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इराक में नया आतंकी खतरा

११ जून २०१४

इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड लेवेंट नाम के संगठन ने इराक के दूसरे सबसे बड़े शहर मोसूल पर कब्जा करके सबको चौंका दिया है. अब यह पूरे मध्य पूर्व के लिए खतरा बनता जा रहा है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

अपने खूंखार तरीकों और खुदकुश हमलावरों की वजह से मशहूर हो चुका आईएसआईएल संगठन पहले से ही फालूजा शहर पर कब्जा किए बैठा है. यह सीरिया में भी राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ सबसे बड़ी ताकत बन कर उभरा है. मोसूल पर इसके कब्जे के बाद अमेरिका ने भी कहा कि इराक में स्थिति बेहद गंभीर है और चेतावनी दी कि "सुन्नी जिहादी ग्रुप पूरे इलाके के लिए खतरा" बन रहा है.

आईएसआईएल का नेतृत्व अबु बकर अल बगदादी नाम का शख्स कर रहा है. उसे सीरिया और इराक में हजारों लड़ाकों का समर्थन हासिल है. इनमें से कई लड़ाके "जिहाद" के नाम पर पश्चिमी देश से यहां आए हैं. कई हलकों में अनुमान लगाया जाने लगा है कि यह अल कायदा से भी खतरनाक संगठन बनता जा रहा है.

बड़ा है खतरा

पश्चिमी सरकारों को इस बात का भी भय है कि कहीं यह अल कायदा की तरह विदेशों में भी हमले न करने लगे. लेकिन फिलहाल उनकी चुनौती उन लड़ाकों को वापस भेजने की है, जो पश्चिमी देशों से काम काज छोड़ कर बगदादी और आईएसआईएल से प्रभावित होकर वहां लड़ने चले गए हैं.

विदेशी लड़ाकों पर भरोसातस्वीर: Radwan Mortada

इन्हीं लोगों में मेहदी नामूचे भी है. 29 साल के फ्रांसीसी युवक नामूचे पर आरोप है कि उसने बेल्जियम में यहूदी म्यूजियम के बाहर गोलीबारी की. वह एक साल तक सीरिया में आईएसआईएल के लिए लड़ाई लड़ चुका है.

न्यूयॉर्क की सूफान ग्रुप का अनुमान है कि करीब 12,000 विदेशी लड़ाके सीरिया जा चुके हैं, जिनमें से 3000 पश्चिमी लड़ाके हैं. लंदन में किंग्स कॉलेज के प्रोफेसर पीटर नॉयमन का कहना है कि आईएसआईएल से ये लोग विशेष तौर पर प्रभावित हो रहे हैं और जितने भी विदेशी लड़ाके सीरिया में हैं, उनमें से 80 फीसदी इस ग्रुप को ज्वाइन कर चुके हैं.

तेजी से फैलाव

आईएसआईएल गैरअरबी लोगों में भी पहचाना जाने लगा है क्योंकि यह दो अंग्रेजी की पत्रिकाएं निकालता है. यह अंग्रेजी में वीडियो भी जारी कर चुका है और वैसे वीडियो भी, जिसमें अंग्रेजी के सबटाइटिल हैं. इस ग्रुप का दावा है कि उसके पास ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और दूसरे यूरोपीय देशों के लड़ाके हैं. इसके अलावा वह अमेरिका और दूसरे अरब देशों के लड़ाके रखने का भी दावा करता है.

इस ग्रुप को पसंद करने वालों के लिए बगदादी अहम चेहरा है, जो लड़ाई के मोर्चों पर खुद शामिल होता है और लोगों को प्रभावित करने की कोशिश करता है. इस तरह वह अल कायदा प्रमुख आयमान अल जवाहिरी से अलग दिखता है. जवाहिरी छिप कर संगठन चलाता है.

ब्रिटिश खुफिया एजेंसी एमआई 6 में काम कर चुके रिचर्ड बैरेट का कहना है, "पिछले 10 साल या उससे भी ज्यादा समय से, जवाहिरी अफगानिस्तान पाकिस्तान सीमा पर छिपा है. और उसने कुछ वीडियो या संदेश जारी करने के अलावा ज्यादा कुछ किया नहीं है." बैरेट कहते हैं, "जबकि बगदादी ने गजब कर रखा है. वह शहरों पर कब्जा कर रहा है, वह कई लोगों को प्रोत्साहित कर रहा है. वह पूरे इराक और सीरिया में जबरदस्त खूनखराबा कर रहा है. अगर आपको एक्शन पसंद है, तो आप बगदादी को पसंद करेंगे."

मोसूल में युद्ध का एक दृश्यतस्वीर: Reuters

समझा जाता है कि 2003 में इराक पर अमेरिकी हमले के फौरन बाद बगदादी हरकत में आ गया था. अमेरिका ने अक्टूबर 2005 में दावा किया कि उन्होंने सीरिया और इराक की सीमा पर "अबु दुआ" को मार दिया है. अबु दुआ बगदादी का ही छद्म नाम है. लेकिन यह सूचना गलत साबित हुई.

कौन है बगदादी

अक्टूबर, 2011 में अमेरिका ने उसे आतंकवादी करार दिया और जानकारी दी गई कि वह इराकी शहर समारा में 1971 में पैदा हुआ है. इराक ने इस साल के शुरू में एक तस्वीर जारी की है और दावा किया है कि यह बगदादी की तस्वीर है. इसमें गंजा हो चला एक शख्स है, जिसने दाढ़ी रखी हुई है और सूट टाई पहन रखी है.

जिस वक्त बगदादी ने संगठन की बागडोर संभाली, उसके संगठन की हालत बहुत खराब थी. अमेरिकी और इराकी सेना का दबदबा था और उसे कबीलों से भी ज्यादा समर्थन नहीं मिल रहा था. लेकिन 2013 में वह उफान पर आया और सीरिया तक फैल गया.

बगदादी ने अल नुसरा नाम के दूसरे आतंकी संगठन के साथ काम करने का प्रस्ताव रखा लेकिन नुसरा वालों ने मना कर दिया. उधर जवाहिरी ने आईएसआईएल से कहा है कि वह इराक पर ध्यान दे और सीरिया को अल नुसरा के लिए छोड़ दे.

एजेए/एमजे (एएफपी)

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