1950, शिकागो- 49 साल की रूथ टकर के गुर्दे खराब हो चुके थे. टकर अस्पताल के बिस्तर पर मौत का इंतजार नहीं करना चाहती थीं. डॉक्टर रिचर्ड लॉलर की टीम ने फिर तय किया कि वे एक मृत महिला के शरीर से एक किडनी लेंगे और उसे टकर के शरीर में ट्रांसप्लांट करेंगे. टकर के पास एक ही गुर्दा बचा था और उसकी हालत भी काफी खराब थी.
उस समय डॉक्टरों के पास भी इन्फेकशन रोकने के लिए अच्छी दवाइयां नहीं थीं, लेकिन गुर्दा उन्होंने फिर भी ट्रांसप्लांट किया. टकर का शरीर गुर्दे को सही तरह अपना नहीं पाया लेकिन डॉक्टरों ने किसी तरह गुर्दे को टकर के शरीर में नौ महीनों तक रखा. उनका दूसरा गुर्दा तब तक ठीक हो गया और वह पांच और साल जी चुकी. उनकी मौत उनके गुर्दे की वजह से नहीं, बल्कि दिल की बीमारी से हुई.
चार साल बाद 1954 में पहली बार दो जिंदा लोगों के बीच किडनी ट्रांसप्लांट हुआ. बॉस्टन के डॉक्टरों ने रिचर्ड हेरिक को बचाने के लिए उसके जुड़वां भाई रोनाल्ड से एक गुर्दा लिया. क्योंकि वे जुड़वां थे, तो उनके शरीर भी एक जैसे थे और गुर्दे को शरीर ने स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं की. इस काम के लिए डॉक्टर जोसेफ मरे को 1990 में नोबल चिकित्सा पुरस्कार से नवाजा गया.
अंग प्रत्यारोपण मरीजों की जान बचाने में अहम साबित हो सकता है, लेकिन दानकर्ताओं के अभाव में बहुत से मरीज प्रत्यारोपण के इंतजार में रहते हैं. जानिए स्थिति को बदलने के लिए दुनिया भर में क्या क्या किया जा रहा है.
तस्वीर: DWट्रांसप्लांट में अक्सर यह दिक्कत होती है कि शरीर किसी और के अंग को स्वीकार नहीं कर पाता. परिवार के किसी सदस्य का अंग हो तो शरीर को उसे अपनाने में आसानी होती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaमरने से पहले दिल दान करने का फैसला लिया जा सकता है, अधिकतर लोगों का इस ओर ध्यान केवल तब जाता है जब किसी अपने को इसकी जरूरत पड़ती है.
तस्वीर: Fotolia/Arcadyभारत की कई झुग्गियों में यह बात फैली हुई है कि गुर्दा बेचना गरीबी से बाहर निकलने का एक रास्ता है. एक गुर्दे के करीब 55,000 रुपये तक मिल जाते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaआरोप लगाया जाता है कि तस्करी में शामिल डॉक्टर ऑपरेशन करने के लिए एक से दूसरे देश यात्रा करते रहते हैं. ये ऑपरेशन अधिकतर ऐसे देशों में होते हैं जहां कानून कड़े नहीं हैं और पकड़े जाने का खतरा कम है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaदिल और गुर्दे समेत कई तरह के अंगों के लिए लोग लम्बी वोटिंग लिस्ट में हैं. जब तक ट्रांसप्लांट ना हो सके, तब तक स्टेम सेल की मदद से फायदा मिल सकता है.
तस्वीर: dapdजर्मनी में अब बीमा कम्पनियां लोगों से पूछ रही हैं कि क्या वे अंग दान करना चाहेंगे. हर व्यक्ति को यह कार्ड भरना है.
तस्वीर: Getty Imagesअंगदान के बारे में लोगों की मानसिकता अगर बदल जाए तो लाखों जानें बच सकेंगी.
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