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'इमरजेंसी की याद दिलाता पीएम का बयान'

७ जून २०११

विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने योग गुरु रामदेव पर हुई पुलिसिया कार्रवाई पर प्रधानमंत्री के बयान को आड़े हाथ लिया है. उन्होंने कहा कि मनमोहन के बयान से इमरजेंसी की यादें ताजा हो गईं. अन्य पार्टियों के तेवर भी गरम हुए.

PATNA, OCT 25 (UNI):- Leader of opposition of Lok Sabha Sushma Sawaraj addressing press conference in party office. UNI PHOTO-60U
पीएम पर भड़कीं सुषमातस्वीर: UNI

ट्विटर पर सुषमा स्वराज ने कहा, "जब इमरजेंसी को लागू किया गया था, तब के शासकों ने इसी तरह की भाषा का इस्तेमाल किया था कि इमरजेंसी दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन इसके अलावा कोई चारा नहीं है." उन्होंने प्रधानमंत्री के बयान को लेकर अपनी निराशा जताते हुए पूछा, "क्या हम इमरजेंसी के दिनों तक वापस पहुंच चुके हैं?" नई दिल्ली के रामलीला मैदान में रामदेव पर हुई कार्रवाई के बारे में मनमोहन सिंह ने सोमवार को कहा कि कार्रवाई करना जरूरी हो गया क्योंकि इसके अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं थे.

नजरों से 'गिरे प्रधानमंत्री'

बीजेपी के प्रवक्ता प्रताप सिंह रूडी ने भी प्रधानमंत्री की आलोचना करते हुए कहा, "प्रधानमंत्री के बयान से बीजेपी की इस सोच की पुष्टि होती है कि आधी रात को मासूमों पर कार्रवाई प्रधानमंत्री और उनके दफ्तर सहित 10 जनपथ की सहमति के साथ की गई थी." रूडी ने कहा कि प्रधानमंत्री "हमेशा के लिए सबकी नजरों से गिर गए हैं." प्रधानमंत्री ने अपनी विश्वसनीयता को पूरी तरह गवां दिया है.

उधर सीपीएम पोलित ब्यूरो की सदस्य वृंदा करात ने भी प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने अपने बयान के लिए माफी भी नहीं मांगी और इससे उनकी सरकार को कोई खास फायदा नहीं हो रहा है. वह कहती हैं, "मुझे बुरा लग रहा है कि प्रधानमंत्री ने इस घटना के प्रति कोई खेद नहीं जताया. हमें अब भी नहीं पता कि 48 घंटों में ऐसी क्या बता हो गई. पहले तो वे रामदेव के लिए लाल कालीन बिछा रहे थे और फिर उन्होंने यह भयानक पुलिस हमला किया."

बीजेपी का सत्याग्रहतस्वीर: AP

दस प्रदर्शनकारी गिरफ्तार

इस बीच नई दिल्ली के रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के दौरान दस लोगों को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, "हमने कल रामलीला मैदान में हिंसा के सिलसिले में दस लोगों को गिरफ्तार किया है." इन लोगों पर दंगा करने और सार्वजनिक सुविधाओं को नष्ट करने के साथ साथ सरकारी अधिकारियों के काम में बाधा डालने के आरोप लगाए गए हैं. पुलिस के मुताबिक ये लोग ईंटें फेंक रहे थे और पुलिसकर्मियों पर पत्थर और गमलों की बौछार कर रहे थे. इनमें से पांच लोग हरियाणा से, दो नई दिल्ली से और बाकी राजस्थान, असम और मध्य प्रदेश से हैं.

पुलिस कार्रवाई पर मनमोहन सिंह ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन उनके पास और कोई उपाय नहीं था. उन्होंने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार को खत्म करने के मामले को गंभीरता से ले रही है, "लेकिन इसके हल के लिए कोई जादुई छड़ी नहीं है." प्रधानमंत्री के पद को लोकपाल के दायरे में लाने की बात पर सिंह ने कोई जवाब नहीं दिया और कहा कि यह सवाल संयुक्त लोकपाल मसौदा समिति को देखना होगा.

रिपोर्टः पीटीआई/एमजी

संपादनः ए कुमार

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