वर्ल्ड टॉयलेट डे के मौके पर संयुक्त राष्ट्र ने अपील की है कि दुनिया भर में खुले में शौच जाना खत्म किया जाए और स्वच्छता का पूरी तरह ध्यान रखा जाए.
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संयुक्त राष्ट्र ने आशंका जताई है कि पश्चिमी अफ्रीका में इबोला फैलने का एक कारण खुले में शौच भी हो सकता है. लाइबेरिया की आधी जनसंख्या इस बीमारी से जूझ रही है और वहां शौचालयों की कोई सुविधा नहीं है. सियेरा लियोन में भी एक तिहाई जनसंख्या के पास शौचालय नहीं हैं.
नाइजीरिया को वैसे तो अक्टूबर में इबोला मुक्त देश घोषित कर दिया था लेकिन उसे भी चेतावनी दी गई थी कि खुले में शौच की समस्या पर वह काबू पाएं क्योंकि शरीर से निकलने वाले स्राव से ये बीमारी फैलती है.
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में करीब एक अरब जनसंख्या ऐसी है जिसके पास शौचालय की सुविधा नहीं है. उप सहारा अफ्रीका में एक चौथाई जनसंख्या खुले में शौच जाती है और वहां डायरिया एक बड़ी समस्या है और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत का सबसे बड़ा कारण. दुनिया भर में हर ढाई मिनट में एक बच्चा इसलिए मारा जाता है क्योंकि या तो वह प्रदूषित पानी या फिर खराब सेनिटेशन से बीमार हो जाता है.
महिलाओं पर असर
महिलाओं को इसका सबसे बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है. लड़कियां स्कूल में खराब सेनिटेशन के कारण स्कूल जाना बंद कर देती हैं. संयुक्त राष्ट्र के उपमहासचिव यान एलियसन कहते हैं, "खराब सेनिटेशन के कारण लड़कियों का स्कूल छूट जाता है. खुले में शौच के कारण अक्सर महिलाओं और लड़कियां यौन हिंसा का शिकार हो जाती है. दुनिया भर में बेहतर सेनिटेशन महिला सुरक्षा, सम्मान और समानता में अहम भूमिका निभाता है."
ऐसा नहीं है कि हालात सुधरे नहीं हैं लेकिन सार्वजनिक शौचालयों या हर घर में शौचालय के अभियान अक्सर धन के अभाव के कारण अधूरे रह जाते हैं. हालांकि आज सिर्फ 10 देश ऐसे हैं जिनमें 80 फीसदी लोग खुले में शौच जाते हैं. इनमें से आधे भारत में हैं. इसके बाद इंडोनेशिया, नेपाल और चीन का नंबर आता है. अफ्रीका के नाइजीरिया में करीब 39 फीसदी लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. हालात इथियोपिया, नाइजीरिया और मोजाम्बिक में भी अच्छे नहीं हैं.
एलियसन कहते हैं, "खुले में शौच की समस्या को पूरी तरह खत्म करना सिर्फ अच्छी संरचना से नहीं हो सकता है. इसके लिए व्यवहार, सांस्कृतिक और सामाजिक तौर तरीकों को समझना भी जरूरी है."
मोदी सरकार का वादा
आज भी सार्वजनिक शौचालयों की कमी के कारण अक्सर लोग खुले में शौच जाते हैं. गंभीर वायरल इंफेक्शन के इस दौर में यह आदत और मजबूरी कई तरह की बीमारियों का कारण बनती है. बीमारियों का सामना महिलाओं को और ज्यादा करना पड़ता है. भारत के कई स्कूलों में अभी भी लड़कियों के लिए अलग से वॉशरूम और शौचालय नहीं हैं जिसके कारण कई लड़कियां स्कूल छोड़ देती हैं.
मोदी सरकार ने वादा किया है और अपने सामने महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है कि 2019 तक भारत में खुले में शौच की समस्या पूरी तरह खत्म कर दी जाएगी.
स्वच्छ भारत के लिए अभियान
कूड़ेदान बनते भारत के शहरों को साफ करने में नगर निगम या स्थानीय प्रशासन जितना जिम्मेदार है उतना ही कर्तव्य शहर में रहने वाले हर नागरिक का भी है. तभी स्वच्छ भारत का सपना पूरा हो सकता है.
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मन से सफाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से शुरू किया गया स्वच्छ भारत जमीनी स्तर पर काम करता नजर आ रहा है. फिल्मी कलाकार, बड़े कारोबारी ही नहीं आम लोग भी स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने में लग गए हैं. कुछ कैमरों की चमक के बीच स्वच्छ भारत से जुड़कर सफाई अभियान में शामिल हो रहे हैं तो कुछ चुपचाप ही इसमें अपना योगदान दे रहे हैं.
