किसी पर कोई आरोप लगे और इकट्ठा भीड़ आरोपी को दोषी मानते हुए वहीं तुरत-फुरत में उसे सजा भी दे डाले, इसके उदाहरण लगातार सामने आ रहे हैं. ताजा मामला बांग्लादेश के नारायणगंज का है. बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदू समाज को खास तौर पर इस तरह के अत्याचारों का निशाना बनाए जाने की खबरें आती हैं. इस बार एक स्कूल के हेडमास्टर पर लगे आरोपों के बाद भीड़ जुटी और सबके सामने उनकी पिटाई कर दी गई. पीड़ित एक हिंदू शिक्षक श्यामल कांति भक्ता हैं, जिन पर इस्लाम के लिए अपमानजनक बात कहने का आरोप लगा.
बांग्लादेश के अखबारों में छपी खबरों के अनुसार स्कूल के आसपास के इलाके के लोगों को भड़काया गया था. भीड़ ने शिक्षक की पिटाई की. मौके पर मौजूद नारायणगंज के सांसद सलीम उस्मान ने उन्हें कान पकड़ कर उठक-बैठक भी करवाई. सांसद का कहना है कि उन्होंने शिक्षक को भीड़ के गुस्से से बचाने के लिए ऐसे माफी मंगवाई.
पीड़ित शिक्षक श्यामल कांति ने इस्लाम धर्म के खिलाफ कोई भी अपशब्द कहने के आरोप से इंकार किया है. उन्होंने स्कूल के प्रबंधन में शामिल कुछ लोगों पर उनसे बैर रखने की बात कहते हुए, इस मौके पर उनसे बदला निकालने का आरोप जड़ दिया.
इसी साल अप्रैल में भी बांग्लादेश के बागेरहाट के दो हिंदू शिक्षकों पर इस्लाम के बारे में अपमानजनक बातें कहने के आरोप लगे थे. उन्हें इस गलती के लिए छह महीने की जेल की सजा सुनाई गई.
जर्मनी की राजधानी बर्लिन में एक प्रोजेक्ट के जरिए तीन धर्मों को एक छत के नीचे एक किया जा रहा है. यहां मुसलमान, कैथोलिक और यहूदी धर्मावलम्बी एक ही जगह प्रार्थना कर सकेंगे. यह प्रार्थनागृह आम लोगों के चंदे से बनेगा.
तस्वीर: Lia Darjesबर्लिन में जल्द ही एक ऐसी जगह होगी जहां तीन धर्मों के लोग एक ही छत के नीचे प्रार्थना और ईश वंदना कर सकेंगे. यह प्रार्थना भवन तीन अब्राहमी धर्मों इस्लाम, ईसाइयत और यहूदियों को एक साथ लाएगा.
तस्वीर: KuehnMalvezziहाउस ऑफ वन के विचार को पास्टर ग्रेगोर होबैर्ग, रब्बी तोविया बेन-चोरिन और इमाम कादिर सांची अमली जामा पहना रहे हैं. कादिर सांची का कहना है कि तीनों धर्म अलग अलग रास्ता लेते हैं लेकिन लक्ष्य एक ही है.
तस्वीर: Lia Darjesजहां इस समय साझा प्रार्थना भवन बन रहा है वहां पहले सेंट पेट्री चर्च था जिसे शीतयुद्ध के दौरान नष्ट कर दिया गया. आर्किटेक्ट ब्यूरो कुइन मालवेजी ने हाउस ऑफ वन बनाने के लिए चर्च के फाउंडेशन का इस्तेमाल किया है.
तस्वीर: Michel Koczyशुरू में कोई मुस्लिम संगठन इस प्रोजेक्ट में शामिल नहीं होना चाहता था. बाद में तुर्की के मॉडरेट मुसलमानों का संगठन एफआईडी राजी हो गया. उन्हें दूसरे इस्लामी संगठनों के उपहास का निशाना बनना पड़ा.
तस्वीर: KuehnMalvezziइस प्रोजेक्ट को नियमित रूप से आलोचना का निशाना बनाया गया है. कैथोलिक गिरजे के प्रमुख प्रतिनिधि मार्टिन मोजेबाख को शिकायत है कि इमारत की वास्तुकला इसकी धार्मिकता का प्रतिनिधित्व नहीं करती.
तस्वीर: Lia Darjesहाउस ऑफ वन प्रोजेक्ट के संचालक इसके विकास में आम लोगों की भूमिका के महत्व से वाकिफ हैं. इसलिए वे चंदे पर भरोसा कर रहे हैं. इमारत बनाने में 43.5 लाख ईंटें लगेंगी. हर कोई इन्हें खरीद सकता है.
तस्वीर: KuehnMalvezziइस प्रोजेक्ट के कर्णधारों की उम्मीद है कि नई इमारत तीनों धर्मों के लोगों के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान का केंद्र बनेगी और इसकी वजह से पारस्परिक आदर पैदा होगा. पड़ोसी के बारे में जानना उन्हें करीब लाता है.
