15 नवंबर 1978 को आज ही के दिन मक्का से इंडोनेशिया ले जा रहा एक विमान श्रीलंका में हादसे का शिकार हो गया. इस दुर्घटना ने दुनिया भर के जांचकर्ताओं को उलझा कर रख दिया.
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हादसे में 183 लोगों की मौत हुई. विमान के सभी यात्री मुस्लिम थे और वे हज कर मक्का से लौट रहे थे. यात्रियों को लाने के लिए इंडोनेशिया की गरुडा इंडोनेशियाई एयरवेज ने आईसलैंड के विमान डीसी-8 को किराये पर लिया था. जेद्दाह एयरपोर्ट से उड़ान भरने के बाद विमान को इंडोनेशिया के एयरपोर्ट पर उतरना था. लेकिन उससे पहले रास्ते में श्रीलंका के कोलंबो एयरपोर्ट पर जहाज को चालक दल बदलने और ईंधन भरने के लिए रुकना था. उड़ान के दौरान सबकुछ ठीक था. विमान कोलंबो एयरपोर्ट की तरफ बढ़ा लेकिन इसी बीच रबर और नारियल के खेतों में क्रैश हो गया.
किसका पासपोर्ट है सबसे ताकतवर
हेनले एंड पार्टनर्स कंसल्टेंसी फर्म ने अपने 'वीसा प्रतिबंध इंडेक्स' 2015 में दुनिया के 199 देशों की रैंकिंग में पासपोर्ट की ताकत को दिखाया है कि किस नागरिक को कितने अधिक देशों में बिना वीसा के यात्रा करने का अधिकार है.
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इस रैंकिंग के अनुसार जर्मन और ब्रिटिश नागरिकों का पासपोर्ट दुनिया में सबसे ताकतवर माना जाता है. इसका अर्थ हुआ कि यूके या जर्मन पासपोर्ट धारक दुनिया के 173 देशों में बिना वीसा के प्रवेश कर सकता है.
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रैंकिंग में दूसरे स्थान पर हैं फिनलैंड, स्वीडन और अमेरिका - जहां के नागरिक 172 देशों में वीसा-फ्री यात्रा कर सकते हैं.
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तीसरा स्थान संयुक्त रूप से मिला है डेनमार्क, फ्रांस, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, नीदरलैंड्स और नॉर्वे को.
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कनाडा, बेल्जियम, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल और स्पेन चौथे स्थान पर हैं. जबकि ऑस्ट्रिया, आयरलैंड, सिंगापुर और स्विट्जरलैंड पांचवें पर. यूरोप के आठ अन्य देशों के पासपोर्ट भी इंडेक्स में टॉप दस स्थान में शामिल हैं.
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स्टडी में पाया गया कि यूएई के पासपोर्ट की ताकत अचानक काफी बढ़ गई है. कारण है मई 2015 में यूरोपीय संघ के साथ हुआ वीसा-फ्री यात्रा का करार. अब यूएई नागरिक कुल 113 देशों की यात्रा कर सकते हैं जिनमें शेंगन क्षेत्र के 26 देश भी शामिल हैं.
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इंडेक्स में भारत का नंबर है 84वां, और स्कोर 51 जिसका मतलब हुआ कि भारतीय पासपोर्ट धारक दुनिया के 51 देशों में बिना पहले से वीसा लिए यात्रा कर सकते हैं.
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हादसे के बाद जांच समिति बैठी, वॉयस और डेटा रिकॉर्ड्स से पता चला कि पायलट ने कई छोटी छोटी गलतियां की थीं जो काफी अहम थीं. जब विमान एयरपोर्ट के नजदीक था तो उसने कंट्रोल टॉवर को उसकी सूचना नहीं दी और उतरते वक्त ऊंचाई का सही आंकलन नहीं किया. रनवे के नजदीक आते समय विमान काफी तेजी से नीचे उतर रहा था. इस समय विमान की ऊंचाई नापने का यंत्र खतरे का संकेत दे सकता था लेकिन वह गलत तरीके से सेट किया गया था. यंत्र को 250 फुट की जगह 150 फुट पर सेट किया गया था. जब तक पायलट को कुछ समझ आता और वह लैंडिंग को रद्द करता बहुत देर हो चुकी थी. एयरपोर्ट से कुछ किलोमीटर पहले ही विमान नारियल के पेड़ों से टकरा गया और रबर के खेत में जा गिरा.
