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इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों को उनके देश भेज रहा है तुर्की

११ नवम्बर २०१९

तुर्की ने इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों को वापस भेजना शुरू कर दिया है. इसकी शुरुआत एक अमेरिकी और कई यूरोपीय नागरिकों को उनके देश वापस भेजने से हो रही है.

Erdogan während Pressekonferenz
तस्वीर: picture-alliance/AA/M. Cetinmuhurdar

तुर्की की सरकारी समाचार एजेंसी अनादोलु ने खबर दी है कि इस्लामिक स्टेट के एक जर्मन और एक डैनिश आतंकवादी को सोमवार की शाम तुर्की से प्रत्यर्पित किया जा रहा है. गृह मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल काताकली के हवाले से यह खबर आई है. तुर्की का कहना है कि सात और जर्मन नागरिकों को प्रत्यर्पण केंद्र में रखा गया है और काताकली के मुताबिक उन्हें गुरुवार को भेजा जाएगा.

जर्मन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने सोमवार को इस बात की पुष्टि की कि तुर्की इस्लामिक स्टेट के सात संदिग्ध लड़ाकों को उनके दो बच्चों के साथ जर्मनी भेज रहा है.

तुर्की के गृह मंत्री सुलेमान सोयलु ने पिछले हफ्ते चेतावनी दी थी कि तुर्की इस्लामिक स्टेट के विदेशी लड़ाकों को सोमवार से उनके घर भेजना शुरू करेगा. उन्होंने यह भी कहा कि इस कार्रवाई में यह नहीं देखा जाएगा कि उन लड़ाकों की नागरिकता वापस ले ली गई है या नहीं. हालांकि इसके लिए तैयारियों के बारे में और जानकारी नहीं दी गई.

तुर्की के गृह मंत्री सुलेमान सोयलुतस्वीर: picture-alliance/AP Photo/B. Ozbilici

तुर्की की योजना इस्लामिक स्टेट के 11 फ्रेंच लड़ाकों और दो आयरिश लड़ाकों को भी उनके देश वापस भेजने की है. इन्हें सीरिया में गिरफ्तार किया गया था. हालांकि यह गिरफ्तारी कब हुई थी इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है. तुर्की ने 9 अक्टूबर से सीरिया के उत्तर पूर्वी इलाके में हमला शुरू किया. इन लोगों की गिरफ्तारी इसके बाद हुई या पहले यह भी नहीं बताया गया है. तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोवान ने पिछले हफ्ते कहा था कि तुर्की के पास इस्लामिक स्टेट के 1149 लड़ाके हैं. एर्दोवान का कहना है, "हमारी जेलों में 737 विदेशी नागरिक हैं."

सोयलू ने इससे पहले कहा था कि इस्लामिक स्टेट के 287 समर्थकों को गिरफ्तार किया गया है इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. इन लोगों को तुर्की के ऑपरेशन पीस स्प्रिंग के दौरान गिरफ्तार किया गया. तुर्की का कहना है कि यह अभियान कुर्द पीपुल्स प्रोटेक्शन यूनिट यानी वाईपीजी और इस्लामिक स्टेट के खिलाफ है. इसका मकसद सीरिया से लगती तुर्की की सीमा को सुरक्षित करना और तुर्की में रह रहे लाखों शरणार्थियों की वापसी के लिए एक सेफ जोन बनाना है.

वाईपीजी, सीरियन डेमोक्रैटिक फोर्सेज (एसडीएफ) का नेतृत्व करता है जिसने अमेरिकी सेना के साथ सीरिया में इस्लामिक स्टेट से लड़ाई की. अमेरिका ने अब उसे तुर्की के हमले के सामने अकेला छोड़ दिया है. माना जाता है कि एसडीएफ के पास 10,000 से ज्यादा लड़ाके हैं.

सीरिया में तुर्की की सेनातस्वीर: picture-alliance/Xinhua

कई यूरोपीय देशों ने इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों, उनकी बीवियों और विधवाओं को अपने देश में वापस लेने से इनकार कर दिया है. ये लोग एसडीएफ की गिरफ्त में हैं. यूरोपीय देशों ने तुर्की के अभियान की यह कहते हुए आलोचना की है कि इससे फैली अशांति और अव्यवस्था का फायदा उठा कर इस्लामिक स्टेट के आतंकवादी कैद से फरार होकर अपने संगठन को मजबूत कर सकते हैं. डेनमार्क के न्याय मंत्रालय ने तुर्की से आतंकवादी को भेजे जाने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. इसी साल अक्टूबर में देश के सांसदों ने एक कानून को मंजूरी दी थी जिसके तहत इस्लामिक स्टेट के लिए इराक और सीरिया में लड़ने गए दोहरी नागरिकता वाले लोगों की नागरिकता को खत्म करने का प्रावधान है.

डेनमार्क के न्यायमंत्री निक हाएकेरुप ने शनिवार को कहा, "विदेशी लड़ाकों का डेनमार्क में स्वागत नहीं होगा उन्हें यहां से दूर ही रहना चाहिए." हालांकि उन्होंने माना कि उनके देश को इन लड़ाकों की वापसी के लिए तैयार रहना होगा. तुर्की के गृह मंत्री सोयलु ने यूरोपीय सहयोगियों की कड़ी आलोचना की है खासतौर से ब्रिटेन और नीदरलैंड्स की. इन देशों ने इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों की नागरिकता छीन ली है और उन्हें वापस लेने से इनकार कर रहे हैं. सोयलु ने कहा, "हम किसी और के दाएश सदस्यों के लिए होटल नहीं हैं." अरबी में इस्लामिक स्टेट को दाएश कहा जाता है.

एनआर/एमजे (डीपीए)

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