इस्राएली प्रधानमंत्री बेंन्यामिन नेतन्याहू अपनी पार्टी में नेता पद का चुनाव जीत गए हैं. इससे अगले राष्ट्रीय चुनावों में वह आत्मविश्वास के साथ उतरेंगे. इस साल दो बार हुए आम चुनावों के बाद वह सरकार बनाने में नाकाम रहे.
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राष्ट्रीय चुनावों में लगातार दो बार निर्णायक जीत हासिल ना कर पाने के कुछ ही महीनों बाद इस्राएल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतनयाहू का सितारा एक बार फिर चमका है. उनकी लिकुड पार्टी में नेतृत्व के लिए हुए चुनावों में नेतन्याहू ने बड़ी जीत हासिल की है.
लिकुड पार्टी की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार 26 दिसंबर को हुए इन चुनावों में नेतन्याहू को 72.5 प्रतिशत वोट मिले, जबकि उन्हें चुनौती देने वाले पूर्व गृह मंत्री गिडियन सार को सिर्फ 27.5 प्रतिशत वोट मिले. सार ने अपनी हार स्वीकार करते हुए ट्वीट किया कि अब वे आम चुनावों के लिए नेतन्याहू का ही समर्थन करेंगे "ताकि लिकुड की जीत सुनिश्चित हो."
सार की चुनौती से चार बार प्रधानमंत्री रह चुके नेतन्याहू की मुश्किलें बढ़ गई थीं. नवंबर में नेतन्याहू पर तीन अलग अलग मामलों में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. इसके अलावा वह दो बार सरकार बनाने के प्रयासों में विफल रह चुके हैं क्योंकि खंडित जनादेश की वजह से वह गठबंधन बनाने में नाकाम रहे. इस साल पहला आम चुनाव अप्रैल में हुआ था और दूसरा सितंबर में.
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पिछले चुनावों के बाद नेतन्याहू के प्रतिद्वंद्वी और मध्यमार्गी ब्लू एंड वाइट पार्टी के नेता बेनी गांत्स भी गठबंधन बनाने में नाकाम रहे. इसलिए राजनीतिक गतिरोध पैदा हो गया और देश एक और आम चुनाव की तरफ बढ़ गया. अगले आम चुनावों के लिए 2 मार्च को वोटिंग होगी.
नेतन्याहू ने अपने खिलाफ मुकदमों को साजिश बताया है जिसके उन्होंने मीडिया और इस्राएली वामपंथियों को जिम्मेदार बताया है. वैसे उनकी लोकप्रियता कम नहीं हुई है, लेकिन लिकुड के कुछ सदस्यों ने कहा है कि नए नेतृत्व का समय आ गया है.
नेतन्याहू ने सार की चुनौती को कम महत्व दिया था और अपने राष्ट्रीय सुरक्षा के रिकॉर्ड और अंतर्राष्टीय मंच पर अपनी छवि का हवाला दिया था. फिर से पार्टी का नेता बनने पर उन्होंने अपने समर्थकों को धन्यवाद दिया और ट्वीट किया कि वह "इस्राएल को अभूतपूर्व उपलब्धियों की ओर ले जाते रहेंगे."
12 फोटोग्राफरों को इस्राएल भेजा गया. मकसद था अपने कैमरे से इस्राएल की अलग-अलग तस्वीरें उतारना. अब उनकी अलग-अलग तस्वीरें और वीडियो बर्लिन के यहूदी म्यूजियम में रखी हुई हैं.
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एट हॉम (2013)
वेंडी ईवाल्ड बच्चों, किशोरों और वयस्कों के साथ पिछले चार दशकों से काम कर रही हैं. वो जिन लोगों की तस्वीरें लेती हैं, उनसे बात करती हैं. उनके सपनों और कहानियों को सुनती हैं. वो उन्हें अपना कैमरा दे देती हैं जिससे वे खुद तस्वीरें खींच सकें. बाद में वेंडी इन तस्वीरों को अपने हिसाब से जमा लेती हैं. ये फोटो अमल ने वेंडी के कैमरे से ली है.
तस्वीर: Wendy Ewald
पैलेस होटल (2009)
येरुशलम के बीच में ये निर्माणाधीन इमारत है पुराना पैलेस होटल. अरब लेबनानी दुनिया का एक लग्जरी होटल. एक निवेशक ने इसमें से अपना पैसा निकाल लिया. फोटोग्राफर फ्रेडरिक बैनेर संयोग से वहां पहुंचे और इसकी तस्वीरें लीं. यहां बस दिखने लायक कंगूरा बचा है. आज हर कोई प्रसिद्ध यहूदी होटल वाल्डोर्फ-एस्टोरिया की तारीफ करता है.
