ब्रिटेन की महारानी ने ब्रिस्टल से एडिनबरा में सीधे फोन किया था. पहली बार इतनी लंबी दूरी का फोन कॉल हो पाया था और वह भी इतना तेज. इसके साथ ही 5 दिसंबर 1955 को एसटीडी यानी 'सब्सक्राइबर ट्रंक डायल' की शुरुआत हुई. इसके पहले ट्रंक कॉल यानी दूसरे शहर में फोन करने की सुविधा टेलिफोन एक्सचेंज के पास ही होती थी. एसटीडी के जरिए यह सुविधा ग्राहकों तक पहुंच गई. इसके लिए हर शहर के एक्सचेंज का एक कोड बनाया गया और ग्राहकों को फोन नंबर के पहले उस कोड को डायल करना होता था.
पहला एसटीडी फोन कॉल भले ही 1955 में हो गया लेकिन पूरा तंत्र बनाने में काफी वक्त लगा और 1979 में ही यह ब्रिटेन में पूरी तरह से लागू हो सका. इसी सेवा का विस्तार कर 1963 में लंदन और पैरिस के बीच बातचीत हुई तो इंटरनेशनल डायरेक्ट डायलिंग अस्तित्व में आई. इसके बाद इंटरनेशलन सब्सक्राइबर डायलिंग शुरू हुई. मोबाइल फोन के आने आने के बाद इन सेवाओं का उपयोग और महत्व कम हो गया है लेकिन बहुत पुरानी बात नहीं है कि दूसरे शहर में बात करने के लिए घंटों इंतजार करना होता था. तब एसटी़डी सेवा किसी वरदान जैसी थी.
3 अप्रैल 1973 को मोटोरोला के इंजीनियर मार्टिन कूपर ने मोबाइल फोन पर पहली बार बात की थी. इसके साथ शुरू हुई संचार क्रांति जिसका नतीजा है हम सब की जेब में रखा और लगातार बदलता स्मार्टफोन.
तस्वीर: Telekomमोटोरोला के वाइस प्रेसीडेंट मार्टिन कूपर ने 1973 में पहला व्यावसायिक मोबाइल फोन पेश किया. डायनाटेक 10 साल बाद बाजार में आया और उसकी कीमत थी 4000 डॉलर.
तस्वीर: picture-alliance/dpa70 साल पहले मोबाइल फोन रखने वाले 25 पाउंड का फोन लेकर चला करते थे. उसकी पहुंच भी सीमित थी और लाइन मिलाने का काम टेलिफोन एक्सचेंज से होता था.
तस्वीर: Museum für Kommunikation Frankfurt1989 में पेंट की जेब में आनेवाला पहला सेलफोन बाजार में आया. मोटोरोला का माइक्रोटेक बंद और खोला जाने वाला पहला फोन था. इसके साथ छोटे फोन का ट्रेंड शुरू हुआ.
तस्वीर: picture-alliance/dpa1992 की गर्मियों में डिजिटल मोबाइल फोन का समय शुरू हुआ. अब विदेशों में भी फोन करना संभव था. 2जी सेवा में सक्षम मोटोरोला 3200 उस जमाने के हिसाब से बहुत छोटा था.
तस्वीर: Telekom1994 में शॉर्ट मैसेज सर्विस की शुरुआत हुई. शुरू में यह ग्राहकों को सूचना देने के लिए था, लेकिन जल्द ही छोटा संदेश भेजना टेलिफोन के बाद सबसे कामयाब कारोबार बन गया.
तस्वीर: DW/Brunsmann1997 के बाद हैंडसेटों की बिक्री में भारी तेजी आई. नए नए मॉडल बाजार में आने लगे और वे लोगों के चहेते यंत्र बन गए. प्रीपेड कार्डों के चलन ने सेलफोन को और लोकप्रिय बनाया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa1999 में आया नोकिया 7110 पहला फोन था जिसमें वायरलेस एप्लिकेशन प्रोटोकॉल की सुविधा था. इसके जरिए वेब पर जाया जा सकता था. मोबाइल इंटरनेट क्रांति की शुरुआत.
तस्वीर: imagoइसके बाद तो तकनीकी विकास को पर लग गए. रंगीन डिसप्ले, एपपी3 प्लेयर, रेडियो और वीडियो फंक्शन सामान्य हो गए. कुछ साल बाद तो सेलफोन पर टीवी भी देखना संभव था.
तस्वीर: Telekomमोटोरोला रेजर नाम का कैमरा फोन 2004 में बाजार में आते ही छा गया, हालांकि उसे फैशन फोन के रूप में उतारा गया था. 2006 के मध्य तक 5 करोड़ से ज्यादा फोन बिके.
तस्वीर: Getty Images2007 में एप्पल पहला आईफोन लेकर आया. टचस्क्रीन वाले फोन ने सेलफोन बाजार में क्रांति ला दी. इस पहले यूजर फ्रेंडली फोन में 2001 से उपलब्ध 3जी सुविधा भी डाली गई. .
तस्वीर: imagoएलटीई के साथ मोबाइल फोन की चौथी पीढ़ी शुरू हो चुकी है. घर, कार और दफ्तर को फोन के साथ जोड़ा जा रहा है. स्मार्टफोन से पेमेंट भी संभव होगा.
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