प्रधानमंत्री मोदी ने 25-26 जून को देश में आपातकाल लगाए जाने की 40वीं वर्षगांठ पर ट्विटर पर अपने विचार रखते हुए कहा, ''देश के सबसे काले दौर में से एक आपातकाल के 40 वर्ष पूरे हो गए हैं. उस समय के राजनीतिक नेतृत्व ने हमारे लोकतंत्र को कुचल दिया था.''
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा अपना चुनाव रद्द किए जाने के बाद इमरजेंसी लगा दी थी और सारे विपक्षी नेताओं को गिरप्तार कर लिया था. 1975 में संपूर्ण क्रांति का नारा देने वाले जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में लाखों लोग समाज में बदलाव लाने के लिए प्रदर्शन कर रहे थे. आंदोलन को कुचलने के लिए न सिर्फ नेताओं और कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारियां की गईं, इस दौरान सेंसरशिप के जरिए अखबारों पर भी ताले लगा दिये गये और रेडियो वही बोलता था जो सरकार चाहती थी.
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी ट्वीट में लिखा है, "हमें उन लाखों लोगों पर गर्व है, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया और जिनके प्रयासों ने यह सुनिश्चित किया कि हमारा लोकतांत्रिक तानाबाना सुरक्षित रहे...उदारवादी लोकतंत्र प्रगति की कुंजी है इसलिए इसके आदर्शों और मूल्यों को और मजबूत करने के लिए जो भी संभव हो हमें करना चाहिए.''
आपातकाल की 40वीं वर्षगांठ की पूर्वसंध्या पर केंद्र सरकार ने "लोकनायक" जेपी की स्मृति में बिहार में उनके जन्मस्थान पर एक राष्ट्रीय स्मारक स्थापित करने की घोषणा की. इसी साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं. इमरजेंसी की वर्षगांठ पर केंद्र में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने मोदी सरकार पर एक "अघोषित इमरजेंसी" लगाने का आरोप लगाया है. कांग्रेस की प्रवक्ता शोभा ओझा ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, "केन्द्र में कार्यरत सूट बूट की सरकार ने एक तरह की अघोषित इमरजेंसी लगा रखी है. उन्हीं की पार्टी के लाल कृष्ण आडवाणी जैसे नेता भी ऐसी ही राय और आशंकाएं जता चुके हैं. उन्हें भी नेतृत्व पर भरोसा नहीं कि देश में आपातकाल घोषित नहीं किया जाएगा." प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 की रात को भारत में आंतरिक इमरजेंसी लगाकर संविधान को निलंबित कर दिया था और आडवाणी समेत अनेक चोटी के नेताओं ने जेलों में 19 माह गुजारे थे.
आरआर/एमजे (वार्ता, पीटीआई)
भारत में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद लोकतांत्रिक संस्थाओं के कमजोर होने की शिकायतें होती रही हैं. अब बीजेपी नेता आडवाणी ने कहा है कि इमरजेंसी जैसी हालत पैदा होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता.
तस्वीर: Getty Images/AFP/N. Seelamभारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंदू संगठन आरएसएस के प्रचारक रहे हैं. प्रधानमंत्री बनने के बाद उनसे नेतृत्व की उम्मीद की जा रही है लेकिन हिंदुत्ववादी संगठनों के मुसलमानों के धर्मांतरण या "घर वापसी" जैसे विभिन्न अभियानों के खिलाफ उन्होंने कुछ नहीं कहा है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Hussainनरेंद्र मोदी की सरकार पर आरोप है कि उनके मंत्री राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के इशारे पर काम करते हैं और हर महत्वपूर्ण मामले में उससे सलाह लेते हैं. मोहन भागवत आरएसएस के नेता हैं और उनके संगठन का एक सदस्य भारतीय जनता पार्टी का संगठन सचिव है.
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तस्वीर: Dibyangshu Sarkar/AFP/Getty Imagesभ्रष्टाचार कांड में अयोग्य करार दिए जाने के बाद ऊंची अदालत में अपील जीतकर तमिल राजनीति की "अम्मा" जयललिता फिर से सत्ता में लौटी हैं. राजनीतिज्ञों की लोकप्रियता के कारण भारत राजनीतिक भ्रष्टाचार से निबटने का रास्ता नहीं ढूंढ पाया है.
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