संध्या का समय था, दिन भर के काम निपटा कर बापू प्रार्थना के लिए बढ़ रहे थे. "ईश्वर, अल्लाह तेरे नाम, सबको सन्मति दे भगवान" जैसे भजन गूंजने ही वाले थे कि नाथूराम गोडसे पहुंच गया, थोड़ी ही देर बाद अहिंसा का दीपक बुझ गया.
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महात्मा गांधी ने वो दौर भी देखा जब यूरोप में हिटलर और मुसोलिनी जैसे बर्बर तानाशाह नस्लवाद के नाम पर यहूदियों का कत्लेआम कर रहे थे. 1945 में दूसरा महायुद्ध खत्म होते होते हिटलर ने 60 लाख यहूदियों को मरवा दिया. लाखों को गोली मारी गई और लाखों को जहरीले गैस चैम्बर में डालकर मार दिया गया. हिटलर ने यहूदियों के प्रति घृणा फैलायी और जनमानस को भ्रमित कर अपने साथ कर लिया.
जर्मनी, फ्रांस, ऑस्ट्रिया, पोलैंड और सोवियत संघ में जगह जगह यहूदियों की संपत्ति लूटी गई. सैकड़ों महिलाओं को नग्न कर उन्हीं के बच्चों के सामने गोली मारी गई. मासूम बच्चों पर भी नाजियों को रहम नहीं आया.
महात्मा गांधी से यह छुपा नहीं था. सादा जीवन जीने वाले बापू अध्ययन और पत्राचार में काफी वक्त बिताया करते थे. वो जानते थे कि जातीय और नस्ली हिंसा के कैसे परिणाम हो सकते हैं. 1947 आते आते ब्रिटिश इंडिया में भी कई जगह बड़े सांप्रदायिक दंगे होने लगे. सदियों से साथ रह रहे हिन्दू, मुसलमान एक दूसरे का खून बहाने लगे. अहिंसा का पुजारी इससे आहत हुआ.
गांधीजी की जिंदगी के 10 पड़ाव
70 साल से ज्यादा हो गए जब भरी सभा में नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की थी. उन्हें तो मार दिया गया, लेकिन क्या गांधी खत्म हो पाए. एक नजर भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इस नायक की जिंदगी के 10 अहम पड़ावों पर.
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1869
दो अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म हुआ.
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1883
घरवालों ने कस्तूरबा मानकजी से मोहनदास की शादी करा दी. शादी के समय दोनों की उम्र 13 साल थी. बाद में उनके चार बच्चे हुए. यह तस्वीर 1915 की है जब वे दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे.
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1888-1891
यह वह समय था जब गांधीजी ने लंदन में कानून की पढ़ाई की ताकि वह बैरिस्टर बन सकें. हालांकि परिवार वाले उन्हें इतनी दूर भेजने को तैयार नहीं थे.
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1893-1915
गांधी को गांधी बनाने में उनके दक्षिण अफ्रीका प्रवास का अहम योगदान था जहां उन्होंने एक वकील के तौर पर जिंदगी शुरू की. यहीं 1913 में उन्होंने पहला अहिंसक आंदोलन किया.
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1922
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में नैतिकता का स्तंभ बनने के बाद गांधी ने ब्रिटिश राज के खिलाफ सविनय अवज्ञा आंदोलन छेड़ा. उन्हें गिरफ्तार किया गया और वे दो साल जेल में रहे.
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1930
उन्होंने ब्रिटिश सरकार के नमक कानून के खिलाफ अहिंसक मार्च निकाला. अहमदाबाद में अपने आश्रम से पैदल 350 किलोमीटर का सफर तय कर वह दांड़ी तक गए. उन्हें दस हजार लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया.
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1932
जेल में उन्होंने "अछूतों" के लिए अलग से चुनाव क्षेत्र रखने की योजना के खिलाफ आमरण अनशन किया. वह अनशन को कई बार हथियार की तरह इस्तेमाल करते थे.
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1942
उन्होंने 'अंग्रजो भारत छोड़ो' आंदोलन का बिगुल बजाया. उन्हें गिरफ्तार किया गया और 1944 तक जेल में रखा गया. गां
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1947
भारत को अंग्रेजी राज से आजादी मिली. गांधी नहीं चाहते थे कि भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हो. लेकिन सांप्रदायिक दंगों के बीच उन्होंने दिल पर पत्थर रख कर आखिर इसे स्वीकार किया.
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1948
नई दिल्ली में एक प्रार्थना सभा के दौरान नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की गोली मार कर हत्या कर दी. उनकी यात्रा में बीस लाख लोगों ने हिस्सा लिया.
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लेकिन उनकी वेदना को न तो मुस्लिम लीग ने समझा और न ही हिन्दू महासभा ने. 14 अगस्त 1947 को भारत विभाजित हो गया. 15 अगस्त आते आते एक भूखंड दो देशों में बंट गया, भारत और पाकिस्तान. गांधी चाहते थे कि विभाजन का शिकार हुए दोनों तरफ के परिवारों को उनकी संपत्ति का मूल्य मिले. लेकिन हिन्दू महासभा के कट्टरपंथियों को इसमें तुष्टिकरण नजर आया.
विभाजन के बाद संपत्ति के बंटवारे और भारत में रह रहे मुसलमानों की रक्षा के लिए गांधी आगे आए. उन्हें उम्मीद थी कि जनता अपने बापू की बात सुनेगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. 30 जनवरी 1948 को शाम के करीब 5 बजकर 17 मिनट पर नाथूराम गोडसे घातक इरादों के साथ बिड़ला हाउस पहुंचा. गोडसे ने बापू के सामने हाथ जोड़े. इसके बाद गो़डसे ने बापू पर एक के बाद एक तीन गोलियां चलाईं. दक्षिण अफ्रीका में नस्लभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाला, भारत में अहिंसा के सहारे ब्रिटिश हूकूमत को धराशायी करने वाला 78 साल का संत लहूलुहान होकर जमीन पर गिर पड़ा. मुंह से आखिरी शब्द निकले, "हे राम."
इसके साथ ही बुद्ध, महावीर और नानक की धरती पर पैदा हुआ अहिंसा और प्रेम का एक और पुजारी विलीन हो गया.