दुनिया के सात अजूबों में से एक इटली के पीसा की झुकी हुई मीनार का निर्माण आज ही के दिन 1173 में शुरू हुआ था. इस मीनार का निर्माण पूरा होने में करीब दो शताब्दियां लग गईं थीं.
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माना जाता है कि विश्वप्रसिद्ध पीसा की मीनार का झुकना तभी से शुरु हो गया था जबसे 9 अगस्त, 1173 को इसकी नींव रखी गई. बलुआ मिट्टी पर खड़ी इस मीनार में अगले करीब 800 सालों तक झुकाव बढ़ता ही गया. कई आर्किटेक्ट्स, और इंजीनियरों ने इसे और झुकने से रोकने की कोशिशें कीं जो आज भी जारी हैं. अफसोस की बात ये है कि आज तक इसका कोई स्थाई उपाय नहीं मिल पाया है.
पीसा की मीनार को खड़ा करने का विचार बेर्टा नाम की एक महिला की वसीयत से आया. बेर्टा के पति का पहले ही देहांत हो चुका था. अपनी मौत के पहले बेर्टा ने अपनी वसीयत में 60 सिक्के छोड़े थे. 1172 में बेर्टा की मौत के बाद, इन सिक्कों से उनकी इच्छा के अनुरुप एक टॉवर बनाने के लिए पत्थर खरीदे गए. बेर्टा ने अपनी वसीयत 'ओपेरा कांपानिलिस पेट्रारम सांक्टे मारी' के हाथों में सौंपी थी. इस फाउंडेशन ने संगमरमर और चूना पत्थरों से मीनार को बनवाना शुरु किया. इसकी नींव करीब पांच फीट गहरे एक गोल गड्ढे में रखी गई और उसमें मिट्टी, महीन बालू और सीपियां भरी गईं.
दुनिया की ऊंची इमारतें
फ्रांसीसी इंजीनियर गुस्ताव आइफल की चमत्कारी संरचना बनाने के 125 साल बाद भी लोग इसे देखने पेरिस पहुंचते हैं. तस्वीरों में देखें दुनिया की 10 सबसे ऊंची इमारतें.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
इंजीनियरिंग का चमत्कार
1889 में जब गुस्ताव आइफल ने इसे बनाया, तब यह इंजीनियरिंग का चमत्कार ही था. 324 मीटर ऊंचा यह टावर 1930 तक दुनिया की सबसे ऊंची संरचना थी. आज यह पेरिस की पहचान है और इसे देखने और इस पर चढ़ने दुनिया के सबसे ज्यादा पर्यटक पहुंचते हैं.
तस्वीर: Fotolia/XtravaganT
बुर्ज खलीफा
फिलहाल दुनिया की सबसे ऊंची इमारत संयुक्त अरब अमीरात का बुर्ज खलीफा है. जनवरी 2010 में शुरू हुआ यह स्काईसक्रैपर दुबई में है और 829 मीटर का है. इसमें कई अपार्टमेंट, होटल और ऑफिस हैं.
तस्वीर: picture-alliance/ZB
सबसे ऊंची घड़ीः अबराज अल बैत
दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची इमारत और सबसे ऊंचा क्लॉक टावर सऊदी के मक्का में है. यह दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिद अल हराम के सामने है. 601 मीटर ऊंचा यह टावर 2012 में बना. इसमें प्रार्थना का कमरा, होटल और 20 मंजिला शॉपिंग मॉल है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
सबसे ऊंची मूर्ति
सिर्फ ऊंची इमारतें ही पर्यटकों को नहीं खींचती. चीन के लुशान में दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है. 153 मीटर ऊंची तांबे की मूर्ति 2008 में पूरी हुई. अफगानिस्तान में बामियान के बुद्ध तोड़े जाने के बाद इसे बनाने की घोषणा की गई.
