1930 से शुरू हुए फुटबॉल विश्व कप के बाद इंग्लैंड को अपनी और इकलौती ट्रॉफी उठाने के लिए 36 साल इंतजार करना पड़ा. 1966 में लंदन के वेम्ब्ली स्टेडियम में खेले जा रहे फाइनल मुकाबले को देखने ब्रिटेन के शाही परिवार से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और राजकुमार फिलिप भी पहुंचे. करीब 93 हजार दर्शकों से खचाखच भरे स्टेडियम में मेजबान इंग्लैंड ने पश्चिम जर्मनी की टीम को फाइनल में हराया. पहली बार विश्व चैंपियन बनी इंग्लिश टीम के कप्तान बॉबी मूर ने रॉयल बॉक्स में महारानी एलिजाबेथ के हाथों विश्व चैंपियन की सुनहरी ट्रॉफी कबूली.
खेल बेहद दिलचस्प रहा और मुकाबला कांटे का. खेल का समय पूरा होने तक मैच का फैसला नहीं हो पाया. एक्स्ट्रा टाइम में खेलते हुए इंग्लैंड के ज्यॉफ हर्स्ट ने मैच में अपना तीसरा गोल दागा. इसी गोल की मदद से इंग्लैंड ने 4-2 से जीत दर्ज की. इसी गोल के साथ हर्स्ट ने एक व्यक्तिगत रिकॉर्ड भी अपने नाम किया. फीफा विश्व कप के इतिहास में किसी फाइनल मैच में गोलों की हैट्रिक मारने वाले वह पहले और आज तक के इकलौते खिलाड़ी बने हुए हैं. हर्स्ट के दूसरे गोल को लेकर काफी विवाद भी रहा है. जर्मन टीम ने दावा किया कि गोलपोस्ट से टकराने के बाद बॉल ने गोल लाइन पार नहीं की थी. लाइनमैन ने भी इसे गोल नहीं माना लेकिन आपसी बातचीत के बाद रेफरी ने गोल की सीटी बजा दी.
फुटबॉल के कुछ बड़े खिलाड़ी, ड्रामेबाजी में भी अव्वल होते हैं. विरोधी टीमों को उनके ड्रामेबाजी के हुनर से भी निपटना पड़ता है. तस्वीरों में वर्ल्ड कप के टॉप-7 ड्रामेबाज.
तस्वीर: Reutersनीदरलैंड्स के स्टार स्ट्राइकर आर्यन रोबेन, जितने मशहूर अपने खेल के लिए हैं, उतनी ही शोहरत उन्होंने ड्रामेबाजी में भी हासिल की है. मैच के दौरान उन्हें विपक्षी खिलाड़ी ने अगर छू भी दिया तो रोबेन चीखते हुए गिर पड़ते हैं और पेनल्टी मांगने लगते हैं. मेक्सिको के खिलाफ उन्हें ऐसे ही पेनल्टी मिली.
तस्वीर: Reutersसुआरेस को लोग अब उरुग्वे के स्टार स्ट्राइकर के साथ साथ स्टार बाइटर यानी काटने वाला भी कह रहे हैं. विपक्षी खिलाड़ियों को दांत गड़ाने वाले सुआरेस ऐसा दिखावा करते हैं जैसे विपक्षी टीम मैदान पर उनका शोषण कर रही हो.
तस्वीर: JAVIER SORIANO/AFP/Getty Imagesस्पेन के स्ट्राकर डियागो कोस्टा, हुनर के बजाए ड्रामे से खेल को ज्यादा प्रभावित करते हैं. वो बिना किसी के छुए भी गिर पड़ते हैं और पेनल्टी, पेनल्टी कहने लगते हैं. ड्रामे की ही बदौलत वो नीदरलैंड्स के खिलाफ एक पेनल्टी पाने में सफल हुए.
तस्वीर: Reutersजर्मनी के स्टार स्ट्राइकर भी हाल के बरसों में मैदान पर बहुत ड्रामा करने लगे हैं. हल्की सी छुअन छुआई में मुलर भी चीख उठते हैं. उनके ड्रामे से तंग आकर पुर्तगाल के पेपे ने म्यूलर से सिर लड़ा दिया, नतीजा हुआ रेड कार्ड.
तस्वीर: picture-alliance/dpaखुद फाउल करना लेकिन ऐसा दिखाना जैसे गलती सामने वाले खिलाड़ी ने की हो, इस कला में बिजली जैसी रफ्तार वाले इटली के स्टार स्ट्राइकर मारियो बालोटेली काफी आगे हैं. तस्वीर में नौ नंबर की जर्सी पहने बालोटेली.
तस्वीर: Reutersहॉलैंड के गोलकीपर टिम कुर्ल पेनाल्टी जैसे मौकों पर साइकोटेरर का सहारा लेते हैं. वो विपक्षी टीम के खिलाड़ियों को लगातार बरगलाते हैं. कोस्टा रिका के खिलाफ कुर्ल लगातार कहते रहे, "मुझे पता है, तुम कहां मारोगे."
तस्वीर: picture-alliance/dpaब्राजील के नेमार जूनियर भी मैदान पर जरूरत से ज्यादा नाटक करते हैं. यही वजह रही कि कोलंबिया के खिलाफ जब नेमार को गंभीर चोट लगी तो रेफरी ने इसे ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया.
तस्वीर: Reuters