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इस्लाम में टैटू जायज या नहीं

२७ नवम्बर २०१०

टैटू को लेकर दीवाने नौजवान आप को दुनिया के हर हिस्से में मिल जाएंगे. अब भले ही उनका धर्म कोई भी हो. लेकिन क्या इस्लाम में टैटू की इजाजत है और अगर नहीं तो फिर मुस्लिम युवा क्यों टैटू बनवाते हैं.

तस्वीर: Emir Numanobvic

शरीर पर अपना नाम या कोई आकृति गुदवाने की परंपरा भारत समेत कई देशों में काफी समय से रही है. लेकिन मॉडर्न जमाने में यह चलन टैटू के नाम से खूब चल रहा है और फैशन स्टेटमेंट का हिस्सा बन गया है. खास कर 1990 के दशक में शुरू हुए इस चलन से मुसलमान युवा भी अछूते नहीं हैं. लेकिन क्या इस्लाम में टैटू की इजाजत है. चलिए जानने की कोशिश करते हैं.

25 साल के चेम्क डैनिसमन मैनेजमेंट की पढ़ाई कर रहे हैं और वह एक जर्मन मुसलमान हैं. साथ ही टैटू के शौकीन भी. वह कहते हैं, "यह मेरा सबसे पहला टैटू है. मेरी बाईं बाह पर मेरा नाम लिखा है. मेरे बाएं कंधे पर दुआ में उठे हाथ बने हैं और हाथों को बीच लिखा है, मेरा फैसला सिर्फ अल्लाह कर सकता है. इसके बाद मैंने अपनी कमर पर अलग अलग टैटू बनवाए हैं जिनसे मेरी कमर पूरी तरह भर चुकी है."

तस्वीर: AP

चुकानी पड़ी कीमत

चेम्क को अपने ताकतवर शरीर और उस पर बनी हुई तस्वीरों पर गर्व है. आज से चार साल पहले उन्होंने पहला टैटू बनवाया. आज इन तस्वीरों की तादाद पांच हो चुकी है. लेकिन इस शौक की उन्हें अच्छी खासी कीमत चुकानी पड़ी है. वह बताते हैं, "इन टैटूज की वजह से अपने पिता के साथ मेरे संबंध खराब हो गए. हम एक दूसरे से कभी कभार ही मिलते हैं. एक दूसरे की इज्जत करते हैं, लेकिन हमारे संबंध पहले जैसे नहीं रहे. इसके बावजूद मैं अपने रास्ते पर चल रहा हूं और वह अपने रास्ते पर. हमें एक दूसरे की राय का सम्मान करना चाहिए."

चेम्क एक मुसलमान परिवार से हैं. उनके पिता बेहद धार्मिक प्रवृत्ति के हैं और बेटे के शरीर पर टैटू उन्हें कतई पसंद नहीं हैं. वह मानते हैं कि इस्लाम में जिस्म पर तस्वीरें गुदवाने की मनाही है. इंसान को अपना शरीर वैसा ही रखना चाहिए जैसा अल्लाह ने दिया है. शरीर को न तो बदलना चाहिए और न ही उसे तकलीफ देनी चाहिए. चेम्क इन बातों का सम्मान करते हैं. वह कहते हैं, "मैं समझ सकता हूं, जब कोई यह कहता है कि तुम्हारा शरीर एक अमानत है और तुम्हें एक दिन इसे वापस करना है. अगर धर्म के हिसाब से देखा जाए तो यह सब कुछ ठीक है."

तस्वीर: AP

तो टैटू गुनाह है

गुदे हुए लोगों की मौत के बाद मस्जिद में उनके शव की सफाई में आनाकानी की जाती है. बहुतों का मानना है कि अगर जिस्म पर टैटू हो तो वजू का कोई फायदा नहीं. चेम्क के दोस्त अदनान कोएजे की राय इससे बिल्कुल अलग है. वह भी मुसलमान हैं और टैटू के शौकीन भी. 28 साल के अदनान ने इसके बारे में कहा काफी सोच विचार किया और फिर वह एक समझौते पर पहुंचे. वह कहते हैं, "मेरी बाईं बाह पर सिर्फ एक टैटू है... इबादत करते हुए हाथ.. उनसे मुझे हमेशा याद आती है कि दुनिया की हालत इतनी खराब है लेकिन मैं बेहतर हूं और इसलिए मैं मुसलमान हूं."

इलाही उस्मानी भी एक मुलसमान युवा हैं लेकिन टैटू के खिलाफ है. वह कहते हैं, "मेरे धर्म में टैटू बनवाना बिल्कुल मना है. मेरे परिवार वालों ने पहले दिन ही मुझे टैटू बनवाने से मना कर दिया और फिर मैंने भी ऐसा कुछ नहीं किया. न मेरे शरीर पर किसी तरह की कोई आकृति है और न ही मेरे बच्चों के शरीर पर होगी."

लेकिन चेम्क डैनिसमन अपनी बात पर कायम हैं. उनका कहना है कि इस्लाम में शरीर पर कोई आकृति बनवाना गुनाह है लेकिन मरने के बाद उन्हें जन्नत मिलेगी या जहन्नुम, इसका फैसला कई दूसरी चीजों की बुनियाद पर होगा.

रिपोर्टः डीडब्ल्यू/ए कुमार

संपादनः एन रंजन

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