आज ही के दिन सर माइकल वुडरफ ने ब्रिटेन के अस्पताल में पहली बार किसी जिंदा इंसान के शरीर से किडनी का प्रत्यारोपण किया था. सर वुडरफ के नाम ऐसी दवा बनाने का श्रेय भी जाता है जो शरीर में मौजूद अंग अस्वीकृति की प्रतिरक्षा प्रणाली को खत्म करती है. इससे पहले अमेरिकी डॉक्टर जोसेफ ई मरे ने 1954 में इंसान के शरीर पर पहला ट्रांसप्लांट किया लेकिन ट्रांसप्लांट मुर्दा के शरीर से किया गया था. सर माइकल वुडरफ ने किडनी प्रत्यारोपण करने के पहले इस विषय पर विस्तार से शोध किया. साथ ही उन्होंने ऑर्गन रिजेक्शन की विशेष समस्या के बारे में भी रिसर्च किया.
अंग प्रत्यारोपण मरीजों की जान बचाने में अहम साबित हो सकता है, लेकिन दानकर्ताओं के अभाव में बहुत से मरीज प्रत्यारोपण के इंतजार में रहते हैं. जानिए स्थिति को बदलने के लिए दुनिया भर में क्या क्या किया जा रहा है.
तस्वीर: DWट्रांसप्लांट में अक्सर यह दिक्कत होती है कि शरीर किसी और के अंग को स्वीकार नहीं कर पाता. परिवार के किसी सदस्य का अंग हो तो शरीर को उसे अपनाने में आसानी होती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaमरने से पहले दिल दान करने का फैसला लिया जा सकता है, अधिकतर लोगों का इस ओर ध्यान केवल तब जाता है जब किसी अपने को इसकी जरूरत पड़ती है.
तस्वीर: Fotolia/Arcadyभारत की कई झुग्गियों में यह बात फैली हुई है कि गुर्दा बेचना गरीबी से बाहर निकलने का एक रास्ता है. एक गुर्दे के करीब 55,000 रुपये तक मिल जाते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaआरोप लगाया जाता है कि तस्करी में शामिल डॉक्टर ऑपरेशन करने के लिए एक से दूसरे देश यात्रा करते रहते हैं. ये ऑपरेशन अधिकतर ऐसे देशों में होते हैं जहां कानून कड़े नहीं हैं और पकड़े जाने का खतरा कम है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaदिल और गुर्दे समेत कई तरह के अंगों के लिए लोग लम्बी वोटिंग लिस्ट में हैं. जब तक ट्रांसप्लांट ना हो सके, तब तक स्टेम सेल की मदद से फायदा मिल सकता है.
तस्वीर: dapdजर्मनी में अब बीमा कम्पनियां लोगों से पूछ रही हैं कि क्या वे अंग दान करना चाहेंगे. हर व्यक्ति को यह कार्ड भरना है.
तस्वीर: Getty Imagesअंगदान के बारे में लोगों की मानसिकता अगर बदल जाए तो लाखों जानें बच सकेंगी.
तस्वीर: DW सर वुडरफ जब इस विषय पर शोध कर रहे थे तो उन्होंने पाया कि उनके एक मरीज जो कि किडनी की समस्या से ग्रसित था उसका जुड़वां भाई है. सर वुडरफ को यह एहसास हुआ कि जुड़वां भाइयों के बीच प्रत्यारोपण करने से रिजेक्शन की जोखिम कम होती है. एडिनबरा के रॉयल अस्पताल में ऑपरेशन के बाद मरीज में जटिल समस्याएं पैदा हो गईं. क्योंकि ऑपरेशन के बाद दी जाने वाली दवाएं उतनी विकसित नहीं थी. ऑपरेशन के बाद मरीज कई दिनों तक खतरे में था. लेकिन ऑपरेशन सफल रहा और इसके बाद वुडरफ एक सफल चिकित्सक के रूप में स्थापित हुए. माइकल फ्रांसिस एडिसन वुडरफ का जन्म लंदन में 3 अप्रैल 1911 को हुआ था. 1960 में सर वुडरफ को शल्य चिकित्सा विज्ञान में योगदान के लिए लिस्टर पदक से सम्मानित किया गया.