विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इबोला के शिकार लोगों की संख्या 1,069 हो गई है. अमेरिकी सरकार ने सियेरा लियोन से अपने राजनयिकों के परिवारों को देश छोड़ने का आदेश दिया है. गिनी और लाइबेरिया की ही तरह सियेरा लियोन में इबोला का कहर बरपा है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक बयान में कहा है कि वह इस खतरनाक वायरस से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में तालमेल बैठा रहा है. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इबोला के दर्ज मामले और मृत्यु के आंकड़ों से प्रकोप की भयावहता को कम करके आंका जा रहा है.
संगठन ने चेतावनी दी, "प्रकोप अगले कुछ महीनों तक जारी रह सकता है. संगठन अगले कुछ महीनों तक इस महामारी से निपटने के लिए योजना चलाता रहेगा."
इबोला वायरस के बारे में पहली बार 1976 में पता चला था. तब से मध्य और पूर्वी अफ्रीका में बीस बार यह महामारी फैली है. हालांकि पश्चिम अफ्रीका में महामारी फैलने का यह पहला मौका है.
गिनी में मार्च में पहली बार इस बीमारी के फैलने के बाद सियेरा लियोन और नाइजीरिया चपेट में आए. महामारी पर काबू नहीं पाए जाने की हालत में ऐसे सवाल उठ रहे हैं कि क्या अधिकारी इससे निपटने के लिए उचित कदम उठा पा रहे हैं. इबोला वायरस का अब तक इलाज नहीं मिल पाया है और ना ही इसका कोई टीका उपलब्ध है.
इबोला एक संक्रामक रोग है, इसीलिए इबोला के मरीज को सबसे अलग रखा जाता है. लेकिन यह सांस के जरिए नहीं फैल सकता, इसका संक्रमण तभी होता है यदि कोई व्यक्ति मरीज से सीधे संपर्क में आए. यह संपर्क लार, पसीने, खून और वीर्य के जरिए हो सकता है.
वायरस इंसान में प्रवेश करने के बाद शरीर को कमजोर करने लगता है. पीड़ित को बुखार, सिर दर्द और मांसपेशियों में दर्द होता है. बहुत तेज बुखार के बाद रक्तस्राव और खून की उल्टियां होने लगती हैं. इस वायरस की चपेट में आने के बाद बचना मुश्किल है क्योंकि इसकी अब तक सही दवा उपलब्ध नहीं है.
लाइबेरिया की सरकार ने इससे पहले कहा था जेडमैप नाम की दवा दो डॉक्टरों की दी जाएगी. लेकिन यह अब तक साफ नहीं है कि दवा और किस मरीज को दी जाएगी. दवा बनाने वाली कंपनी मैप फार्मासूटिकल का कहना है कि यह दवा बहुत कम मात्रा में उपलब्ध है और बड़े पैमाने पर उत्पादन करने में महीनों लग जाएंगे.
महामारी के फैलने के बाद इबोला की दवा और नैतिकता को लेकर दुनिया भर में बहस छिड़ गई है. बहस इस बात पर हो रही है कि बिना टेस्ट की हुई दवा मरीज को देना, कितना नैतिक है और किसे यह दवा मिलनी चाहिए. अभी तक दो अमेरिकियों और एक स्पेनी नागरिक को दवा मिली है लेकिन यह अब तक साफ नहीं है कि दवा ने क्या असर दिखाया. दवा मिलने के कुछ ही दिनों बाद स्पेनी नागरिक की मौत हो गई थी. इस वायरस के 50 फीसदी पीड़ितों की मौत हो चुकी है.
रिपोर्ट: एए (एफपी, एपी)
संपादन: ओएसजे
पश्चिमी अफ्रीका में इबोला का कहर जारी है. इसका कोई पक्का इलाज नहीं है लेकिन एक अमेरिकी दवा कंपनी की दवा कथित तौर पर फायदा पहुंचा रही है. इससे बचने के लिए कुछ एहतियात भी जरूरी हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Tim Brakemeierसियेरा लियोन में इबोला तेजी से फैल रहा है. वहां की सरकार ने फ्रीटाउन में ऐसे होर्डिंग लगवाए हैं, जिसमें लोगों को रोग के लक्षणों के बारे में बताया गया है. इसमें से कोई भी लक्षण नजर आने के बाद फौरन डॉक्टर के पास जाने की सलाह दी गई है.
तस्वीर: picture alliance/AP Photoसेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने इबोला फैलाने वाले वायरस वीरिऑन की यह तस्वीर जारी की है. मानव शरीर का प्रतिरोधी तंत्र इस बीमारी से लड़ने में सक्षम है, बशर्ते शरीर के दूसरे अंग काम करते रहें. लेकिन इस वायरस का असर अंगों को निष्क्रिय कर देता है.
तस्वीर: Reutersइबोला का सबसे ज्यादा असर अफ्रीकी देश लाइबेरिया पर है, जहां लगभग 1000 लोग इस बीमारी की वजह से मारे गए. अपने एक रिश्तेदार की मौत के बाद यह महिला खुद को संभाल नहीं पा रही है. यहां भी एहतियात को लेकर भारी दिक्कतें हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaसबसे बड़ी मुश्किल लोगों का अंधविश्वास है. लाइबेरिया में बीमारी के लक्षण पता लगने के बाद भी वे डॉक्टरों की जगह इस तरह के नीम हकीमों के पास चले जाते हैं. इससे न सिर्फ इलाज प्रभावित होता है, बल्कि दूसरों को भी बीमारी फैलने का डर रहता है.
तस्वीर: DW/J. Kanubahलाइबेरिया के अलावा सियेरा लियोन, गिनी और नाइजीरिया में इबोला का सबसे ज्यादा प्रभाव है. वहां राहत कार्यों में लगे दूसरे देशों को भी इस बीमारी के संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ रहा है.
इस बीमारी के बाद सबसे पहले मरीज को दूसरे लोगों से अलग करना जरूरी है. इसके लिए भी सुरक्षित पोशाक पहनने जरूरी हैं, ताकि मरीज के संपर्क में आने वाले किसी दूसरे डॉक्टर या बचावकर्मी को इसका इंफेक्शन न लगे.
तस्वीर: picture-alliance/dpaसियेरा लियोन की राजधानी फ्रीटाउन में टेंट लगा कर इबोला के मरीजों का इलाज किया जा रहा है. लेकिन यहां सही तरीके नहीं अपनाए जा रहे हैं. एक ही जगह कई मरीजों का बिस्तर लगा है, जिससे बीमारी और फैलने का खतरा है.
तस्वीर: picture alliance/AP Photoजर्मनी के हैम्बर्ग शहर में यूनिवर्सिटी क्लीनिक में इबोला के इलाज का सही इंतजाम है. मरीजों को बिलकुल अलग रखा जाता है और डॉक्टर वहां तीन दरवाजों से गुजर कर पहुंचते हैं. इससे पहले वह बेहद सुरक्षित पोशाक पहनते हैं, ताकि संक्रमण न हो.
तस्वीर: picture alliance/dpaइबोला से दम तोड़ चुके मरीजों के अंतिम संस्कार की तैयारियों के बाद लाइबेरिया की एक नर्स को डिसइंफेक्ट करने के लिए स्प्रे किया जा रहा है. डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि मौत के बाद इबोला वायरस के फैलने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaइबोला फैलने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे आधुनिक दौर की सबसे गंभीर बीमारी का दर्जा दिया है.
तस्वीर: Reuters