जर्मनी के सबसे प्रभावशाली पत्रकारों में से एक रहे रुडोल्फ ऑगश्टाइन का आज ही के दिन निधन हुआ. निमोनिया के कारण 7 नवंबर 2002 को जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में ऑगश्टाइन ने आखिरी सांस ली थी.
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5 नवंबर 1923 को जन्मे रुडोल्फ ऑगश्टाइन रेडियो ऑपरेटर थे और दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जर्मन तोपखाने में पर्यवेक्षक का भी काम कर चुके थे. 1946-47 में ऑगश्टाइन ने जर्मन पत्रिका डेय श्पीगल की स्थापना की थी. उस समय डेय श्पीगल जर्मनी की सबसे महत्वपूर्ण साप्ताहिक खोजी पत्रिका थी और आज भी इसका काफी नाम है. 1961 और 1962 के श्पीगल स्कैंडल के दौरान ऑगश्टाइन को गिरफ्तार किया गया था और उन्हें 103 दिन के लिए जेल जाना पड़ा था. स्कैंडल के बाद जनता में गुस्सा भड़क गया और तत्कालीन रक्षा मंत्री फ्रांस योसेफ श्ट्राउस को इस्तीफा देना पड़ा.
गाओ यू को सात साल कैद
चीनी पत्रकार गाओ यू को सरकारी गोपनीयता को तोड़ने के आरोप में सात साल की सजा दी गई है. वे 71 वर्ष की हैं और पहले भी गोपनीय सरकारी दस्तावेजों को विदेशियों को देने के आरोप में सरकार की नाराजगी झेल चुकी हैं.
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गाओ यू को पहले भी गोपनीय सरकारी दस्तावेजों को विदेशियों को देने के आरोप में सज़ा दी जा चुकी है. 2000 में इस आरोप में उन्हें छह साल जेल की सजा दी गई.
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गाओ यू को पिछले साल गिरफ्तार किया गया था. नवंबर से उन पर बीजिंग की अदालत में मुकदमा चल रहा था. नए सख्त कानून के तहत सात साल की कैद का फैसला शुक्रवार को सुनाया गया.
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जर्मनी, फ्रांस और अमेरिका सहित 15 देशों के राजनयिकों ने अदालत में जाकर मुकदमे की कार्रवाई देखने की कोशिश की. लेकिन अदालत के अधिकारियों ने उन्हें जगह न होने का बहाना कर वापस भेज दिया.
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चीन ने प्रमुख उइगुर बुद्धिजीवी इलहाम तोहती को गिरफ्तार कर लिया और आजीवन कारावास की सज़ा दी है. यहां उनकी बेटी जौहर इलहाम बता रही हैं कि चीन की सरकार शांतिपूर्ण शिकायत भी सुनने को तैयार नहीं.
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इलहाम तोहती के खिलाफ मुकदमा. उन पर उरुम्ची में अलगाववाद के आरोप लगाए गए. अर्थशास्त्र के प्रोफेसर तोहती उइगुर अल्पसंख्यकों के अधिकारों के समर्थक हैं.
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मानवाधिकार वकील गाओ झीसेंग की पत्नी गेंग हे ने राष्ट्रपति ओबामा से अपने बीमार पति को अमेरिका आने की अनुमति देने की अपील करने को कहा था.
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1972 में ऑगश्टाइन जर्मन संसद के सदस्य चुने गए लेकिन 1973 में उन्होंने अपनी सदस्यता छोड़ दी क्योंकि वो एक पत्रकार के रूप में अपने कर्तव्यों पर ज्यादा ध्यान देना चाहते थे. ऐसा माना जाता था कि ऑगश्टाइन पत्रिका से जुड़ कर खुद को ज्यादा ताकतवर समझते थे. इतिहास के शौकीन ऑगश्टाइन ने कई किताबें भी लिखी. स्टीफान आष्ट जब डेय श्पीगल के मुख्य संपादक बने उसके बाद ऑगश्टाइन अपनी निजी जिंदगी में ज्यादा समय देने लगे. हालांकि अपने निधन के वक्त तक वो पत्रिका में टिप्पणियां लिखते रहे. ऑगश्टाइन को साल 2000 में उन्हें सदी के पत्रकार का खिताब दिया गया.
स्केच और कलम से हिंसा का जवाब
पश्चिमी मीडिया ने पेरिस में शार्ली एब्दॉ के पत्रकारों की हत्या का जवाब एक बार फिर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार से ही दिया. व्यंग्य पत्रिका के समर्थन में सामने आए ये कार्टून...
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कार्टूनिस्ट प्लांटू के बनाए इस कार्टून को लेकर रिपब्लिक स्क्वायर पहुंचे कई लोग. इन हत्याओं को पत्रकारिता, अभिव्यक्ति की आजादी और लोकतंत्र पर हमला माना जा रहा है.
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हमले के दूसरे दिन पेरिस के रिपब्लिक स्क्वायर पर इकट्ठे हो कर हजारों लोगों ने किया पत्रकारों की हत्या पर दुख और आजादी पर हमले के खिलाफ प्रदर्शन.
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पेरिस में हमलावरों का निशाना बने शार्ली एब्दॉ के साथ ब्यूनोस आयर्स का यह व्यक्ति अपनी एकजुटता कुछ इस तरह दिखा रहा है. उसके टैबलेट पर बने इस चित्र पर संदेश है - पूरी तरह शार्ली एब्दॉ के साथ.
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मालाइमेजन के नाम से कार्टून बनाने वाले लैटिन अमेरिकी कार्टूनिस्ट ग्विलेर्मो गालिंडो ने कुछ इस तरह व्यक्त किया शार्ली एब्दॉ के कार्टूनिस्टों पर हुए हमले को.
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जर्मनी की पत्रिका 'टिटानिक' भी फ्रांसीसी पत्रिका शार्ली एब्दॉ की तरह व्यंग्यात्मक सामग्रियों का प्रकाशन करती है. इस पत्रिका ने भी इस्लाम से संबंधित व्यंग्य और मुसलमानों के बारे में मजाकिया सामग्री का प्रकाशन किया है.
यूक्रेन की राजधानी कीव में फ्रेंच एंबेसी के सामने कई लोग मारे गए पत्रकारों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे. 7 जनवरी 2015 को दो हथियारबंद हमलावरों ने शार्ली एब्दॉ के पेरिस कार्यालय पर हमला कर 12 पत्रकारों की जान ले ली थी.
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आतंकी हमले में मारे गए इन पत्रकारों के जज्बे और कुर्बानी को याद करते हुए पेरिस की विश्वप्रसिद्ध इमारत आइफेल टावर की लाइटें 8 जनवरी को ठीक 8 बजे पांच मिनट के लिए बुझा दी गईं. यह पत्रकार अब दुनिया भर में अभिव्यक्ति की आजादी के लिए लड़ने वालों के प्रतीक बन चुके हैं.