भारतीय उड्डयन इतिहास में आज का दिन एक काले दिन के तौर पर याद किया जाता है. 2010 में दुबई से मैंगलोर आ रहा एयर इंडिया का विमान आखिरी मौके पर हादसे का शिकार हो गया और इसमें सवार डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो गई.
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दुबई से रात नौ बजे उड़ान भरने के बाद एयर इंडिया का बोइंग 737-800 मैंगलोर एयरपोर्ट पहुंचा. लेकिन वह रनवे से बाहर निकल गया और पहाड़ी इलाके में हादसे का शिकार हो गया. इसमें सवार 160 मुसाफिरों और चालक दल के आठ सदस्यों में से 158 लोगों की मौत हो गई. जबकि आठ लोग आश्चर्यजनक तरीके से बच गए. यह हादसा भारतीय उड्डयन के तीन सबसे खतरनाक हादसों में शामिल हो गया. इससे पहले 1996 में दिल्ली के पास चरखी दादरी में दो विमानों की आकाश में टक्कर हो गई थी, जिसमें 349 लोग मारे गए थे. उसके अलावा 1978 में एयर इंडिया का एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें 213 लोग मारे गए थे.
मैंगलोर का एयरपोर्ट भारत के कुछ मुश्किल एयरपोर्टों में शामिल है. किसी विमान के मैंगलोर रनवे से बाहर निकल जाने की यह दूसरी घटना थी. रनवे से बाहर निकलने के बाद जब विमान पहाड़ियों से टकराया, तो बचाव के लिए स्थानीय लोग पहुंचे. लेकिन विमान तब तक कई टुकड़ों में टूट चुका था. हादसे में किसी तरह बचने वाले एक शख्स का कहना था, "विमान दो टुकड़ों में टूट गया और केबिन से गहरा धुआं निकलने लगा. मैं किसी तरह खिड़की से बाहर निकला. मेरे बाद छह और मुसाफिर उसी खिड़की से निकलने की कोशिश करने लगे. बाद में गांववालों ने हमें बचाया."
(क्या कहती है इन हादसों की जांच रिपोर्ट)
हादसे और उनकी वजह
दुनिया भर में रोज 76,000 से ज्यादा विमान लाखों यात्रियों को मंजिल तक पहुंचाते हैं. लेकिन जब कभी कोई हादसा होता है तो सुरक्षा के लिहाज से कान खड़े हो जाते हैं. एक नजर बीते पांच साल के बड़े हवाई हादसों और उनके कारणों पर.
तस्वीर: picture alliance/dpa
जर्मनविंग्स (24.03.2015)
जर्मन एयरलाइंस जर्मनविंग्स का एक विमान बार्सिलोना से डुसेलडॉर्फ जाते हुए फ्रांस में आल्प की पहाड़ियों में क्रैश हुआ. विमान में सवार सभी 150 लोगों की मौत हुई. को-पायलट ने जानबूझकर विमान को क्रैश किया.
तस्वीर: French Interior Ministry/DICOM/Y. Malenfer via Reuters
एयर एशिया (28.12.2014)
162 लोगों को लेकर जा रहा एयर एशिया का विमान एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क टूटने के बाद लापता हो गया. साल भर बाद आई जांच रिपोर्ट के मुताबिक विमान के रडर सिस्टम में खराब उपकरण लगा था. हादसे के लिए पायलटों को भी जिम्मेदार ठहराया गया.
तस्वीर: Reuters/A. Berry
एयर अल्जेरी (24.07.2014)
बुर्किना फासो की राजधानी वागादुगू से अल्जीयर्स के लिए निकली एयर अल्जेरी की फ्लाइट उत्तरी माली में क्रैश हुई. पायलटों ने आखिरी बार एयर ट्रैफिक कंट्रोल को सूचना दी कि खराब मौसम के चलते वो रास्ता बदल रहे हैं. जुलाई में यह तीसरा विमान हादसा था.
तस्वीर: Reuters/Ouagadougou airport
एमएच17 (17.07.2014)
मलेशिया एयरलाइंस के लिए यह साल बेहद बुरा रहा. मार्च के हादसे के चार महीने बाद हॉलैंड से मलेशिया जा रही फ्लाइट एमएच17 यूक्रेन में क्रैश हो गई. हादसे में सभी 298 लोगों की मौत हो गई. विमान को यूक्रेन के संकटग्रस्त इलाके में एक मिसाइल ने मारा.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
ट्रांसेशिया एयरलाइंस (23.07.2014)
ताइवान के पेंघु द्वीप में ट्रांसेशिया एयरलाइंस का छोटा विमान खराब मौसम के चलते एयरपोर्ट से कुछ दूर क्रैश हो गया. हादसे में 48 लोगों को मौत हुई. तूफान में फंसी फ्लाइट को पायलट ने दूसरी बार इमरजेंसी लैंडिंग में उतारने की कोशिश की, जो नाकाम रही.
