दुनिया के पहले इलेक्ट्रॉनिक शेयर बाजार नैस्डैक की शुरुआत आज ही के दिन 8 फरवरी, 1971 को हुई. अमेरिका के वॉल स्ट्रीट पर पिछले पांच दशकों से भी ज्यादा समय से नैस्डैक वित्तीय बाजार का केन्द्र बना हुआ है.
विज्ञापन
बाजार में लगी कुल पूंजी के लिहाज से नैस्डैक दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टॉक इंडेक्स है. इसके आगे अमेरिका का ही न्यू यॉर्क स्टॉक एक्सचेंज है, जिसके कारोबार पर पूरी दुनिया नजर रखती है.
नैस्डैक शुरू होने से पहले शेयर बाजार में निवेश के लिए 'ओवर द काउंटर' तरीका चलता था. इसी इंडेक्स ने बढ़ती हुई कंपनियों में निवेश के लिए आईपीओ का प्रचलन भी शुरू किया. इससे बहुत सी कंपनियों को स्टॉक बाजार में निवेश करने वालों की पूंजी को अपनी कंपनियों में लगाने का मौका मिला. नैस्डैक दुनिया भर के लिए शेयरों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में खरीदने और बेचने का एक वैश्विक बाजार है.
नैस्डैक का मकसद ऐसे बाजार का निर्माण था जहां निवेशक शेयरों को तेज और पारदर्शी तरीके से कंप्यूटर की मदद से खरीद बेच सकें. 2006 में नैस्डैक आधिकारिक रूप से एनएएसडी से अलग हो गया और एक राष्ट्रीय प्रतिभूति एक्सचेंज के तौर पर काम करने लगा. अगले साल नैस्डैक ने स्कैंडीनेवियाई एक्सचेंज समूह ओएमएक्स के साथ नैस्डैक ओएमएक्स समूह बनाया.
(एक नजर बैंकिंग में क्रांति लाने वाले एटीएम के इतिहास पर)
ATM के 50 साल
50 साल, पहले दुनिया ने पहली एटीएम मशीन देखी. आज भी बैंकिंग के इतिहास में शायद इससे बड़ी खोज नहीं हुई. एक नजर इसके इतिहास और भविष्य पर.
तस्वीर: picture-alliance/AP Images/J. Kerlin
पहली मशीन
वैसे तो पहली बार नोट गिनने की मशीन 50 साल पहले स्कॉटलैंड के जॉन स्टीफर्ड-बैरन ने बनाई. लेकिन इसकी ज्यादा चर्चा नहीं हुई. बैरन की मशीन के आधार पर 1968 में पहली बार गिनकर नोट देने वाली मशीन लॉन्च की गई. कैपिटल नेशनल बैंक ऑफ मायामी के निदेशक ने इस पहली एटीएम मशीन को बैंक की लॉबी में लगवाया.
तस्वीर: picture-alliance/AP Images/J. Kerlin
सीमा के पार
अमेरिका में लॉन्च हुई एटीएम मशीन ने दुनिया भर में तहलका मचा दिया. 1970 के दशक में यूरोप में भी पैसा निकालने वाली मशीनें बेहद लोकप्रिय हो गईं. 1970 के दशक में एटीएम ऐसा दिखाई पड़ता था.
तस्वीर: picture-alliance/ZB/M. Förster
कैसे काम करती है मशीन
एटीएम मशीन एक सॉफ्टवेयर के जरिये ऑपरेट करती है. मशीन के भीतर लगे खांचों में नोट भरे जाते हैं. सॉफ्टवेयर मशीन को नोट निकालने का निर्देश देता है. हर मशीन इंट्रानेट कनेक्शन से जुड़ी होती है, जिसके चलते कैश निकालने के बाद सीधे बैंक खाता भी अपडेट हो जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/ZB/J. Kalaene
आम जिंदगी का हिस्सा
एटीएम के चलते बैंकों और आम लोगों के बड़ी राहत मिली है. अब पैसा निकालने के लिए बैंक जाने की और पासबुक अपडेट कराने की जरूरत नहीं पड़ती. इन मशीनों के जरिये बैकिंग में कागज का इस्तेमाल 50 फीसदी कम हुआ है.
तस्वीर: Reuters/R.D. Chowdhuri
यूनिवर्सल सिस्टम
एटीएम मशीन चाहे दुनिया के किसी हिस्से में हो, उनके कुछ बटन एक जैसे होते हैं. एंटर के लिए हरा और कैंसल के लिए लाल. इसी एकरूपता के चलते आपको भाषा भले ही समझ न आए लेकिन एटीएम इस्तेमाल किया जा सकता है.
तस्वीर: DW/E. Danejko
नकदी का जलवा
आज एटीएम मशीन का जलवा पूरी दुनिया में है. कड़े नियमों वाले इस्लामिक देशों में भी इस मशीन को खूब इस्तेमाल किया जाता है. इस्लाम में जमा पैसे पर ब्याज लेना हराम माना जाता हो, लेकिन एटीएम मशीन तो मुस्लिम देशों में घनघनाती है.
तस्वीर: MEHR
एटीएम नहीं मिनी बैंक
समय के साथ ये मशीनें भी इंटेलिजेंट हुई हैं. अब इनमें पैसा जमा और ट्रांसफर भी किया जा सकता है. हल्की फुल्की इंटरनेट बैंकिंग की सुविधा भी मिलने लगी है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
अपराधियों की भी पसंदीदा मशीनें
भारत में बुल्डोजर से एटीएम मशीन उखाड़ने के मामले सामने आ चुके हैं. जर्मनी में धमाका कर मशीन क्रैक करने के मामले सामने आ चुके हैं. जर्मनी में करीब हर महीने ही कहीं न कहीं एटीएम को निशाना बनाया जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M.Gambarini
भविष्य कितना लंबा
अब एटीएम मशीनों के दिन भी लदते दिख रहे हैं. कैश से प्लास्टिक मनी तक पहुंची दुनिया अब कैशलेस होने की ओर बढ़ रही है. विशेषज्ञों के मुताबिक अगले 5-10 साल में परंपरागत एटीएम खत्म होने लगेंगे. इनकी जगह मोबाइल कनेक्टिविटी वाली कोडिंग मशीनें लेने लगेंगी.
रिपोर्ट: टीके/ओएसजे