ब्रिटेन की समस्या यह है कि पूर्वी यूरोप के नए सदस्य देशों के नागरिकों के लिए खुली आवा जाही का सपना तो पूरा हुआ है लेकिन पोलैंड और रोमानिया जैसे देशों के नागरिकों के आने से वहां राजकोष पर बोझ बढ़ा है. एक डर तो सस्ते कामगारों के आने से देश में बेरोजगारी बढ़ने का और कामगारों के वेतन पर दबाव बढ़ने का है. इसकी वजह से ब्रिटेन में यूरोप विरोधी ताकतें मजबूत हुई हैं और परंपरागत पार्टियां कमजोर हुई हैं. डेविड कैमरन यूरोपीय संघ से रियायतें पाकर अति दक्षिणपंथी पार्टियों को कमजोर करना चाहते हैं.
वीटो का अधिकार
वित्तीय संकट के बाद एक ओर यूरोप को और एकताबद्ध करने की मांग हो रही है तो लंदन राष्ट्रीय संसदों की भूमिका बढ़ाना चाहता है. इससे राष्ट्रीय जन प्रतिनिधियों को ब्रसेल्स के मनमाने बर्ताव के खिलाफ लाल कार्ड दिखाने का अधिकार मिलेगा.
सामाजिक भत्तों में कटौती
ब्रिटेन नहीं चाहता कि गरीब सदस्य देशों के सस्ते कामगार ब्रिटेन में सामाजिक भत्तों का लाभ उठाएं. ब्रिटेन चाहता है कि ईयू देशों से अचानक बहुत से लोगों के आने पर उसे रोक लगाने का हक होना चाहिए. आप्रवासियों को चार साल बाद भत्ता पाने का हक मिलेगा.
संतान भत्ता
यूरोपीय संघ में वह सरकार संतान भत्ता देती है जहां मां बाप काम करते हैं, चाहे बच्चा कहीं और रह रहा हो. ब्रिटेन पोलैंड और रोमानिया के कामगारों को बच्चों के लिए भत्ता देता है. अब यह बहस हो रही है कि क्या भत्ते को संबंधित देश के जीवन स्तर के अनुरूप होना चाहिए.
घनिष्ठ होता संघ
यूरोपीय संघ का लक्ष्य समय के साथ घनिष्ठ होना है. लंदन को यह पसंद नहीं है. ब्रिटेन को स्वीकार फॉर्मूला समापन घोषणा में है जिसमें कहा गया है कि ईयू का लक्ष्य खुले और लोकतांत्रिक समाज में रहने वाले साझा विरासत वाले लोगों के बीच भरोसा और समझ बढ़ाना है.
समझौते में संशोधन
कैमरन की मांगों को पूरा करने के लिए यूरोपीय संधि में संशोधन की जरूरत होगी. राजनीतिक तौर पर कैमरन को इसका फायदा मिलेगा, लेकिन यह लागू नए सदस्य के शामिल होने के समय होगा. उस समय यूं भी संधि के टेक्स्ट में बदलाव करना होगा.
एमजे/आईबी (डीपीए)
ब्रिटिश शाही परिवार ने विश्व प्रसिद्ध कोहिनूर हीरे को लंदन टावर में सार्वजनिक प्रदर्शनी में रखवाया है.
तस्वीर: picture alliance/dpa105-कैरट का यह हीरा ब्रिटेन के लंदन टावर में दूसरे शाही आभूषणों के साथ प्रदर्शित किया गया है. 1850 में भारत से ब्रिटेन ले जाए गए कोहिनूर हीरे को वापस पाने की भारत की तमाम कोशिशें बेकार साबित हुई हैं. इसे ब्रिटिश राज में महारानी विक्टोरिया को पेश किया गया था जिसे अब ब्रिटिश शाही परिवार ने लंदन टावर में सार्वजनिक प्रदर्शनी में रखवा दिया है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaशाब्दिक अर्थ है - प्रकाश का पहाड़. एक जमाने में कोहिनूर दुनिया का सबसे बड़ा 'कट डायमंड' हुआ करता था. यह बेशकीमती हीरा अलग अलग काल में भारत में शासन करने वाले कई वंशों के हाथों में रहा. पंजाब में ब्रितानी शासन स्थापित होने के बाद सन् 1849 में ब्रिटिश गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी ने इसे ब्रिटिश महारानी को तोहफे में दिए जाने का प्रबंध किया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/O. Bergमाना जाता है कि कोहिनूर हीरे को करीब 800 साल पहले दक्षिण भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में स्थित कोल्लूर खान से निकाला गया था. सबसे पहले यह उस समय शासन कर रहे काकातिया वंश के पास था जिसे उसने एक मंदिर में एक देवी की मूर्ति में आंख की जगह जड़वाया था. फिर तमाम आक्रमणकारियों और शासकों के हाथों से होता हुआ वह सिख शासकों तक पहुंचा.
सन् 1850 में मात्र 13 साल की उम्र में अंतिम सिख शासक दलीप सिंह को पेंशन देकर ब्रिटेन भेजने की व्यवस्था हुई थी और उन्होंने अपने हाथों से महारानी विक्टोरिया को कोहिनूर भेंट किया था.
ब्रिटेन ने कोहिनूर हीरा लौटाने की भारत की मांग को यह कह कर हर बार खारिज किया है कि स्थानीय कानून उसे ऐसा करने से रोकते हैं. ब्रिटेन में 1963 में बने ब्रिटिश म्यूजियम एक्ट के तहत राष्ट्रीय संग्रहालयों से वस्तुओं को हटाने की मनाही है. इस कानून में बदलाव किए बिना कोहिनूर लौटाने का रास्ता नहीं खुलेगा.
तस्वीर: Imagoब्रिटिश लॉ फर्म ने कोहिनूर को ब्रिटेन से वापस लेने की कानूनी कोशिश करने जा रहे इस समूह का नाम माउंटेन ऑफ लाइट ग्रुप बताया है. उनकी याचिका का आधार वह ब्रिटिश कानून है जिसमें संस्थानों को चुराई या लूटी गई कला को लौटाने का अधिकार मिला है.
तस्वीर: The Rosalinde and Arthur Gilbert Collection on loan to the Victoria and Albert Museumकोहिनूर को लौटाने का अभियान चलाने वाले इस समूह के सदस्यों में कई उद्योगपति, अभिनेता और भूमिका चावला जैसी अभिनेत्री शामिल है. इसके अलावा ब्रिटेन में भारतीय मूल के लेबर पार्टी के सांसद कीथ वाज ने भी प्रमुखता से इस मांग का समर्थन किया था. हाल ही में भारतीय सांसद शशि थरूर के इस मांग को फिर से उठाने के बाद से कोहिनूर फिर चर्चा में है.
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