ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 31 दिसंबर 1600 के दिन हुई थी. इसी दिन इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने एक चार्टर जारी कर अंग्रेज व्यापारियों को पूर्वी देशों के साथ व्यापार का पट्टा दिया.
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इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने 'द गवर्नर एंड कंपनी ऑफ मर्चेंट्स ऑफ लंदन ट्रेडिंग इन ईस्ट इंडीज' की स्थापना को स्वीकृति दी थी. इस कंपनी को पूर्वी द्वीप समूह के देशों से व्यापार करने का एकाधिकार दिया गया था. कंपनी का गठन मसाले के व्यापार के लिए किया गया था जिसमें उस दौर में स्पेन और पुर्तगाल का एकाधिकार था. समय जैसे जैसे बीतता गया कंपनी ने मसाले के अलावा कपास, रेशम, चाय, नील और अफीम का व्यापार भी शुरू कर दिया था.
ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के तत्कालीन मुगल बादशाह जहांगीर से व्यापार और सूरत में कारखाना लगाने की इजाजत लेकर व्यापार शुरू किया और दो सौ साल के भीतर लगभग पूरे भारत को कब्जे में ले लिया था. ईस्ट इंडिया कंपनी ने दुनिया की पहली बहुराष्ट्रीय और सबसे बड़ी कंपनी बनने के साथ साथ ब्रिटिश साम्राज्य की इमारत भी खड़ी की थी. लेकिन 1857 में भारतीय सेना के विद्रोह के बाद इस कंपनी को एक जनवरी 1874 को भंग कर दिया गया और ब्रिटेन की सरकार ने भारत के संचालन का काम सीधा अपने हाथों में ले लिया. इसके साथ ही करीब दो सौ साल चलने वाला औपनिवेशिक शासन शुरू हुआ.
कब्र में दफ्न राजकुमारी के रहस्य
जर्मन शहर श्टुटगार्ट के पास मिली 2,600 साल पुरानी कब्र पुरातत्वविदों के लिए खासी अहम है. इस कब्र में अपने कीमती गहनों के साथ सोई हुई थी केल्टिक राजकुमारी....
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अबूझ पहेली
स्टील और कंकरीट के बने जिस चैंबर में राजकुमारी को दफ्न किया गया था वह पुरातत्वविदों को 2010 में हाथ लगा. पिछले एक दशक में यह जर्मनी की सबसे अहम पुरातात्विक खोजों में से एक है. श्टुटगार्ट की एक प्रदर्शनी में लोग 2,600 साल पुरानी कब्र से मिली कीमती वस्तुएं देखने बहुत शौक से पहुंचते हैं.
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प्राचीन केल्टिक गांव
2010 में रिसर्चरों को दक्षिण जर्मनी के हॉइनबुर्ग इलाके के पास इस चैंबर के सुराग मिले. यह लौहकालीन यूरोप में केल्टिक साम्राज्य का इलाका हुआ करता था.
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एक और अंतिम यात्रा
चैंबर में मिले सामान की जांच के लिए रिसर्चर इस पूरे चैंबर को जमीन से निकालकर एक ट्रक पर लाद कर श्टुटगार्ट के पास एक प्रयोगशाला में ले गए. इस चैंबर का भार करीब 80 टन है.
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उच्चकुलीय राजकुमारी
पुरातत्वविदों के मुताबिक यह कब्र केल्टिक राजपरिवार के किसी सदस्य की है. सालों पहले मिली इस तरह की और कब्रें इतने सामान के साथ नहीं थीं. इस कब्र में सोने-चांदी के मोती और मुंगे जड़े महंगे जेवरात मिले हैं. ऐसी चीजें केल्टिक समाज की केवल बड़ी हस्तियों के साथ ही रखी जाती थीं.
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दो महिलाएं और एक लड़की
कब्र में दो या तीन साल की बच्ची भी थी. रिसर्चरों को लगता है वह राजकुमारी की पुत्री रही होगी. बच्ची पर भी कीमती आभूषण थे. लेकिन उनके साथ वह तीसरी महिला कौन है, यह अभी भी पहेली है. यह महिला भी इसी चैंबर में थी लेकिन उस पर इतने कीमती आभूषण नहीं थे. अनुमान लगाया जा रहा है कि वह नौकरानी रही होगी.
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मेहनत भरा काम
रिसर्चरों ने इस पहेली को सुलझाने में जी जान लगा दी है. अभी तक हुए डीएनए टेस्ट तीनों के बीच कोई संबंध स्थापित नहीं कर पाए हैं. रिसर्चर उम्मीद कर रहे हैं कि तकनीक के विकास के साथ आने वाले सालों में वे इनके बारे में और जरूरी बातें जान सकेंगे. फिलहाल रिसर्च 2018 तक जारी रखने का लक्ष्य है.
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लकड़ी की मदद
दफनाने के लिए इस्तेमाल हुए इस चैंबर में लकड़ी का भी प्रयोग हुआ है. इसके पास से ही नदी बहती है. यही लकड़ी अब वैज्ञानिकों को उस काल का आंकलन करने में मदद कर रही है. यह लकड़ी 583 ईसापूर्व काटे गए पेड़ की है. वैज्ञानिकों ने बताया कि यह केल्टिक साम्राज्य से संबंधित अब तक की सबसे पुरानी कब्र है.
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वह कौन थी?
वह रहस्यमयी राजकुमारी आखिर कौन थी? इस सवाल का अब तक ठोस जवाब नहीं मिला है. उसकी उम्र 30 से 40 साल के बीच थी और उसके दांत बेहद खूबसूरत थे. कब्र में उसका सिर धड़ से तीन मीटर दूर था और जबड़ा कब्र के दूसरे कोने में.
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मजबूत तंत्र
कब्र में मिली सामग्री केल्टिक समाज के बारे में कई ऐसी बातें बताती हैं जो अब तक नहीं पता थीं. घोड़ों के लिए इस्तेमाल होने वाला आभूषिण जड़े कवच अज्ञात महिला के पास मिले. लेकिन यह इस इलाके का नहीं है. अंदाजा लगाया गया है कि इसे इटली से मंगवाया गया होगा. पुरातत्वविदों का अनुमान है कि उन्होंने जितना सोचा था केल्ट उससे ज्यादा अंतर राज्यीय व्यापार किया करते थे.
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रहस्यों से पर्दा
कोई नहीं जानता कि कब्र से जुड़ी गुत्थियां सुलझ पाएंगी या नहीं. रिसर्चर इसपर और समय लगाना चाहते हैं. राजकुमारी से जुड़ी सामग्री को श्टुटगार्ट के न्यू पैलेस में 14 दिसंबर 2014 से आम लोगों के लिए प्रदर्शनी पर लगाया गया है.