इतिहास में आजः 9 दिसंबर
७ दिसम्बर २०१३![Somalia Mogadischu US-Militär 1992](https://static.dw.com/image/16435939_800.webp)
अमेरिकी मरीन्स पौ फटने से पहले मोगादिशु पहुंच चुके थे. उनका मिशन एक दर्जन से भी ज्यादा देशों से आने वाले 35,000 जवानों का नेतृत्व करना था जिससे खाद्य सामग्री की लूटपाट रोकी जा सके. इस बहुराष्ट्रीय ऑपरेशन का नेतृत्व अमेरिका कर रहा था. 1991 में तानाशाह मुहम्मद सियाद बर्रे के सत्ता से बेदखल करने के बाद कबायली नेताओं ने भूख से जूझ रहे देश को बंधक बना लिया. अमेरिकी मरीन्स उम्मीद कर रहे थे कि उनका सामना कबायली नेताओं के बंदूकधारियों से होगा. लेकिन भीषण लड़ाई के बजाय अमेरिकी मरीन्स का स्वागत दुनिया भर की मीडिया ने किया. तानाशाह मुहम्मद सियाद बर्रे को बेदखल किए जाने के एक साल के भीतर तीन लाख लोग मारे गए. ऑपरेशन रिस्टोर होप (उम्मीद बहाली) के तहत सबसे पहले समंदर से 6 से 8 मरीन्स बाहर आए. इसके बाद तीन नाव पर सवार होकर 24 जवान रेत के टीलों से होते हुए टीवी क्रू के सामने आते हैं. अमेरिकी युद्धपोत 'जनो' से मरीन बख्तरबंद गाड़ियों में सवार होकर तटों तक पहुंचते हैं और तट को अपने कब्जे में लेते हैं. तट को पूरी तरह से सुरक्षित करने के बाद 1800 जवान सोमालिया की राजधानी पर कदम रखते हैं.
मरीन्स का उद्देश्य मोगादिशु एयरपोर्ट और बंदरगाह क्षेत्रों को सुरक्षित करना था ताकि खाद्य सामग्री और दवाइयां जरूरतमंद सोमाली तक एयरलिफ्ट की जा सके. सोमालिया पर कब्जे के बाद हजारों लोगों की जिंदगी बचाने के बावजूद मिशन उस वक्त विफल होता दिखा जब भीषण लड़ाई में 18 अमेरिकी सैनिक मारे गए. अमेरिकी सैनिक दो हेलिकॉप्टर में सवार होकर विद्रोही गुट के नेता जनरल मुहम्मद फराह एदिद को पकड़ना चाह रहे थे. लेकिन विद्रोही के हमले में दो में से एक हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया और 18 सैनिक मारे गए. आखिरकार 1995 में संयुक्त राष्ट्र ने सेना वापसी का फैसला किया लेकिन देश की बागडोर संभालने के लिए कोई सरकार नहीं थी.