5 नवंबर 2006 को सद्दाम हुसैन को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी. सद्दाम पर 148 लोगों की हत्या का अपराध साबित हुआ था. कोर्ट ने सद्दाम के अलावा उनके सौतेले भाई बरजान अल तिकरिती और इराक के पूर्व न्यायाधीश अवाद हामिद अल बंदर को भी मौत की सजा दी थी. इसी मामले में पूर्व उपराष्ट्रपति ताहा यासीन रामादान को उम्रकैद और तीन अन्य लोगों को 15 साल जेल की सजा दी गई थी. 30 दिसंबर 2006 को बकरीद के दिन सद्दाम हुसैन को फांसी पर लटका दिया गया था.
दुजैल कांड के अलावा सद्दाम पर हजारों कुर्द लोगों की हत्या का भी आरोप था. नरसंहार के इस मामले में भी सद्दाम पर मुकदमा चल रहा था. 1990 में कुवैत पर इराकी हमले के बाद से ही सद्दाम की मुश्किलें शुरू हो गई थीं. अप्रैल 2003 में अमेरिकी हमले के बाद सद्दाम इराक की सत्ता से बेदखल कर दिए गए. 28 अप्रैल 1937 को जन्मे सद्दाम हुसैन ने इराक पर करीब 25 साल तक राज किया.
अमेरिकी आक्रमण के 10 साल बाद.. इराक की आम जनता क्या लौट पाई है सामान्य जीवन की ओर...
तस्वीर: DW/K. Zurutuzaइराक के पुनर्निमाण के लिए लाखों डॉलर खर्च किए गए लेकिन इसके बावजूद कई इराकियों को अब भी साफ पानी और बिजली नहीं मिल पा रही है. भ्रष्टाचार, गरीबी और बेरोजगारी इन मुश्किलों को और बढ़ा रही है.
तस्वीर: DW/K. Zurutuzaसालों के युद्ध और अस्थिरता के कारण कई लोग विस्थापित हुए. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन की 2012 की रिपोर्ट कहती है कि सीरिया गए कई लोग लौट कर आ रहे हैं.
तस्वीर: DW/K. Zurutuzaबगदाद में तीन करोड़ तीस लाख लोग रहते हैं. राजधानी अब भी सैन्य चौकियों से भरी हुई है और वहां अक्सर हमले होते रहते हैं.
तस्वीर: DW/K. Zurutuza2012 में हुई हिंसा के कारण इराक में 4,568 लोगों ने जान गंवाई.
तस्वीर: DW/K. Zurutuza1970 में इराक में महिला साक्षरता 100 फीसदी थी जो अब 40 फीसदी रह गई है. मध्यपूर्व को पहली महिला प्रधानमंत्री और महिला जज देने वाला देश अब ऐसी स्थिति में है जहां महिलाएं असुरक्षित हैं.
तस्वीर: DW/K. Zurutuzaयुद्ध का एक दशक और आंतरिक विवादों के कारण कई इलाके बारूदी सुरंग से पटे हैं. वे अब भी जिंदा हैं. इनके कारण जमीन और पानी के दूषित होने का भी खतरा है.
तस्वीर: DW/K. Zurutuzaइराक में कैंसर, ल्यूकेमिया और नवजात शिशुओं की मौतों की संख्या बहुत ज्यादा है. इसका कारण है यूरेनियम का इस्तेमाल. यूरेनियम की वजह से गोले बंकरों को ज्यादा आसानी से भेदते हैं.
तस्वीर: DW/K. Zurutuzaसन्स ऑफ इराक, नाम से एक अर्धसैनिक बल बनाया गया है जो समुदाय की रक्षा करता है. ये देश भर में हैं लेकिन अल कायदा का निशाना बने हुए हैं.
तस्वीर: DW/K. Zurutuzaइराक के सुन्नी इलाके में दिसंबर 2012 से कई प्रदर्शन हो रहे हैं. यह अरब क्रांति के बाद से शुरू हुए हैं.
तस्वीर: DW/K. Zurutuza1920 रिवोल्यूशन ब्रिजेस हथियारबंद सुन्नी ग्रुप है जो वर्तमान सरकार के खिलाफ लड़ रहा है.
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