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सफाई की लगन
प्रधानमंत्री ने अभियान की शुरुआत करते हुए नौ लोगों को इस काम के लिए नामित किया था और इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने इन नौ में से प्रत्येक से नौ-नौ अन्य लोगों को नामित करने को कहा था. नामित लोगों ने अपना काम बखूबी किया और आगे नौ और लोगों को नामित किया. उद्योगपति अनिल अंबानी ने पिछले दिनों मुंबई में सफाई अभियान चलाया. अब उनकी कंपनी के बोर्ड सदस्य भी इस अभियान में शामिल हो गए हैं.
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छोटे शहरों का बुरा हाल
गंदगी सिर्फ बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है छोटे शहरों में भी उतनी ही गंदगी मिल जाएगी. सफाई को रोजमर्रा का हिस्सा बनाने से ही देश चमक पाएगा. टीवी कलाकर मोनिका भदौरिया ने भी अलीगढ़ में सफाई अभियान में शामिल होकर शहर को साफ करने की प्रतिबद्धता दिखाई.
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नदी भी हो साफ
हरिद्वार में हर की पौड़ी की सफाई में लगीं महिला स्वयंसेवक. शहरों में गंदगी के अलावा गंदी नदियों का मामला भी उठता रहता है. वक्त बेवक्त सरकार को कोर्ट की तरफ से नदियों की सफाई को लेकर फटकार पड़ती रहती हैं.
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सबका सहयोग
नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता अभियान की शुरुआत करते हुए कहा कि सफाई के लिए सिर्फ सफाई कर्मचारी जिम्मेदार नहीं हैं. इसके लिए देश की सोच बदलनी होगी. मोदी ने कहा, "साफ इंडिया का लक्ष्य हम पा सकते हैं. अगर हम मंगल तक पहुंच सकते हैं तो क्या हम अपना पड़ोस साफ नहीं रख सकते."
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प्लास्टिक की समस्या
भारत की सड़कों पर प्लास्टिक का पड़ा होना और प्लास्टिक में फेंका गया कचरा बहुत बड़ी समस्या है. एक तो इस प्लास्टिक के नालों, नदियों में जाने की आशंका होती है, वहीं खुले आम घूम रहे पशुओं के पेट में इस प्लास्टिक का जाना जानलेवा बन जाता है.
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सामाजिक समस्या
खुले में शौच जाना स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है. महिलाओं के लिए यह मुद्दा बीमारियों से तो जुड़ा है ही, साथ ही यह असुरक्षित भी है. 2020 तक भारत सरकार खुले में शौच से निजात पा लेना चाहती है.
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कचरा प्रबंधन
अक्सर सभी तरह का कचरा एक साथ फेंक दिया जाता है. बारिश धूप में वह खुले में पड़ा सड़ता रहता है और मच्छर मक्खियों को आमंत्रण देता है. अगर जैविक कचरा एक साथ डाला जाए और प्लास्टिक, इलेक्ट्रिक और अन्य तरह का कचरा अलग करें तो हर कचरे का दोबारा इस्तेमाल हो सकता है.
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साफ जोधपुर
15 अगस्त 2014 को अभिनेता आमिर खान ने जोधपुर में स्वच्छ जोधपुर स्वस्थ जोधपुर का अभियान शुरू किया था. और इसके लिए आमिर खान ने खुद 11 लाख रुपये भी दिए. साल भर बाद आमिर एक बार फिर इसी दिन जाकर जोधपुर का जायजा लेंगे.
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एक तिहाई के पास नहीं
दुनिया की एक तिहाई जनसंख्या शौचालयों के अभावों में जी रही है. यूरोपीय संघ के भी दो करोड़ लोगों के पास अच्छे शौचालयों का अभाव है. कई पूर्वी यूरोपीय देशों में अभी भी पुराने तरह के शौचालय हैं जो जमीनी पानी को प्रदूषित करते हैं.
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जैविक टॉयलेट
सुलभ शौचालयों ने भारत में एक नई क्रांति लाई थी. ऐसी ही एक और कोशिश की जा रही है जैविक टॉयलेटों के जरिए. ये बायो डाइजेस्टर टॉयलेट ऐसी जगहों पर भी लगाए जा सकते हैं जहां मल निकासी की सुविधा नहीं है.
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जागरूकता जरूरी
स्वच्छ भारत के इस अभियान में जितनी भूमिका सामाजिक गतिविधि की है उतनी ही आवश्यकता इसके बारे में जागरूकता फैलाने की है. हर व्यक्ति का हाथ जब इस अभियान में जुड़ेगा तभी भारत साफ हो सकेगा.