इतिहास में आज: 17 जनवरी
१६ जनवरी २०१४सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है. विश्व में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा परिषद के पास अहम कदम उठाने और दण्ड देने का अधिकार भी है. सुरक्षा परिषद शांति और सुरक्षा से जुड़े मसलों पर विचार करता है, प्रस्ताव पास करता है और गलती कर रहे देशों को दंड भी देता है. ताजा उदाहरण विवादास्पद परणामु कार्यक्रम के लिए ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाना है.
संयुक्त राष्ट्र संघ की ही तरह उसके सर्वोच्च अंग सुरक्षा परिषद का गठन भी द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में शांति व्यवस्था पर नियंत्रण के मकसद से हुआ था. हालांकि शुरुआती सालों में अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध के कारण इसकी भूमिका नगण्य ही रही लेकिन सोवियत संघ के विघटन के बाद इसकी ताकत नाटकीय ढंग से बढ़ती दिखाई दी. कुवैत, नामिबिया, कंबोडिया, बोस्निया, रवांडा, सोमालिया, सूडान और कांगो गणराज्य में संयुक्त राष्ट्र को शांति कार्यक्रमों में अलग अलग स्तर की सफलता मिली.
सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य हैं. इनमें पांच स्थाई सदस्य (संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ़्रांस, रूस और चीन) हैं और दस अस्थायी सदस्य. इस समय सुरक्षा परिषद के दुनिया भर में 15 अलग अलग शांति कार्यक्रमों पर करीब सवा लाख शांतिरक्षक सैनिक तैनात हैं.
शीत युद्ध की समाप्ति के बाद संयुक्त राष्ट्र में सुधार करने और विकासशील देशों के बढ़ते प्रभाव को फैसला लेने की प्रक्रिया में शामिल करने की मांग की जा रही है. सुरक्षा परिषद का विस्तार कर उसमें प्रमुख विकासशील देशों को शामिल करने की मांग भी है. भारत के अलावा जर्मनी, जापान और ब्राजील ने भी सुरक्षा परिषद की स्थाई सीटों पर दावा जताया है.