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इब्राहिम की राजनीतिक मंच पर वापसी

महेश झा१५ अप्रैल २००८

मलेशिया में समलैंगिकता के आरोप में सज़ा काट चुके विपक्षी नेता अनवर इब्राहिम समर्थकों की विशाल रैली के साथ फिर से राजनीतिक मंच पर उतरे हैं.

तस्वीर: AP

बॉस से झगड़े की क़ीमत दस साल का वनवास हो सकता है, यह अनुभव है अनवर इब्राहिम का. तत्कालीन प्रधानमंत्री महाठीर मोहम्मद से जब उनकी अनबन हुई तो वे उप प्रधानमंत्री थे और सरकार का नेतृत्व करने के सपने देख रहे थे. लेकिन सपना धरा का धरा रह गया.

1998 में उन्हें सभी पदों से हटा दिया गया. उनपर भ्रष्टाचार और समलैंगिकता के आरोप लगे. अत्यंत राजनीति प्रेरित मुक़दमों में उन्हें पन्द्रह साल क़ैद की सज़ा सुनाई गई और राजनीतिक अधिकार छीन लिए गए. बाद में सर्वोच्च न्यायालय के एक फ़ैसले के कारण उन्हें 2004 में रिहा कर दिया गया, लेकिन राजनीतिक पद पर प्रतिबंध सोमवार तक जारी रहा. अब 60 वर्षीय इब्राहिम राजनीतिक ज़िम्मेदारी लेने में सक्षम हैं और अपनी महात्वाकांक्षा छुपा भी नहीं रहे हैं.

पिछले महीनों में इब्राहिम टुकड़े-टुकड़े में बंटे विपक्ष को एक साथ लाने में कामयाब रहे हैं. उनकी न्याय पार्टी ने चीनी मूल के प्रभुत्व वाली डेमोक्रैटिक एक्शन पार्टी डीएपी और इस्लामी पार्टी पीएएस के साथ मिलकर पीपुल्स फ़्रंट बनाया है.

काफ़ी समय तक धर्मनिरपेक्ष डीएपी और इस्लामी राज्य की मांग करने वाली पीएएस एक साथ बैठने को तैयार नहीं थे. जातीय मामलों के विशेषज्ञ प्रो. शमशुल बहरुद्दीन कहते हैं कि अनवर इब्राहिम के भरोसे का आधार विश्वसनीय आंकड़े और पिछले सप्ताहों में की गई सौदेबाज़ी हो सकती है.

सरकारी मोर्चे ने मार्च में हुए चुनावों में दशकों से चला आ रहा दो तिहाई बहुमत खो दिया था और 13 में से पांच प्रांतों में सत्ता भी चली गई थी. बढ़ते भ्रष्टाचार और जातीय तनाव के कारण प्रधानमंत्री अब्दुल्लाह बदावी पर इस्तीफ़े के लिए दबाव है.

अब समय ही बताएगा कि अनवर इब्राहिम मौक़े का फ़ायदा उठा सकते हैं या नहीं. फिलहाल विपक्ष ने महात्वाकांक्षी लक्ष्य रखे हैं, भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ संघर्ष और बदनाम आंतरिक सुरक्षा क़ानून की समाप्ति जिसके तहत लोगों को बिना मुक़दमे के सालों तक क़ैद रखा जा सकता है.

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