वीर: Sajjad HussainAFP/Getty Imagesपढ़े लिखे, सौम्य और विनम्र छवि के इंद्र कुमार गुजराल 1997 में प्रधानमंत्री बने. उनकी गठबंधन सरकार बहुत कुछ नहीं कर पाई, ज्यादातर वक्त सरकार बचाने की जोड़ तोड़ ही होती रही.
तस्वीर: AFP/Getty Images1998 में हुए चुनावों के बाद अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी की गठबंधन सरकार बनी. पर सरकार 13 महीने ही चली. फिर चुनाव हुए और वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए सरकार बनी. इस दौरान आर्थिक विकास तेज हुआ. पाकिस्तान के साथ संबंध बेहतर हुए. लेकिन कारगिल युद्ध ने संबंधों में दरार डाल दी. वाजपेयी के कार्यकाल में कंधार विमान अपहरण कांड भी हुआ.
तस्वीर: APएनडीए का "इंडिया शाइनिंग" नारा नाकाम रहा. 2004 में केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई में यूपीए गठबंधन सरकार बनी. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया जाना आश्चर्यजनक था. सूचना अधिकार, शिक्षा अधिकार, मनरेगा जैसे बड़े फैसले सरकार ने लिए. लेकिन दूसरी पारी में सरकार भ्रष्टाचार के लिए बदनाम हुई. देश ने कई बड़े घोटाले देखे.
तस्वीर: UNIमई 2014 को जबरदस्त बहुमत के साथ नरेंद्र मोदी भारत के 14वें प्रधानमंत्री बने. तीन बार गुजरात के मुख्यमंत्री रह चुके मोदी विकास, सुशासन और सबको साथ लेने का नारा देकर बहुमत में आए. विरोधी उन पर गुजरात दंगों में ठोस कदम न उठाने का आरोप लगाते हैं.
तस्वीर: Reuters इस रिपोर्ट में लिखा गया, "उन्हें भारी बहुमत से कांग्रेस पार्टी का नेता चुना गया और उन्होंने मोरारजी देसाई को पराजित कर दिया. पूर्व वित्त मंत्री देसाई को कभी नेहरू का तार्किक उत्तराधिकारी माना जाता था लेकिन 20 महीने पहले उन्हें श्री शास्त्री से भी शिकस्त खानी पड़ी थी."
उस वक्त रेस में गुलजारीलाल नंदा का भी नाम आगे चल रहा था. लेकिन जब उन्हें पता चला कि इंदिरा गांधी भी इस रेस में हैं, तो नंदा ने अपना नाम वापस ले लिया. औपचारिक तौर पर इंदिरा गांधी ने 24 जनवरी को पद भार संभाला.