तस्वीर: Reuters
मलेशिया एयरलाइंस (08.03.2014)
8 मार्च 2014, मलेशिया एयरलाइंस की फ्लाइट कुआलालम्पुर से बीजिंग जाते वक्त दक्षिण चीन सागर के ऊपर लापता हो गई. विमान में सवार 227 यात्री और 12 चालक दल सवार थे. विमान के मलबे को ढूंढने का काम जारी रही है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
भोजा एयर (20.04.2012)
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के एयरपोर्ट पर लैंड करने से ठीक पहले भोजा एयर का बोइंग 737 क्रैश हो गया. हादसे में 127 लोग मारे गए. जांच में पायलट को हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराया गया. को-पायलट की चेतावनी के बावजूद कैप्टन विमान को नीचे उतारता गया. धुंध में जमीन नहीं दिखी और विमान टकरा गया.
तस्वीर: Reuters
ईरान एयर (09.01.2011)
ईरान एयर का बोइंग विमान पश्चिमोत्तर ईरान में जमीन पर टकराकर हजारों टुकड़ों में बदल गया. हादसे में 77 लोग मारे गए. हादसे की जांच रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं हुई है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
एयर इंडिया (22.05.2010)
22 मई 2010, दुबई से लौट रहा एयर इंडिया का विमान मंगलौर एयरपोर्ट के रनवे को पार करता हुआ पहाड़ी से नीचे गिर गया. 152 लोगों की मौत हुई. हादसे के लिए पायलट को जिम्मेदार ठहराया गया. पायलट के परिवार के मुताबिक एयर इंडिया ने अचानक ड्यूटी बदलते हुए थके हुए पायलट को फिर से कॉकपिट में बैठाया. कई हादसों की जांच में यह साफ हो चुका है कि थके पायलट को हर कीमत पर आराम दिया जाना चाहिए.
तस्वीर: AP
अफ्रीक्याह एयरवेज (12.05.2010)
दक्षिण अफ्रीकी शहर जोहानिसबर्ग से लीबिया की राजधानी त्रिपोली के लिए निकला अफ्रीक्याह एयरवेज का एयरबस विमान लैंडिंग से ठीक पहले क्रैश हुआ. हादसे में 103 लोग मारे गए, सिर्फ एक नौ साल का बच्चा बचा. हादसे के लिए पायलट की थकान और उसकी गलती को जिम्मेदार माना गया.
तस्वीर: AP
राष्ट्रपति की मौत (10.04.2010)
रूस के स्मोलेस्क शहर के बाहर हुए हवाई हादसे में पोलैंड के राष्ट्रपति लेख काजिंस्की समेत 96 लोगों की मौत हो गई. विमान पोलैंड की वायु सेना का था. बदत्तर मौसम की वजह से पायलट विमान उतारना नहीं चाहते थे, लेकिन विमान में सवार अधिकारियों ने लैंडिंग का दबाव डाला.
तस्वीर: AP
यमेनिया (30.06.2009)
यमन की राजधानी सना से कोमोरोस आइलैंड के निकला एयरबस का विमान हिंद महासागर में क्रैश हुआ. हादसे में 153 लोग मारे गए. राहतकर्मियों को 13 घंटे बाद तैरते मलबे पर बैठी एक 12 साल की बच्ची जिंदा मिली. हादसे के लिए पायलट के जोखिम भरी कलाबाजियों को जिम्मेदार ठहराया गया.
तस्वीर: AP
एयर फ्रांस (01.06.2009)
ब्राजील के शहर रियो डे जेनेरो से पेरिस के लिए उड़ा एयर फ्रांस का एयरबस विमान अटलांटिक महासागर के ऊपर लापता हो गया. कई घंटे बाद पता चला कि विमान महासागर में क्रैश हुआ है. विमान में सवार सभी 228 लोग मारे गए. हादसे के लिए सेंसरों की गड़बड़ी और नए पायलट की अनुभवहीनता को जिम्मेदार माना गया.