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इराक में सरकार विरोधी प्रदर्शन क्यों नहीं रुक रहे हैं?

२९ अक्टूबर २०१९

शियाओं के पवित्र शहर करबला में प्रदर्शन कर रहे लोगों पर नकाबपोश हमलावरों ने अंधाधुंध फायरिंग कर कम से कम 18 लोगों की जान ले ली और सैकड़ों दूसरे लोगों को घायल कर दिया.

Irak Proteste in Kerbala
तस्वीर: Getty Images/AFP

इस महीने की शुरुआत से ही इराकी लोग सरकार में भ्रष्टाचार, सुविधाओं की कमी और दूसरी शिकायतों के लिए सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं. पिछले पांच दिनों से प्रदर्शन लगातार जारी है. अब तक इन प्रदर्शनों में कुल 240 लोगों की जान गई है. गोलीबारी में लोगों की हत्या इस आंदोलन के लिए एक अहम मोड़ साबित हो सकता है.

हमले आधी रात के बाद शुरू हुए और तुरंत यह साफ नहीं हो सका है कि इसके पीछे कौन है. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि नकाबपोश लोग दंगा रोकने वाली पुलिस के थे, स्पेशल फोर्स के लोग या फिर ईरान समर्थित मिलिशिया के सदस्य. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि प्रदर्शन वाली जगह पर इराकी सेना तैनात थी लेकिन जैसे ही हमलावरों ने आंसू गैस के गोले और गोलियां दागनी शुरू कीं, तो सेना को वहां से हटा लिया गया.

तस्वीर: Reuters/T. Al-Sudani

सुरक्षा बल भी इन प्रदर्शनों में शामिल लोगों पर कार्रवाई कर रहे हैं. ऐसे में, यह बता पाना मुश्किल है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जिसके बाद इन लोगों पर हमला किया गया. हालांकि कुछ चश्मदीदों का कहना है कि नकाब पहने कुछ लोगों ने प्रदर्शनकारियों के शिविर पर गोलियां बरसाईं. इस हमले में कितने लोगों की मौत हुई है, इस बारे में भी अलग अलग आंकड़े सामने आ रहे हैं.

प्रांतीय गवर्नर नसीफ अल खुताबी ने इस बात से इनकार किया है कि किसी प्रदर्शनकारी की मौत हुई है लेकिन इतना जरूरत कहा कि सुरक्षा बलों के कुछ लोग घायल हुए हैं. उनका यह भी कहना है कि इंटरनेट पर जो वीडियो दिखाए जा रहे हैं वो कहीं और के हैं, करबला के नहीं. इन वीडियो में हमले के बाद भारी गोलीबारी के बीच आग और लोगों को भागते देखा जा सकता है. मौके पर जो लोग थे, उनके बयान इस वीडियो से मेल नहीं खा रहे हैं.

किसने की गोलीबारी?

विरोध प्रदर्शन पूरे इराक में चल रहे है और पहले दिन से ही सुरक्षा बल आंसू गैस और गोलियों का इस्तेमाल कर रहे हैं. फिलहाल इन प्रदर्शनों का कोई नेता भी नजर नहीं आ रहा. मंगलवार को जिन 18 लोगों की मौत हुई है, उनके अलावा केवल करबला में ही 73 लोगों की अब तक मौत हुई है. बीते शुक्रवार से प्रदर्शनों का नया दौर शुरू हुआ. इससे पहले के प्रदर्शनों में 149 लोगों की जान गई है. मंगलवार को प्रदर्शनकारियों पर हमला करबला के एजुकेशन स्क्वेयर पर हुआ, जहां प्रदर्शनकारियों ने धरने पर बैठने के लिए शिविर बना रखा है.

तस्वीर: Getty Images/AFP

एक प्रदर्शनकारी ने बताया कि जब वे नारे लगा रहे थे तभी सेना की एक टुकड़ी आई. उन्होंने सैनिकों को फूल दिए और प्यार से बातचीत की. इसके बाद आंसू गैस के गोले चौराहे पर बिखरने लगे जो सैनिकों के पीछे की सड़कों और गलियों से दागे गए थे. इसके बाद सैनिक वहां से चले गए. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "हमने नकाब और काले कपड़े पहने लोगों को देखा, जो चौराहे की ओर गोलियां बरसा रहे थे. लोग गिर रहे थे और मेरे अगल बगल के भी कई लोग घायल हुए. हमने भागने की कोशिश की, लेकिन जब हम दूसरी तरफ गए, तो वहां चेकपोस्ट थे. वहां लोगों को पकड़ा गया और उनकी तलाशी ली गई. लोगों के मोबाइल फोन देखे गए कि वहां जो हुआ उसके बारे में कोई वीडियो है कि नहीं."

