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इतिहास में आज: 25 मार्च

२४ मार्च २०१४

सन् 1901 में आज ही के दिन मर्सिडीज कार जनता के सामने पेश की गई थी. इसी के साथ कई तरह की सुविधाओं से लैस और लक्जरी की नई परिभाषा गढ़ने वाली कारों का एक नया युग शुरू हुआ.

Mercedes-Benz-Niederlassung an den Champs Elysees in Paris
तस्वीर: imago/Sebastian Geisler

35 हॉर्सपावर क्षमता वाली डाइमलर कंपनी की मर्सिडीज कार को पहला आधुनिक ऑटोमोबाइल कहना गलत नहीं होगा. एमिल येलिनेक के निर्देशों के हिसाब से 1900 में विलहेल्म मायबाख ने जो कार बनाई उसे फ्रांस के नीस शहर में 5 दिनों तक चलने वाले "वीक ऑफ नीस" में जनता के सामने लाया गया. जर्मनी में बनी मर्सिडीज का नाम स्पैनिश भाषा से लिया गया. शब्द था 'मर्सी', जिसका मतलब है "दया". लेकिन माना जाता है कि कार का नाम असल में कंपनी के ऑस्ट्रियन मालिक एमिल येलिनेक की बेटी मर्सिडीज येलिनेक के नाम पर रखा गया था.

इससे पहले किसी कार में इतने सारे नए फीचर्स नहीं थे. प्रेस्ड स्टील फ्रेम और हनीकोंब रेडिएटर जैसी नई तकनीकों वाली पहली मर्सिडीज की पहली ड्राइव तो बहुत जोशोखरोश के साथ शुरू हुई लेकिन कुछ दूर चलकर ही कार बंद हो गई. लेकिन नीस ऑटोमोबाइल सप्ताह के खत्म होते होते लोग इस मशीन की स्पीड और पावर के दीवाने हो चुके थे. उस समय दर्शकों में शामिल कानश्टाट के एक जाने माने फ्रेंच पत्रकार ने कार की डिजाइन, क्षमता और कारीगरी से प्रभावित होकर तभी कह दिया था, "हम मर्सिडीज युग में प्रवेश कर चुके हैं!"

जर्मनी की यह निर्माता मर्सिडीज बेंज डाइमलर की एक कंपनी है जिसका मुख्यालय श्टुटगार्ट शहर में है. मर्सिडीज बेंज नाम 1926 से प्रचलन में आया. इनका नारा है, "सर्वश्रेष्ठ या फिर कुछ नहीं". यह ऑडी और बीएमडब्ल्यू के साथ जर्मनी की तीन प्रमुख लक्जरी कार कंपनियों में शामिल है.

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