तस्वीर: cc-by-sa-Zgpdszz
द मदरलैंड कॉल्स
रूस के वोल्गोग्राड में 1967 में जब मदरलैंड कॉल्स नाम की मूर्ति बनाई गई तब यह दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति थी. तलवार की नोंक से लेकर नीचे तक इसकी कुल ऊंचाई 87 मीटर थी. यहां की 200 सीढ़ियां स्टालिनग्राड की लड़ाई का प्रतीक हैं. यह लड़ाई भी इतने ही दिन चली थी.
तस्वीर: imago/ITAR-TASS
अफ्रीका का सबसे ऊंचा
दुनिया की ऊंची इमारतों में अफ्रीका की यह मूर्ति भी शामिल है. अफ्रीकन रिनासां नाम की यह मूर्ति कांसे की बनी है और 49 मीटर ऊंची है. उत्तर कोरिया की बनाई यह संरचना 2010 में पूरी हुई. यह 1959 में सेनेगल की फ्रांस से आजादी का प्रतीक है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
लेडी लिबर्टी
न्यूयॉर्क में 46 मीटर ऊंची लेडी लिबर्टी दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति तो नहीं है लेकिन सबसे ज्यादा फोटो में आने वाली जरूर है. करीब 40 लाख लोग हर साल इसे देखने पहुंचते हैं. इसे 1886 में बनाया गया था.
तस्वीर: dapd
वाइल्ड वेस्ट की ओर
मिसूरी में सेंट लुइस आर्क अमेरिका आने वाले पर्यटकों की पसंद है. यह मिसिसीपी नदी के ऊपर बना है और इसे पश्चिमी अमेरिका का दरवाजा कहा जाता है. 1965 में पूरा हुआ यह पुल इंजीनियरिंग की मिसाल है और स्टेनलेस स्टील कंक्रीट से बना दुनिया का सबसे बड़ा ढांचा भी.
तस्वीर: Gateway Arch
यहां भी
स्टील से पहले दुनिया का सबसे ऊंचा ढांचा ईंट पत्थर का बना था. इनमें से अधिकतर इमारतें चर्च की हैं. दक्षिणी जर्मनी के उल्म का मिन्स्टर 1377 में बनना शुरू हुआ. यह चर्च के टावरों में आज भी सबसे ऊंचा है. ये कुल 161.5 मीटर ऊंचा है.
तस्वीर: picture-alliance/Carsten Schmidt
सबसे पुराना रिकॉर्ड
मिस्र में गीजा का पिरामिड सबसे पुरानी संरचना है जो दुनिया की सबसे ऊंची इमारतों में शामिल है. 2560 ईसा पूर्व में बना यह पिरामिड बड़े पत्थर से काटा गया है. यह मिस्र के चौथे वंश फाराओ खुफु की कब्र पर बनी इमारत है. 3,800 साल तक यह दुनिया की सबसे ऊंची संरचना थी.
तस्वीर: Fotolia/Jose Ignacio Soto
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खिसकने वाले आधार के कारण बीसवीं सदी के अंत तक ये मीनार करीब 5.5 डिग्री झुक गई. फिर कई तरह के उपाय कर इसका झुकाव कम करने में कुछ सफलता मिली और झुकाव को करीब 4 डिग्री तक लाया गया. शुरुआती योजना के अनुसार मीनार को सफेद संगमरमर से 185 फीट ऊंचा बनाया जाना था. जब तीन मंजिलों तक निर्माण पूरा हुआ तभी इटली के कई राज्यों में जंग छिड़ गई और निर्माण कार्य रोकना पड़ा. इसके बाद करीब एक शताब्दी बीत जाने के बाद ही आगे का काम शुरू हुआ. इस बीच पीसा की मीनार की नींव को कुछ मजबूत और स्थाई होने का वक्त मिल गया. वर्ना शायद यह काफी पहले ही गिर जाती और दुनिया के इस अजूबे का आज अस्तित्व ही नहीं होता.