तस्वीर: Lia Darjes ब्रिटिश राज के समय से चले आ रहे एक कानून के मुताबिक मुस्लिम-बहुल बांग्लादेश में किसी भी धर्म का अपमान करना दंडनीय अपराध है. इसका मकसद धार्मिक समुदायों के बीच तनाव और संघर्ष को टालना था. आज इसका इस्तेमाल गलत आरोप जड़कर फैरी न्याय करने और सजा देने के लिए किया जाना आम है.
धर्मनिरपेक्षता और इस्लामी शासन चाहने वाले दो चाकों के बीच पिसते बांग्लादेश में नास्तिक लेखकों, ब्लॉगरों, अल्पसंख्यकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के ऊपर लगातार जानलेवा हमलों की खबरें आती रही हैं. अंतरराष्ट्रीय समुदाय बांग्लादेश में अभिव्यक्ति की आजादी और नागरिकों को सुरक्षा देने की अपील करता रहा है.
दुनिया के तमाम धर्मों में भोजन और उपवास से जुड़ी अलग अलग मान्यताएं हैं. हिंदुओं का व्रत, मुसलमानों का रोजा, ईसाइयों और यहूदियों का उपवास तो बौद्ध धर्म में खाने में भी संतुलन का अभ्यास. मकसद एक - शारीरिक और मानसिक शुद्धि.
तस्वीर: S.Kodikara/AFP/Getty Imagesएश वेडनसडे के साथ ही कार्निवाल खत्म होता है और कैथोलिक ईसाइयों के लिए उपवास के समय की शुरुआत होती है. ईस्टर तक कुल 46 दिन. राख का यह क्रॉस नश्वरता की याद दिलाता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaकई धर्मों में उपवास का नियम होता है. कोशिश होती है कि स्वादिष्ट खाने से मन हटा कर भगवान में लगाया जाए और उसके नजदीक जाया जाए. ईसाई धर्म में उपवास ईसा मसीह के उपवास की याद दिलाता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaइस्लाम में रमजान के दौरान उपवास किए जाते हैं. इस दौरान इस्लाम को मानने वाले सूरज निकलने के बाद और डूबने से पहले कुछ नहीं खा, पी सकते. यौन संबंधों पर भी रोक होती है. इस उपवास का उद्देश्य होता है अल्लाह के नजदीक पहुंचना.
तस्वीर: picture-alliance/dpaहिंदू धर्म को मानने वाले लोगों में व्रत की लंबी परंपरा है. यह कोई वार हो सकता है, भगवान हो सकता है या फिर एकादशी या चतुर्थी. लोग अक्सर उपवास के लिए बनाए जाने वाले खास पदार्थ खाते हैं... जैसे साबुदाना, आलू की सब्जी या फिर दही... कड़े उपवास भी नवरात्री के दौरान किए जाते हैं.
तस्वीर: Reutersयहूदी लोग भी उपवास करते हैं. योम किपुर उत्सव के दौरान खाने, पीने और धूम्रपान पर भी रोक है. नहाना भी नहीं और शारीरिक संबंध भी नहीं. काम भी नहीं करना. इसके अलावा यहूदी इतिहास को याद दिलाने वाले उपवास के दिन भी होते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaजर्मनी में उपवास अब लोग बिना धार्मिक कारण से भी करने लगे हैं. वह स्वास्थ्य, फिटनेस के लिए उपवास करते हैं. कुछ अल्कोहल छोड़ते हैं, तो कुछ मिठाई या मांसाहार. जबकि कुछ लोग मोबाइल, टीवी या कंप्यूटर से परहेज करने की कोशिश करते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaकैथोलिक संगठन मिसेरेओर उपवास के दौरान दान का अभियान चलाता है. इस बार अभियान का टाइटल है हम भूख से तंग आ गए हैं. इसके जरिए दुनिया भर में भूखमरी से जूझ रहे 87 लाख लोगों के लिए धन इकट्ठा किया जाएगा.
तस्वीर: picture-alliance/dpaस्वास्थ्य के लिए उपवास यानी कम से कम कैलोरी वाला भोजन लेना. चाहे उसमें सिर्फ जूस हो, छाछ हो या कुछ और. लेकिन इस तरह के उपवास के लिए काफी किताबें बाजार में हैं
तस्वीर: picture-alliance/dpaउपवास के दौरान तरह तरह के ऑफर होते हैं. कुछ होटलों में खास पोषक भोजन बनाया जाता है तो कहीं योग या पेंटिंग के कोर्स होते हैं. शारीरिक शुद्धि के साथ आत्मा की शुद्धि पर भी जोर.
तस्वीर: Fotolia/Robert Kneschkeबौद्ध धर्म में न तो भूखा रहना चाहिए और न ही बहुत खाना चाहिए. पर कम खाना ध्यान के लिए अच्छा.
तस्वीर: S.Kodikara/AFP/Getty Images