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इम्प्लांट विवाद में 4 साल की जेल

१० दिसम्बर २०१३

फ्रांस की एक अदालत ने पीआईपी कंपनी के मालिक को चार साल की सजा सुनाई है. कंपनी ने ब्रेस्ट इम्प्लांट के लिए सस्ते सिलिकॉन का इस्तेमाल किया था, जिससे यूरोप में लाखों महिलाओं के लिए स्तन कैंसर का खतरा खड़ा हो गया.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

पॉली इम्प्लांट प्रोथीस (पीआईपी) का मामला दो साल पहले सामने आया. घटिया सिलिकॉन की बात ने यूरोप में सनसनी मचा दी और तब से यह सुर्खियों में है. अब अदालत ने कंपनी के मालिक जौं क्लोड मास को चार साल कैद की सजा सुनाई है और 75,000 यूरो (करीब 62 लाख रुपये) का जुर्माना भी लगाया है.

अदालत ने कहा है कि मास ने जानबूझ कर सालों तक ग्राहकों को धोखा दिया और जर्मनी की क्वॉलिटी कंट्रोल कंपनी टीयूवी को अंधेरे में रखा. जर्मनी की यह कंपनी यूरोपीय संघ में तकनीकी उपकरणों को सुरक्षा सर्टिफिकेट देने और मानक तय करने के लिए जिम्मेदार है.

अदालत में वकीलों ने 74 साल के मास को 'शैतान' कहा. लेकिन उन्होंने इस पर कोई प्रतिक्रया नहीं की. मास के कंपनी चलाने या किसी भी तरह से चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़ने पर जीवन भर के लिए रोक लगा दी गई है. साथ ही पीआईपी के चार और लोगों को भी सजा सुनाई गयी है. कंपनी के जीएम को तीन साल, क्वॉलिटी कंट्रोल और उत्पादन निदेशकों को दो दो साल और अनुसंधान निदेशक को डेढ़ साल की सजा हुई है.

जौं क्लोड मास ने माना है कि उन्होंने पैसा बचाने के लिए सस्ते माल का इस्तेमाल कियातस्वीर: Reuters

लाखों को कैंसर का खतरा

पीआईपी यूरोप में ब्रेस्ट इम्प्लांट्स बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनियों में गिनी जाती है. इस कंपनी के बनाए गए इम्प्लांट न केवल यूरोप में, बल्कि अमेरिका और अन्य देशों में भी भेजे जाते रहे. यह ब्रेस्ट इम्प्लांट की दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी हुआ करती थी. घटिया सिलिकॉन का शक तब हुआ, जब 2010 में इम्प्लांट के शरीर के अंदर टूट जाने के मामले सामने आने लगे. डॉक्टरों ने पाया कि सभी मामलों में इम्प्लांट एक ही कंपनी से मंगवाए गए थे.

शिकायतों को देखते हुए कंपनी को बंद कर दिया गया और 2011 में जब कंपनी के इम्प्लांट की जांच रिपोर्ट सामने आई तो पता चला कि ऐसे सिलिकॉन का इस्तेमाल किया गया, जो कंप्यूटर में लगता है.

रिपोर्टें बताती हैं कि पीआईपी ने 65 देशों में इम्प्लांट बेचे और तीन लाख महिलाओं ने इनका इस्तेमाल किया. इन सभी महिलाओं को अब स्तन कैंसर का खतरा है. हालांकि अलग अलग देशों में स्वास्थ्य अधिकारी इस बात का आश्वासन देते रहे हैं कि महिलाओं को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन तब से अब तक 7,500 महिलाएं इम्प्लांट के टूटने की शिकायत कर चुकी हैं और कम से कम 15,000 इन्हें निकलवा चुकी हैं.

जौं क्लोड मास ने माना है कि उन्होंने पैसा बचाने के लिए सस्ते माल का इस्तेमाल किया, पर साथ ही दलील दी है कि उन्हें सेहत पर होने वाले नुकसान का कोई अंदाजा नहीं था.

आईबी/एजेए (डीपीए/रॉयटर्स)

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