इलेक्ट्रिक कारों की बैटरी के लिए कहां से आए कच्चा माल
१२ जनवरी २०२३
कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा दिया जा रहा है. उसके लिए बैटरी जरूरी है लेकिन बैटरी बनाने के लिए लीथियम चाहिए. लेकिन यूरोपीय देश लीथियम का आयात करते हैं.
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लीथियम के बिना बिजली से चलने वाले वाहन चलाना संभव नहीं है. यूरोप में ई-वाहनों पर शोध तो हो रहा है, लेकिन लीथियम की लंबे समय तक उपलब्धता एक बड़ा सवाल है. यूरोप अपने पास पर्याप्त भंडार होने का बावजूद लैटिन अमेरिका से लीथियम आयात कर रहा है. हालांकि, वहां से लीथियम मंगवाना खर्चीला साबित हो रहा है. इनके अलावा, इसकी रीसाइक्लिंग में बहुत सी ऊर्जा और केमिकल खप रहे हैं. क्या लीथियम हासिल करने के कोई और रास्ते भी हैं?
यह जानने के लिए पहले लीथियम की कैमिस्ट्री समझनी होगी. प्रकृति में पाया जाने वाला लीथियम हमेशा शुद्धतम रूप में उपलब्ध नहीं होता. यह अन्य तत्वों से जुड़ा होता है. ऐसा इसमें इलेक्ट्रोनों की स्थिति के चलते होता है. इसमें एक इलेक्ट्रॉन की जगह खाली होती है जिसे यह केमिकल बॉन्ड बनाने के लिए आसानी से छोड़ देता है. लीथियम को इन पदार्थों से अलग कर पाना आमतौर पर एक जटिल प्रक्रिया है.
लीथियम निकालने का आसान किफायती तरीका
लेकिन लैटिन अमेरिका में ऐसा नहीं है. इस इलाके में दुनिया का आधे से ज्यादा लीथियम भंडार मौजूद है. यहां यह खारे पानी की झीलों की सफेद परत के नीचे नमक के साथ मिला होता है. इसे निकालना आसान है. झील से पानी निकालकर उसे वाष्पित होने दिया जाता है. इस तरह, पानी उड़ जाता है और लीथियम संपन्न पदार्थ बच जाता है. फिर लीथियम को अलग करने के लिए केमिकल इस्तेमाल होते हैं. इनमें से कुछ केमिकल जहरीले होते हैं.
इसके अलावा जब खारे पानी को झील से निकाला जाता है तो यह भूजल को भी खींच लेता है, जो यहां के शुष्क इलाके में बड़ी समस्या है. मीडियम रेंज वाली एक इलेक्ट्रिक कार की बैटरी बनाने के लिए तीन से 12 हजार लीटर पानी खर्च हो जाता है. जानकार मानते हैं कि भूजल का बेतरतीब दोहन इन लीथियम संपन्न इलाकों को रेगिस्तान में तबदील कर सकता है. यह हमारी बैटरियों के लिए बहुत बड़ी कीमत है.
पुर्तगाल पूरी कर सकता है यूरोप की मांग
पुर्तगाल के पास इतना लीथियम है कि पूरे यूरोप की मांग पूरी कर सके. बहरहाल, यूरोप में भी संरक्षणवादी लीथियम खनन के प्रभावों को लेकर चिंतित हैं. पुर्तगाल के उत्तरी इलाके में बसे बारोसो में जल्द ही बड़े पैमाने पर खनन शुरू हो जाएगा. लेकिन बारोसो इलाके के लोग अपनी जमीन को लेकर चिंतित हैं.
लीथियम आर्थिक तरक्की लाएगा या आपदा
05:10
स्थानीय किसान पाउलो पाइरेज कहते हैं, "खदान घरों से 200 मीटर की दूरी पर होगी. यह यहां पानी को बर्बाद कर देगी और मैदानों की ताजा घास-झाड़ियां धूल से अट जाएंगी, बर्बाद हो जाएंगी." किसानों को डर है कि उनकी जमीन पहले की तरह अच्छी नहीं रहेगी.
जर्मनी क्या योजना बना रहा है
जर्मनी यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के साथ ही मर्सिडीज, ऑडी, फोल्क्सवैगन और बीएमडब्ल्यू जैसी दिग्गज ऑटोमोबाइल कंपनियों का घर भी है. यह कंपनियां धीरे-धीरे बाजार में नए इलेक्ट्रिक मॉडल ला रही हैं. ऐसे में लीथियम की मांग को पूरा करने के लिए जर्मनी नए रास्ते तलाशने में जुटा है. एक अनुमान के मुताबिक, जर्मनी में 27 लाख टन लीथियम है. यह मात्रा पूरे यूरोप में सबसे ज्यादा है.