तस्वीर: Frédéric Brenner, Courtesy Howard Greenberg Gallery
एक अनाम तस्वीर
ब्रिटिश फोटोग्राफर निक वैपलिंगटन ने 2011 के वेनिस बिएनले में अपने देश का प्रतिनिधित्व किया. अपने प्रोजेक्ट 'दिस पैलेस' के लिए उन्होंने कई सारे इस्राएली नागरिकों से बात की जो अपने घर और अपार्टमेंट बना रहे हैं. वे अधिकृत क्षेत्र में अत्यधिक धार्मिक समाज में रहते हैं. निक कहते हैं कि वो जानना चाहते थे कि ये लोग यहां क्यों हैं और सारी अवधारणाओं को कैसे तोड़ रहे हैं.
तस्वीर: Nick Waplington
फील्ड ट्रिप (2009-2011)
कोलार 2010 में इस्राएल में रहे और वहां बहुत घूमे. अपने कैमरे से उन्होंने दिखाने की कोशिश की कि इस्राएलियों और फलीस्तीनियों के युद्ध का वहां के लोगों के सामान्य जीवन पर क्या असर पड़ रहा है. उन्होंने असमान्य बाधाओं और घेराबंदी के बीच बिताया जा रहा जीवन पाया. ये दर्शकों की कल्पनाशीलता पर निर्भर करता है कि वह इसे किस तरह देखते हैं.
तस्वीर: Martin Kollar
कॉन्टैक्ट शीट (2013)
फ्रेंच फोटोग्राफर गिलेस पेरेस ने पूर्वी येरुशलम में अपना अधिक समय बिताया. दिन के अलग-अलग समय में वे सिलवान बस्ती में घूमते थे जिसमें मुख्य रूप से फलिस्तीनी रहते हैं. उन्होंने चैकपॉइंट, तारबंदी, दीवारों, सरहद, जमीन और दुकानों वाली गलियों की तस्वीरें ली हैं. इन सब को मिलाकर उन्होंने एक बड़ी कॉन्टैक्ट शीट बनाई है.
तस्वीर: Gilles Peress
रूट 60, बेतलेहेम (2009)
जोसेफ ने 1950 के दशक में चेकोस्लोवाकिया में काम करना शुरू किया. बाद में उन्होंने पेरिस की प्रसिद्ध मैग्नम एजेंसी के लिए काम किया. उन्होंने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और अब भी वो एरियल फोटोग्राफी में दिलचस्पी रखते हैं. उनकी यह तस्वीर बेतलेहेम का ऊपर से नजारा दिखाती है.
तस्वीर: Josef Koudelka/Magnum Photos
रोजालिंड फॉक्स सोलोमॉन की तस्वीर (2011)
सोलोमॉन इस प्रॉजेक्ट में सबसे उम्रदराज हैं. वो 1930 में अमेरिका में पैदा हुई थीं. उन्होंने एक फोटोग्राफर के रूप में भारत, पेरू और दक्षिणी अमेरिका में भी काम किया है. सोलोमन 2010-11 में पांच महीने तक येरुशलम में रहीं. पूरे देश में बस से घूमीं, श्रद्धालुओं, पर्यटकों और शरणार्थियों की तस्वीरें लीं. उनके काम में खुशी और दुख दोनों के पल दिखते हैं.
तस्वीर: Rosalind Solomon
सैंट सबस मोनेस्ट्री (2009)
स्टीफन शोर की यह तस्वीर बाइबल की तरह पुरानी लगती है. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि इस्राएल और पश्चिमी घाट पर मेरे अंदर एक ऊर्जा ने प्रवेश किया. वहां पर कुछ अद्भुत तो हो रहा था. बेतलेहेम में सैंट सबस मोनेस्ट्री 483 में बनाई गई थी. यह फलस्तीनी इलाके में स्थित सबसे पुराना मठ है. और आज भी आबाद है.
तस्वीर: Stephen Shore
फ्रॉम दा डेसर्ट (2011)
फोटोग्राफर फजल शेख ने इस्राएल के नेगेव मरुस्थल के ऊपर अनगिनत उड़ानें भर दूर दराज के इलाकों में उजड़ चुकीं बेडौइन बस्तियों को खोजा. उन्होंने इस्राएल से व्यवस्थित रूप से निष्कासित होकर रेगिस्तान में आ चुकीं इन बस्तियों के अवशेषों की तस्वीरें लीं. वो अपनी इन तस्वीरों को दुनिया के विस्तार को समर्पित करते हैं.
तस्वीर: Fazal Sheikh
दर्शनीय संग्रहालय की इमारत
बर्लिन के यहूदी संग्रहालय को अमेरिकी आर्किटेक्ट डेनियल लिएबेस्काइंड ने एक नया रूप दे दिया. यहां पर लगने वाली स्थाई प्रदर्शनी, जिस पर फिर से काम हो रहा है, पूरी तरह से यहूदियों के जीवन पर आधारित है. फोटो प्रॉजेक्ट दिस प्लेस को तेल अवीव, प्राग और न्यूयॉर्क में पहले ही दिखाया जा चुका है. और अब 5 जनवरी 2020 तक यहूदी संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा.