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इतिहास में आज: 24 जुलाई

समरा फातिमा२३ जुलाई २०१३

अर्थव्यवस्था के मामले में दुनिया के कुछ सबसे तेजी से भाग रहे देशों में भारत शामिल है. इस रफ्तार का बीज आज ही के दिन 1991 में बोया गया था.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण का जनक माना जाता है. 1991 में जब नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने तो उस समय भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत डावांडोल थी और भारत दिवालियेपन की कगार पर था. तब मनमोहन सिंह कैबिनेट में वित्त मंत्री के रूप में शामिल किए गए थे. 

आज ही के दिन 1991 में मनमोहन सिंह ने संसद में बजट पेश किया जिसने भारत के लिए आर्थिक उदारीकरण के रास्ते खोले. इस प्रस्ताव में वि‍देश व्‍यापार उदारीकरण, वि‍त्तीय उदारीकरण, कर सुधार और वि‍देशी नि‍वेश का रास्ते को खोलने का सुझाव शामि‍ल था. इसका नतीजा यह हुआ कि सकल घरेलू उत्‍पाद की औसत वृद्धि दर (फैक्‍टर लागत पर) जो 1951  से 91 के दौरान 4.34 प्रति‍शत थी 1991 से 2011 के दौरान 6.24 प्रति‍शत के रूप में बढ़ी.

वित्त मंत्री बनने से पहले मनमोहन सिंह भारत के केंद्रीय बैंक- भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर थे और उनका नाम नोटों पर रहा करता था. 1996 में नरसिंह राव के सत्ता से जाते-जाते भारतीय अर्थव्यवस्था न केवल पटरी पर आ गई बल्कि उसने गति भी पकड़नी शुरू कर दी. वाजपेयी सरकार ने इसे और गति दी, लेकिन 2004 में बीजेपी का भारत उदय नारा लोगों को रिझा न सका.

कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई और सरकार की कमान मनमोहन सिंह को सौंपी गई. पंडित नेहरू के बाद वह एकलौते ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद दोबारा सत्ता में आए. हालांकि मनमनोहन के ही दूसरे कार्यकाल में अर्थव्यवस्था पटरी से उतरती भी नजर आ रही है. बीते चार साल से विकास दर लगातार गिरती जा रही है.

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