योग गुरु बाबा रामदेव के नाम से चलने वाली एक वेबसाइट ने दावा किया कि रामदेव के पास इबोला का इलाज है. खबर के सुर्खियों में आने के बाद बाबा ने कहा कि यह दावा गलत है.
विज्ञापन
'रामदेव मेडिसिन' नाम की इस वेबसाइट पर पतंजली योगपीठ का कोई जिक्र नहीं है, लेकिन इसे 'स्वामी बाबा रामदेव' की वेबसाइट कहा गया है. पहली नजर में इसे देख कर कोई भी चकमा खा सकता है और शायद यही वेबसाइट बनाने वालों का मकसद भी है. वेबसाइट पर हर तरह की बीमारियों की दवाएं बिक रही हैं. साइट पर आने वाले लोग बीमारियों की लंबी सूची में से चुन सकते हैं कि वे कौन सा इलाज चाहते है. अंग्रेजी के ए से जेड तक इस सूची में हर मुमकिन बीमारी का जिक्र है.
लेकिन हैरान कर देने वाला है इबोला का इलाज. वेबसाइट पर इसके रोकथाम और इलाज के बारे में बताया गया है. कुछ आयुर्वेदिक जड़ीबूटियों का जिक्र कर इन्हें औषधि के रूप में लेने को कहा गया है. यहां तक कि दवा का पैकेज बिक रहा है.
यह वेबसाइट सुर्खियों में तब आई जब अखबार 'द हिन्दू' ने इस बारे में छाप दिया. (खबर यहां पढ़ें) रिपोर्ट के अंत में अखबार ने लिखा है कि बाबा रामदेव इस इलाज की पुष्टि के लिए उपलब्ध नहीं थे. खबर के आते ही सोशल मीडिया पर चर्चा होने लगी और लोग "बड़बोले बाबा" पर चुटकी लेने लगे. शायद ट्विटर के ही जरिए रामदेव तक भी यह खबर पहुंची और उन्होंने ट्विटर के ही माध्यम से इसे खारिज भी किया और अपना गुस्सा भी जाहिर किया.
रामदेव की इस सफाई के बाद भी अब चर्चा उनके अन्य दावों पर चल रही है. बाबा रामदेव पहले कैंसर, एड्स और यहां तक कि समलैंगिकता का इलाज करने का दावा कर चुके हैं.
गौरतलब है कि जिस वेबसाइट के कारण यह बवाल खड़ा हुआ उसके फर्जी होने की चर्चा पहले से ही सोशल मीडिया में चल रही थी. फर्जी वेबसाइट बनाने वाले अक्सर गलत शब्दों या गलत व्याकरण का प्रयोग करते हैं या फिर किसी का लोगो चुरा कर उसमें हल्का सा फेरबदल करते हैं ताकि लोगों को चकमा दे कर मुनाफा कमा सकें.
इबोला का इलाज और एहतियात
पश्चिमी अफ्रीका में इबोला का कहर जारी है. इसका कोई पक्का इलाज नहीं है लेकिन एक अमेरिकी दवा कंपनी की दवा कथित तौर पर फायदा पहुंचा रही है. इससे बचने के लिए कुछ एहतियात भी जरूरी हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Tim Brakemeier
रोग के लक्षण
सियेरा लियोन में इबोला तेजी से फैल रहा है. वहां की सरकार ने फ्रीटाउन में ऐसे होर्डिंग लगवाए हैं, जिसमें लोगों को रोग के लक्षणों के बारे में बताया गया है. इसमें से कोई भी लक्षण नजर आने के बाद फौरन डॉक्टर के पास जाने की सलाह दी गई है.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo
क्या है इबोला
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने इबोला फैलाने वाले वायरस वीरिऑन की यह तस्वीर जारी की है. मानव शरीर का प्रतिरोधी तंत्र इस बीमारी से लड़ने में सक्षम है, बशर्ते शरीर के दूसरे अंग काम करते रहें. लेकिन इस वायरस का असर अंगों को निष्क्रिय कर देता है.
तस्वीर: Reuters
लाइबेरिया में इमरजेंसी
इबोला का सबसे ज्यादा असर अफ्रीकी देश लाइबेरिया पर है, जहां लगभग 1000 लोग इस बीमारी की वजह से मारे गए. अपने एक रिश्तेदार की मौत के बाद यह महिला खुद को संभाल नहीं पा रही है. यहां भी एहतियात को लेकर भारी दिक्कतें हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
नीम हकीम से इलाज
सबसे बड़ी मुश्किल लोगों का अंधविश्वास है. लाइबेरिया में बीमारी के लक्षण पता लगने के बाद भी वे डॉक्टरों की जगह इस तरह के नीम हकीमों के पास चले जाते हैं. इससे न सिर्फ इलाज प्रभावित होता है, बल्कि दूसरों को भी बीमारी फैलने का डर रहता है.
तस्वीर: DW/J. Kanubah
कहां कहां इबोला
लाइबेरिया के अलावा सियेरा लियोन, गिनी और नाइजीरिया में इबोला का सबसे ज्यादा प्रभाव है. वहां राहत कार्यों में लगे दूसरे देशों को भी इस बीमारी के संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ रहा है.
संक्रमण से बचाव
इस बीमारी के बाद सबसे पहले मरीज को दूसरे लोगों से अलग करना जरूरी है. इसके लिए भी सुरक्षित पोशाक पहनने जरूरी हैं, ताकि मरीज के संपर्क में आने वाले किसी दूसरे डॉक्टर या बचावकर्मी को इसका इंफेक्शन न लगे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
अलग थलग उपाय
सियेरा लियोन की राजधानी फ्रीटाउन में टेंट लगा कर इबोला के मरीजों का इलाज किया जा रहा है. लेकिन यहां सही तरीके नहीं अपनाए जा रहे हैं. एक ही जगह कई मरीजों का बिस्तर लगा है, जिससे बीमारी और फैलने का खतरा है.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo
सही इलाज
जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में यूनिवर्सिटी क्लीनिक में इबोला के इलाज का सही इंतजाम है. मरीजों को बिलकुल अलग रखा जाता है और डॉक्टर वहां तीन दरवाजों से गुजर कर पहुंचते हैं. इससे पहले वह बेहद सुरक्षित पोशाक पहनते हैं, ताकि संक्रमण न हो.
तस्वीर: picture alliance/dpa
बहुत बहुत एहतियात
इबोला से दम तोड़ चुके मरीजों के अंतिम संस्कार की तैयारियों के बाद लाइबेरिया की एक नर्स को डिसइंफेक्ट करने के लिए स्प्रे किया जा रहा है. डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि मौत के बाद इबोला वायरस के फैलने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
डब्ल्यूएचओ की चेतावनी
इबोला फैलने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे आधुनिक दौर की सबसे गंभीर बीमारी का दर्जा दिया है.