यूरोपीय संघ के बहुत से अन्य सदस्यों के पास भी लीथियम के भंडार हैं, लेकिन या तो खनन मुश्किल है या बहुत ज्यादा खर्चीला. ऐसे में वैज्ञानिक जियोथर्मल शक्ति का इस्तेमाल बिजली और लीथियम, दोनों के लिए करना चाहते हैं. जर्मनी के लीथियम भंडार राइन नदी के हजारों मीटर नीचे दबे हैं, खौलते पानी के सोतों में. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि लीथियम निकालने में जियोथर्मल बिजली काम आ सकती है.
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जर्मनी के लीथियम उत्पादन में कम उत्सर्जन
आइडिया ये है कि अत्यधिक गहराई में मौजूद गर्म पानी को हीटिंग और बिजली के लिए निकाला जाए. तभी लीथियम भी निकाल लिया जाए. वुलकान एनर्जी रिसोर्सेस के महानिदेशक डॉ. हॉर्स्ट क्रॉयटर कहते हैं, "यहां अपर राइन घाटी में जो लीथियम हम तैयार कर रहे हैं, वो पूरी तरह CO2 मुक्त है. ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका के लीथियम की तरह नहीं, जो लंबे ट्रांसपोर्ट रूट और उत्पादन तकनीक की वजह से बहुत सा CO2 उत्सर्जित करता है."
लेकिन क्या ये आर्थिक लिहाज से भी उपयुक्त है, यह देखना बाकी है. लीथियम को रीसाइकिल करना उसके आयात को घटाने का एक और तरीका है. और यूरोपीय संघ रीसाइक्लिंग की प्रक्रिया को धीरे धीरे तेज करना चाहता है. लेकिन रीसाइकल हुई बैटरियों से लीथियम निकालने के लिए बहुत सारी ऊर्जा चाहिए और केमिकल भी. फिलहाल यह तरीका ज्यादा कारगर नहीं है क्योंकि दाम घटने-बढ़ने के बावजूद दक्षिण अमेरिका से आ रहा लीथियम कोई खास महंगा नहीं है.
रिपोर्ट: कैर्स्टीन ग्रुंडर, आंके रीडेल
सफेद सोने के ढेर पर बैठे हैं, मगर गरीबी ने पीछा नहीं छोड़ा
जीवाश्म ईंधन से छुटकारा पाने की कोशिशों से दुनियाभर में लिथियम का उत्पादन और कीमतें आसमान छू रही हैं. मगर इसका फायदा आसपास के स्थानीय निवासियों को शायद ही मिला है. वे अब भी गरीब हैं और जिंदगी संवरने का इंतजार कर रहे हैं.
तस्वीर: Martina Silva/AFP
लिथियम त्रिकोण
यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक अब तक धरती पर 8.9 करोड़ टन लिथियम भंडार का पता चला है. इसमें से 56 फीसदी दक्षिण अमेरिकी त्रिकोण में मौजूद है. इस त्रिकोण में चिली, अर्जेंटीना और बोलिविया का इलाका शामिल है. इलेक्ट्रिक कारों की बैटरी में इस्तेमाल होने की वजह से लिथियम की मांग काफी ज्यादा बढ़ गयी है. अब इसे व्हाइट गोल्ड कहा जा रहा है.
तस्वीर: Alzar Raldes/AFP
लिथियम उत्पादन का असर
लिथियम उत्पादन के साथ ही इलाके के भूजल पर इसके असर की चिंता बढ़ रही है, क्योंकि जल संसाधनों की स्थिति यहां पहले ही बहुत खराब है. बहुत सारे इलाके सूखे की तरफ बढ़ रहे हैं और इसका संकेत गिरते पेड़ों और फ्लेमिंगों की मौत के रूप में दिख रहा है.
तस्वीर: Martina Silva/AFP
स्थानीय लोगों को नहीं मिला फायदा
इलाके में लिथियम भंडारों का फायदा यहां रहने वाले लोगों तक अब तक पहुंचता नहीं दिखा है. अर्जेंटीना के सालिनास ग्रांदेस में रहने वाली वेरोनिका चावेज कहती हैं, "न तो हम लिथियम खाते हैं और न बैटरियां. हम पानी जरूर पीते हैं." इलाके में पोस्टर भी लगा है, "नो टू लिथियम, येस टू वाटर एंड लाइफ"
तस्वीर: Alzar Raldes/AFP
हर दिन लाखों लीटर पानी का इस्तेमाल
धरती से लिथियम निकालने वाले प्लांटों में प्रतिदिन लाखों लीटर पानी इस्तेमाल होता है. लिथियम का एक बड़ा निर्यातक है ऑस्ट्रेलिया. ऑस्ट्रेलिया में लिथियम चट्टान से निकाला जाता है और इसकी प्रक्रिया काफी अलग है.
तस्वीर: Martina Silva/AFP
नमक से निकलता है लिथियम
दक्षिण अमेरिका में लिथियम नमक से निकाला जाता है. इसके लिए धातु वाले नमक के पानी को जमीन के नीचे मौजूद खारे पानी की झीलों से निकाला जाता है. इसके बाद इसका पानी वाष्प बनाकर उड़ा दिया जाता है और नीचे धातु बच जाती है.
