अमेरिका और फ्रांस के सहयोग से चलाए जा रहे खोजी अभियान में टाइटेनिक के अवशेषों का पता चला. इस अभियान का नेतृत्व डॉक्टर रॉबर्ट बलार्ड कर रहे थे. जांच दल को पता चला कि जहाज समुद्र में 2.5 मील या करीब 4 किलोमीटर की गहराई पर पड़ा हुआ है. टूटे फूटे जहाज की पहली तस्वीरें इस अभियान में शामिल आर्गो नामकी एक मानवरहित पनडुब्बी से ली गईं थीं.
इन तस्वीरों को बड़ा करने पर रिसर्चरों को समुद्रतल पर जहाज का बॉयलर पड़ा हुआ दिखा. इसके बाद कई और रंगीन कैमरों को पानी के भीतर भेज कर तस्वीरें ली गईं. टाइटेनिक दुर्घटना से बच कर निकले कुछ लोगों और दुर्घटना में जान गंवाने वालों के परिवारजनों की यही इच्छा थी कि जहाज के अवशेषों को छेड़ा ना जाए. वे उसे अपने लोगों की समाधि मानते हैं. टाइटेनिक दुर्घटना में इस जहाज पर सवार 1,500 लोग मारे गए थे.
अमेरिकी नेवी ने कई उपकरणों की मदद से आठ हफ्ते तक खोज अभियान चलाकर जहाज की पहली तस्वीरें पाने में सफलता पाई थी. 1994 में एक अमेरिकी कोर्ट ने न्यू यॉर्क की आरएमएस टाइटेनिक आइएनसी. नामकी कंपनी को अवशेषों को बाहर निकालने के विशेष अधिकार दिए. टाइटेनिक के मलबे की छानबीन करने का अधिकार आज भी केवल इसी संस्था के पास है. अब कंपनी उच्च तकनीक और बढ़िया रिजॉल्यूशन वाले कैमरों की मदद से जहाज के मलबे की 3डी तस्वीरें बनाने पर काम कर रही है.
बड़े बड़े जहाज शिपयार्ड में बनाए जाते हैं और फिर उन्हें लाया जाता है पानी में. ऐसा ही एक अत्याधुनिक जहाज क्वांटम ऑफ द सीज उत्तरी जर्मनी के मायर शिपयार्ड से निकला. तस्वीरों में देखें उसे पानी में कैसे उतारा गया.
तस्वीर: picture-alliance/dpaजहाज ने 13 अगस्त को अपने शिपयार्ड से नाक बाहर निकाली. पापेनबुर्ग के मायर यार्ड के दरवाजे से धीरे धीरे इसे बाहर निकाला गया. यह जर्मनी में बना अब तक का सबसे बड़ा यात्री जहाज है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaआने वाले हफ्तों में क्वांटम को मायर यार्ड में आखिरी रूप दिया जाएगा. इसे जर्मनी के शिपयार्ड में अमेरिका के रॉयल कैरेबियन इंटरनेशनल जहाजरानी कंपनी के लिए बनाया गया है. इसे पांच जहाजों ने मिलकर बाहर निकाला.
तस्वीर: picture-alliance/dpaकई महीनों और हफ्तों की लंबी मेहनत के बाद क्वांटम ऑफ द सीज तैयार हुआ है. यह फिलहाल दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा यात्री जहाज है. 348 मीटर लंबाई वाला ये जहाज क्वीन मेरी द्वितीय से तीन मीटर लंबा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaइस जहाज में 18 डेक हैं और कुल 4,200 यात्री इसमें सफर कर सकते हैं. इतने बड़े जहाज को बाहर निकालना बड़ी कसरत है. एम्स से सागर तक की यात्रा लंबी है. खींचने वाले जहाजों की कुशलता जरूरी है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaसितंबर में ये जहाज उत्तरी सागर में उतरेगा. इसके लिए उसे एम्स नदी में उतारा जाएगा. इसकी पहली यात्रा दो नवंबर को ब्रिटेन के साउथैम्प्टन से अमेरिका के न्यू जर्सी की ओर शुरू होगी.
तस्वीर: picture-alliance/dpaउत्तरी सागर तक पहुंचने के लिए एम्स नदी में पहले पानी बढ़ाना पड़ेगा ताकि जहाज का पेंदा जमीन से टकराए नहीं और उसके नीचे कम से कम एक हाथ पानी हो.
तस्वीर: picture alliance/dpaहैम्बर्ग और ब्रेमन जैसे कुछ बंदरगाह जर्मनी में हैं जहां बड़े मालवाहक और यात्री जहाज पहुंचते हैं. हैम्बर्ग में सामान बंदरगाह के पास के गोदामों में रखा जाता है. एल्बे के पानी में जब ज्वार आता है तो नावें सामान लेकर इन गोदामों में जाती हैं और पानी उतरने के पहले बाहर आ जाती थीं.
तस्वीर: Hanna Grimmअक्सर यात्री जहाज हैम्बर्ग में रुकते हैं. वहां समंदर से एल्बे नदी में आने और मुड़ने की प्रक्रिया काफी मुश्किल और समय लेने वाली होती है. क्वीन मेरी द्वितीय जहाज को एल्बे में मोड़ा गया था.
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