1982 में दुजैल के एक गुट ने उस वक्त इरान के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को मारने की कोशिश की थी. दुजैल शिया दावा पार्टी का गढ़ माना जाता था और उस वक्त वह सद्दाम हुसैन के शासन का विरोध कर रहे थे. सद्दाम हुसैन पर यह आरोप अमेरिकी सैनिकों द्वारा उनकी गिरफ्तारी के बाद लगे.
सितंबर 2001 के हमलों के बाद अमेरिका का रुख आक्रमक होता जा रहा था. उस वक्त अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश का मानना था कि इराकी सरकार को गिराने की जरूरत है क्योंकि उसके पास खतरनाक हथियार हैं. बुश ने कहा कि इराकी सरकार ऐंथ्रैक्स, नंसों के लिए जहरीली गैस और परमाणु हथियार बना रहा है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक फैसले के बाद अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी आईएईए और संयुक्त राष्ट्र के हथियार जांचकर्ताओं को सद्दाम हुसैन ने इराक आने की इजाजत भी दी. अंतरराष्ट्रीय टीम को हथियार तो नहीं मिले लेकिन सद्दाम हुसैन की सरकार पर असहयोग के गंभीर आरोप लगे.
बुश ने 2003 में इराक पर हमले के आदेश दिए. अमेरिकी आक्रमण के कुछ ही हफ्तों बाद इराक की मूलभूत संरचना ढहने लगी और अमेरिकी सैनिकों ने देश के ज्यादातर हिस्से पर कब्जा कर लिया. 9 अप्रैल 2003 को बगदाद अमेरिका के नियंत्रण में आ गया, लेकिन सद्दाम का फिर भी पता नहीं चल पा रहा था. 14 दिसंबर 2003 को अमेरिका ने इस बात की पुष्टि की कि सद्दाम को एक दिन पहले गिरफ्तार कर लिया गया है. इराक में अमेरिकी प्रतिनिधि पॉल ब्रेमर ने इस सिलसिले में सद्दाम का वीडियो भी दिखाया.
हिरासत में रहने के करीब एक साल बाद सद्दाम पर औपचारिक आरोप लगाए गए और उन्हें दुजैल हत्याकांड का जिम्मेदार ठहराया गया. करीब एक साल की कार्रवाई के बाद 2006 नवंबर में सद्दाम हुसैन को फंासी की सजा सुनाई गई.
अमेरिकी आक्रमण के 10 साल बाद.. इराक की आम जनता क्या लौट पाई है सामान्य जीवन की ओर...
तस्वीर: DW/K. Zurutuzaइराक के पुनर्निमाण के लिए लाखों डॉलर खर्च किए गए लेकिन इसके बावजूद कई इराकियों को अब भी साफ पानी और बिजली नहीं मिल पा रही है. भ्रष्टाचार, गरीबी और बेरोजगारी इन मुश्किलों को और बढ़ा रही है.
तस्वीर: DW/K. Zurutuzaसालों के युद्ध और अस्थिरता के कारण कई लोग विस्थापित हुए. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन की 2012 की रिपोर्ट कहती है कि सीरिया गए कई लोग लौट कर आ रहे हैं.
तस्वीर: DW/K. Zurutuzaबगदाद में तीन करोड़ तीस लाख लोग रहते हैं. राजधानी अब भी सैन्य चौकियों से भरी हुई है और वहां अक्सर हमले होते रहते हैं.
तस्वीर: DW/K. Zurutuza2012 में हुई हिंसा के कारण इराक में 4,568 लोगों ने जान गंवाई.
तस्वीर: DW/K. Zurutuza1970 में इराक में महिला साक्षरता 100 फीसदी थी जो अब 40 फीसदी रह गई है. मध्यपूर्व को पहली महिला प्रधानमंत्री और महिला जज देने वाला देश अब ऐसी स्थिति में है जहां महिलाएं असुरक्षित हैं.
तस्वीर: DW/K. Zurutuzaयुद्ध का एक दशक और आंतरिक विवादों के कारण कई इलाके बारूदी सुरंग से पटे हैं. वे अब भी जिंदा हैं. इनके कारण जमीन और पानी के दूषित होने का भी खतरा है.
तस्वीर: DW/K. Zurutuzaइराक में कैंसर, ल्यूकेमिया और नवजात शिशुओं की मौतों की संख्या बहुत ज्यादा है. इसका कारण है यूरेनियम का इस्तेमाल. यूरेनियम की वजह से गोले बंकरों को ज्यादा आसानी से भेदते हैं.
तस्वीर: DW/K. Zurutuzaसन्स ऑफ इराक, नाम से एक अर्धसैनिक बल बनाया गया है जो समुदाय की रक्षा करता है. ये देश भर में हैं लेकिन अल कायदा का निशाना बने हुए हैं.
तस्वीर: DW/K. Zurutuzaइराक के सुन्नी इलाके में दिसंबर 2012 से कई प्रदर्शन हो रहे हैं. यह अरब क्रांति के बाद से शुरू हुए हैं.
तस्वीर: DW/K. Zurutuza1920 रिवोल्यूशन ब्रिजेस हथियारबंद सुन्नी ग्रुप है जो वर्तमान सरकार के खिलाफ लड़ रहा है.
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