तस्वीर: Martina Silva/AFP
एक चौथाई लिथियम चिली से आया
नवंबर 2020 में लिथियम की औसत कीमत 5,700 डॉलर प्रति टन थी, जो सितंबर 2022 में 60,500 प्रति टन तक जा पहुंची. लिथियम त्रिकोण का पश्चिमी हिस्सा चिली के अटाकामा डेजर्ट में है. 2021 में दुनियाभर में लिथियम के कुल उत्पादन का 26 फीसदी यहीं से आया. (तस्वीर सालिनास ग्रेंडेस की है)
तस्वीर: Martina Silva/AFP
लिथियम उत्पादन के लिए आदर्श जगह
चिली में लिथियम निकालने का काम 1984 में शुरू हुआ. कम बारिश और तेज सौर विकिरण के कारण यह आदर्श जगह है, जो वाष्पीकरण की प्रक्रिया को तेज कर देती है. हालांकि, चिली के तानाशाह शासक आगुस्तो पिनोचेट ने इस धातु को परमाणु बमों में इस्तेमाल की क्षमता के चलते रणनीतिक संसाधन घोषित कर दिया है.
तस्वीर: Oliver Llaneza Hesse/Construction Photography/Photosh/picture alliance
खुदाई की अनुमति नहीं
लिथियम की खुदाई के लिए कंपनियों को सरकार से मंजूरी नहीं मिल रही है. चिली की एसक्यूएम और अमेरिका की अल्बमार्ले को ही इसकी इजाजत है और उन्हें अपनी बिक्री का 40 फीसदी बतौर टैक्स देना होता है.
तस्वीर: Alzar Raldes/AFP
अर्जेंटीना का लिथियम भंडार
अर्जेंटीना में जुजुय और पड़ोसी राज्य साल्टा और काटामार्का के साल्ट लेक इसे दुनिया में लिथियम का दूसरा सबसे बड़ा भंडार बनाते हैं. महज 3 प्रतिशत टैक्स की दर और खुदाई पर कम पाबंदियों के कारण अर्जेंटीना सिर्फ दो खदानों की बदौलत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा लिथियम उत्पादक बन गया है.
तस्वीर: Martina Silva/AFP
सबसे आगे जाने का सपना
अमेरिका, चीन, फ्रांस, दक्षिण कोरिया के साथ ही कई स्थानीय कंपनियां भी यहां दर्जनों नई परियोजनाओं में जुटी हुई हैं. इनके दम पर अर्जेंटीना का कहना है कि वह 2030 तक लिथियम के उत्पादन में चिली को पीछे छोड़ देगा.
तस्वीर: Martina Silva/AFP
"मुझे लिथियम नहीं चाहिए"
अर्जेंटीना के लिथियम वाले इलाके में स्ट्रीट फूड बेचने वाली 47 साल की बारबरा क्विपिलडोर नाराजगी के साथ कहती हैं, "मैं चाहती हूं कि वे हमें अकेले शांति से रहने के लिए छोड़ दें. मुझे लिथियम नहीं चाहिए. मेरी चिंता मेरे बच्चों का भविष्य है."
तस्वीर: Alzar Raldes/AFP
इतना लिथियम, फिर भी आधे से ज्यादा गरीब
जुजुय के उत्तर में करीब 300 किलोमीटर दूर है बोलिविया का उयुनी. यहां पर धरती की किसी भी जगह से ज्यादा यूरेनियम है. पूरी दुनिया का लगभग एक चौथाई. यह इलाका चांदी और टिन के लिहाज से भी काफी अमीर है, लेकिन यहां के आधे से ज्यादा लोग गरीबी में जी रहे हैं.
तस्वीर: Martina Silva/AFP
संसाधनों का राष्ट्रीयकरण
बोलिविया के वामपंथी पूर्व प्रधानमंत्री इवो मोरालेस ने हाइड्रोकार्बन और लिथियम जैसे दूसरे संसाधनों का राष्ट्रीयकरण करके शपथ ली कि धातुओं की वैश्विक कीमत वह तय करेगा. 2018 में इसे निजी क्षेत्रों के लिए खोला गया, लेकिन राष्ट्रीयकरण खत्म नहीं किया गया. इसीलिये निजी कंपनियां खुदाई शुरू नहीं कर सकीं.
तस्वीर: Pablo Cozzaglio/AFP/Getty Images
आम लोगों का फायदा?
बोलिविया इस धातु से फायदा उठाना चाहता तो है, लेकिन अब तक यह काम शुरू नहीं हुआ है. अब ये तीनों देश बैटरी और इलेक्ट्रिक कार बनाने के बारे में सोच रहे हैं, ताकि प्राकृतिक संसाधन से आधुनिक उद्योग खड़े किये जा सकें. बड़ा सवाल यह है कि जब धातु की खुदाई शुरू होगी, तब क्या उसका फायदा स्थानीय लोगों को मिलेगा.