एक दूसरे शख्स ने बताया कि शिविर में सैकड़ों लोग थे, जब वहां से गुजरती एक कार से गोलीबारी शुरू कर दी गई. उसके बाद सादे कपड़ों में आए नकाबपोशों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की और टेंटों में आग लगा दी. इन दोनों लोगों ने अपना नाम बताने से इनकार कर दिया. उन्हें डर था कि उन पर भी कार्रवाई हो सकती है. इराकी सुरक्षा अधिकारियों ने भी मरने वालों के तादाद की पुष्टि की है, लेकिन नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर. उनका कहना है कि वो इस काम के लिए अधिकृत नहीं हैं.

करबला, बगदाद और दक्षिणी इराक के दूसरे शहरों में लगातार सरकार विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं और ये अकसर हिंसक हो जाते हैं. कभी सुरक्षा बल गोलियां चलाते हैं तो कभी प्रदर्शनकारी सरकारी इमारतों और ईरान समर्थित मिलिशिया के मुख्यालयों में आग लगा देते हैं. प्रदर्शन मुख्य रूप से शिया बहुल इलाकों में ज्यादा हो रहे हैं और उनके निशाने पर शिया बहुल सरकार, शिया राजनीतिक दल और मिलिशिया हैं. इनमें से कई को पड़ोसी ईरान का समर्थन है. 

बगदाद में प्रदर्शनतस्वीर: picture-alliance/AA/M. Sudani

ईरान में विदेश मंत्रालय ने प्रदर्शनों के दौरान ईरानी लोगों को इराक की यात्रा करने के विरुद्ध चेतावनी दी है और उनसे कहा है कि अगली सूचना तक वे अपनी यात्रा टाल दें. यह जानकारी सरकारी समाचार एजेंसी आईआरएनए ने दी है.

करबला शिया मुसलमानों का सबसे पवित्र धर्मस्थल है. पैगम्बर मुहम्मद के नवासे हुसैन की यहीं पर सातवीं सदी में युद्ध के दौरान मौत हुई थी. यह युद्ध शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच शुरुआती लड़ाइयों में एक थी. हुसैन की शहादत का शोक मनाने हर साल लाखो शिया इस शहर में आते है. करबला में और वहां के सुरक्षा बलों में बहुलता शिया समुदाय की ही है. पूरे इराक में भी करीब 70 फीसदी आबादी शिया है और 25 फीसदी सुन्नी. इनके अलावा कुर्द हैं और ईसाई, यजीदी समेत कुछ दूसरे अल्पसंख्यक.

क्यों नहीं रुक रहे प्रदर्शन

इराक में भारी पैमाने पर फैले भ्रष्टाचार, आर्थिक ठहराव और खराब सार्वजनिक सेवाओं को लेकर लोगों की नाराजगी बढ़ गई है. तेल का भारी भंडार होने के बाद भी देश में बेरोजगारी की दर बहुत ऊंची है और बुनियादी ढांचे का बुरा हाल है. अकसर गुल रहने वाली बिजली के कारण लोगों को निजी जेनरेटरों पर निर्भर रहना पड़ रहा है.

प्रदर्शन बढ़ता जा रहा है और लोग बड़े बदलावों की मांग कर रहे हैं, सिर्फ सरकार के इस्तीफे की नहीं. प्रधानमंत्री अब्देल अब्देल माहदी ने सरकार में बदलाव का वादा किया और सुधारों के लिए पैकेज का भी, लेकिन प्रदर्शन करने वाले लोग इसे पहले ही खारिज कर चुके हैं.

सोमवार को अधिकारियों ने आधी रात से सुबह छह बजे तक राजधानी बगदाद में कर्फ्यू लगाने का एलान कर दिया क्योंकि पूरे दक्षिणी इलाके में प्रदर्शन तेज हो गए. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि करीब 25000 लोग सोमवार को राजधानी में प्रदर्शन करने निकले थे. हजारों छात्र भी इराक के सरकार विरोधी प्रदर्शनों में शामिल हो गए हैं. छात्र यूनिवर्सिटियों और सेकेंडरी स्कूलों की क्लास छोड़ कर प्रदर्शनों में हिस्सा लेने के लिए निकल पड़े. हालांकि सरकार ने यूनिवर्सिटियों और स्कूलों में सामान्य रूप से पढ़ाई कराने का आदेश दिया था.

मरने वालों में 22 साल की एक मेडिकल छात्रा भी है, जो इन प्रदर्शनों के दौरान मरने वाली पहली महिला है. 17 दूसरे छात्र घायल भी हुए हैं.

एनआर/एके(एपी)

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