रूसी विमान हादसे का जिम्मेदार कौन?
31 अक्टूबर को मिस्र के सिनाई से लौट रहा रूसी विमान टेक ऑफ के कुछ देर बाद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया. एयरबस ए321 में मौजूद सभी 224 लोगों की इस हादसे में जान चली गयी. इनमें 214 रूसी नागरिक शामिल थे.
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जांच जारी
रूस और फ्रांस के विमानन विशेषज्ञ इस दुर्घटना की वजह का पता लगाने में जुटे है. ब्लैक बॉक्स मिल गया है लेकिन अब तक साफ तौर पर कोई जानकारी नहीं मिली है. हालांकि हादसे के कारणों पर कई अटकलें लग रही हैं.
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बाहर से हमला?
जांच समिति के एक सदस्य ने अपनी पहचान ना बताने की शर्त पर समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया है कि ऐसा नहीं लगता कि विमान से बाहर से कोई चीज टकराई हो.
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तकनीकी खराबी नहीं
वहीं विमान कंपनी का कहना है कि हवाई जहाज तकनीकी रूप से बिलकुल फिट था और तकनीकी खराबी के चलते इतना बड़ा हादसा होना मुमकिन नहीं है. कंपनी के अनुसार 26 अक्टूबर को विमान के दोनों इंजनों की जांच हुई थी.
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एयर कंट्रोल से संपर्क
हादसे के दौरान पायलट ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क नहीं किया. विमान कंपनी का कहना है कि सब कुछ इतनी जल्दी हुआ कि पायलट के पास संपर्क करने का कोई मौका ही नहीं था.
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राष्ट्रीय शोक
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस घटना पर दुख जताते हुए रविवार को राष्ट्रीय शोक दिवस घोषित किया. उन्होंने जोर दे कर कहा कि हादसा कैसे हुआ, इसकी जड़ तक पहुंचना जरूरी है.
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कई संभावनाएं
पुतिन सरकार के प्रवक्ता दिमित्री पेश्कोव ने कहा है कि इस मामले में किसी भी तरह की संभावना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. उन्होंने इसके पीछे आतंकवादियों का हाथ होने से भी इंकार नहीं किया.
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जिम्मेदारी किसकी?
मिस्र के एक आतंकवादी संगठन ने हमले के पीछे होने का दावा किया है. संगठन के तार इस्लामिक स्टेट से जुड़े हैं. संगठन के अनुसार यह "रूस द्वारा सीरिया की जमीन पर मुसलामानों की जान" का बदला है. रूस ने एक महीना पहले सीरिया में हवाई हमले शुरू किए थे.
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इस्लामिक स्टेट का हाथ?
मिस्र में मौजूद इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों के पास ऐसे मिसाइल मौजूद नहीं हैं, जो 30,000 फीट की ऊंचाई पर हमला कर सके. आईएस पहले भी ऐसे कई दावे कर चुका है, जिनके पीछे उसका हाथ नहीं रहा है.
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शोक में
मारे गए यात्रियों के शव रूस के सेंट पीटर्सबर्ग के पुलकोवो हवाईअड्डे पर लाए गए हैं, जहां परिजन शोक में डूबे हैं. रूसी नागरिकों ने मोमबत्तियां जला कर और फूल रख कर मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की.
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अच्छा रिकॉर्ड
यह विमान 1997 से चल रहा था और अब तक 21,000 उड़ानें भर चुका था. सुरक्षा के लिहाज से इसका अच्छा रिकॉर्ड रहा है. टेक ऑफ के 23 मिनट बाद यह रडार से गायब हो गया. उस वक्त यह 31,000 फीट की ऊंचाई पर था.
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क्रैश होते ही आग का बड़ा गोला बन गया. आग को बुझाने के लिए पांच दमकल की गाड़ियों को भेजा गया. लेकिन दमकल कर्मचारी आग के नजदीक नहीं पहुंच पाए क्योंकि गाड़ियां वहां तक पहुंच नहीं पाईं. 173 यात्री और चालक दल के 8 सदस्यों की हादसे में मौत हो गई थी. 32 जख्मी हुए. यह चमत्कार ही माना जाता है कि कैबिन का अगला हिस्से आग की चपेट में नहीं आया और 42 लोग बच निकले.