इतिहास में आज: 24 दिसंबर
२४ दिसम्बर २०१३आधी रात होते ही अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में सोवियत संघ ने सैन्य विमानों के जरिए सैनिकों को उतारना शुरू किया. इस प्रक्रिया में करीब 280 परिवहन विमान का इस्तेमाल किया गया. साथ ही सेना के तीन डिवीजन को काबुल में तैनात किया गया. हर डिवीजन में 8500 सैनिक थे. कुछ ही दिनों के भीतर सोवियत संघ का काबुल पर कब्जा हो गया. हफीजुल्लाह अमीन के प्रति वफादार अफगान सैनिकों ने भीषण लेकिन संक्षिप्त विरोध किया. 27 दिसंबर को बबराक करमाल देश के नए शासक बनाए गए. अफगानिस्तान के उत्तरी इलाके से सोवियत सेना की पैदल टुकड़ी दाखिल हुई. हालांकि सोवियत सेना को उस वक्त तगड़ा विरोध झेलना पड़ा जब वे अपने गढ़ से निकलकर ग्रामीण इलाकों में जाने की कोशिश करने लगी. मुजाहिदिनों को अफगानिस्तान पर सोवियत शासन नामंजूर था और उन्होंने इस्लाम के नाम पर जिहाद छेड़ दिया. जिहाद का समर्थन इस्लामी दुनिया से भी मिला. मुजाहिदिनों ने सोवियत संघ के खिलाफ गुरिल्ला रणनीति अपनाई. वे सोवियत सैनिकों पर हमले करते और पहाड़ों में छिप जाते. वे बिना किसी युद्ध में शामिल हुए सोवियतों का बड़ा नुकसान करने लगे. सोवियतों के खिलाफ लड़ाई में मुजाहिदिनों को अमेरिका हथियार मुहैया करा रहा था. इसके अलावा वे सोवियत सैनिकों से लूटे हथियार भी इस्तेमाल कर रहे थे.
इसी तरह से युद्ध चलता रहा. 1987 में अमेरिका ने अफगानों को कंधे पर रखकर इस्तेमाल की जाने वाली एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइलें दी. इसके बाद क्या था अफगानों ने सोवियत संघ के लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों को हवा में ही नष्ट करना शुरू कर दिया. सोवियत नेता मिखाइल गोर्वाचोव ने जब देखा कि अफगानिस्तान में जीत नहीं मिल रही है तो उन्होंने देश से निकलने का फैसला किया. 1988 में सोवियत सेना ने अफगानिस्तान छोड़ना शुरू किया. सोवियतों को इस लड़ाई में 15000 सैनिकों को खोना पड़ा. इसके अलावा सोवियत संघ को आर्थिक तौर पर भी बहुत नुकसान झेलना पड़ा. 1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया. सोवियत संघ के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद देश में आतंकवाद फलने फूलने लगा. इसके बाद ही ओसामा बिन लादेन का उदय हुआ.