इतिहास में आज: 22 जुलाई
२१ जुलाई २०१४सूर्य ग्रहण भारत में जितना आस्था का विषय है उतना ही वैज्ञानिकों के लिए शोध का भी. 22 जुलाई 2009 को हुए 21वीं सदी के लंबे पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान वैज्ञानिकों ने सूर्य से निकलने वाली किरणों के बारे में अध्ययन किया. वहीं जीव वैज्ञानिकों ने ग्रहण के दौरान पशु पक्षियों के व्यवहार का अध्ययन किया क्योंकि अचानक सूरज के गायब होने और पृथ्वी पर अंधेरा छा जाने के कारण जानवरों की जैविक घड़ी गड़बड़ा जाती है. सूर्यग्रहण के मौके पर उज्जैन, वाराणसी और करनाल जैसे धार्मिक स्थलों में पूजा पाठ का आयोजन भी होता है.
इस दिन सूर्य ग्रहण का अनुभव लेने के लिए दुनिया भर से लोग बिहार, गुजरात, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में इकट्ठे हुए. बिहार का तारेगना गांव अचानक दुनिया भर में चर्चा में आ गया, जहां से सूर्यग्रहण सबसे अच्छी तरह दिखने वाला था. लेकिन अफसोस यह रहा कि ऐन मौके पर मौसम ने साथ न दिया और वहां बादल छाए रहे. कुछ ट्रैवल एजेंसियों ने इस मौके पर विशेष विमान को कई हजार फुट की ऊंचाई पर ले जा कर यात्रियों को सूर्यग्रहण का नजारा दिखाने का प्रबंध भी किया था.