बाहर बंदूकें तैनात थीं और भीतर धीरे धीरे भूख जिंदगी को निवाला बना रही थी. चार साल तक भूख से लड़ने के बाद मदद आखिरकार दराया के लोगों तक पहुंच ही गई.
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2012 से भूख से लड़ रहे दराया के लोगों ने जब खाने से लदे ट्रक आते देखे तो कइयों के आंसू छलक पड़े. बहुतों को पहली नजर में यकीन ही नहीं हुआ. निराश होकर मौत का इंतजार करने वाले भी दौड़े दौड़े ट्रकों के पास पहुंच गए. लोगों की गुजारिश देखकर राहत सामग्री बांटने वाले तक पिघल गए. सीरिया की राजधानी दमिश्क के पास बसे दराया शहर की सुबह कुछ ऐसी थी.
सीरियन अरब रेड क्रिसेंट के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर उसने मेडिकल सप्लाई और खाना दराया तक पहुंचाया है. राहत सामग्री से भरे ट्रक गुरुवार आधी रात दराया पहुंचे. काफिले में कुल नौ ट्रक हैं.
संयुक्त राष्ट्र में सीरिया के दूत स्टाफान डे मिस्तुरा के मुताबिक सीरिया सरकार ने राहत सामग्री को अंदर भेजने की इजाजत दी, जिसके बाद ही यह संभव हो सका. 4,000 से 8,000 की आबादी वाले दराया को 2012 में सीज किया गया. असल में 2011 के अरब वसंत का असर सीरिया पर भी पड़ा. वहां भी राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुए. इसी दौरान दराया के लोगों ने सेना को खदेड़ दिया.
बस, तब से ही दराया को सीज किया गया था. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक सीरिया के 19 इलाके अब भी सीज हैं. इनमें करीब 4 लाख 92 हजार 000 लोग रहते हैं. 16 इलाकों को विद्रोहियों या आतंकवादियों ने सीज किया है, वहीं तीन इलाकों को सरकार ने सीज किया है. दोनों पक्ष सीज किये गए इलाकों के लोगों को भूख से मारने की रणनीति अपना रहे हैं.
इस बीच सीरिया में सशस्त्र संघर्ष जारी है. पहले जिन्हें विद्रोही माना जा रहा था, बाद में पता चला कि उनमें से कई इस्लामिक स्टेट या दूसरे आतंकी संगठनों के लड़ाके हैं. अब कुर्द उग्रवादी और सीरियाई सेना मिलकर आतंकवादियों का सामना कर रहे हैं. अमेरिका और रूस की मदद से ये लोग इस्लामिक स्टेट के नियंत्रण में आए इलाकों को फिर से हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं.
भुखमरी में लिपटा शहर मदाया
तीन महीने तक भुखमरी से जूझने के बाद आखिरकार सीरियाई शहर मदाया को मानवीय मदद पहुंचनी शुरू हुई. सरकार समर्थित सेना से घिरे मदाया की बदहाली बयान करती तस्वीरें.
तस्वीर: Aktivisten aus Madaja
शहर में फंसे लोग
सीरिया में जारी गृहयुद्ध के चलते विद्रोहियों और आईएस कट्टरपंथियों ने मदाया पर कब्जा कर रखा है. शहर की सीमा को सरकार समर्थित सेना ने घेरा हुआ है. मदाया तक खाने पीने की सामग्री के नहीं पहुंच पाने के कारण लोग घास और पत्तियां तक खाने को मजबूर हो गए.
तस्वीर: Aktivisten aus Madaja
पानी और नमक
मदाया से आई तस्वीरों में लोगों की बदहाली साफ झलकती है. कई लोग कचरे में से खाने पीने की चीजें ढूंढने को मजबूर हो गए. माओं ने दूध की जगह बच्चों को पानी में नमक घोलकर पिलाया.
तस्वीर: Aktivisten aus Madaja
भीषण भुखमरी
5 जनवरी 2016 के एक वीडियो से ली गई इस बच्चे की तस्वीर इसकी भूख और प्यास को खुलकर बयान करती है. ठंड बढ़ जाने के कारण परेशानियां और बढ़ गई हैं.
तस्वीर: Reuters
बच्चों को कष्ट
बड़ों के युद्ध में अक्सर बच्चे, बूढ़े और महिलाएं शिकार बनने हैं. सितंबर से कोई बाहरी मदद ना पहुंच पाने के कारण मदाया में बुरा हाल रहा. यह तस्वीर फ्रांस में सीरियाई विद्रोहियों से उपलब्ध हुई. डीडब्ल्यू ने इनकी पुष्टि नहीं की है.
तस्वीर: Aktivisten aus Madaja
मानवीय त्रासदी
सीरिया में घास की रोटी खाने को मजबूर हुए लोगों की तस्वीरें देखकर दुनिया भर में रोष की लहर है. अंतरराष्ट्रीय समूह इसे मानवीय तबाही का दर्जा दे रहे हैं.
तस्वीर: Aktivisten aus Madaja
विरोध की लहर
यह तस्वीर सीरियाई शहर इदलिब की है जहां लोग मदाया मदद पहुंचाने की गुहार के साथ ही ग्रह युद्ध के संकट के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AA/F. Faham
मदद कैसे पहुंचती
मदाया से निकल भागने की कोशिश में कई लोग गोलियों का शिकार हुए और मारे गए. सरकार समर्थित सेना ने जुलाई से शहर के चारों तरफ बाड़ लगा रखी है. सीमाएं बंद होने के कारण शहर में मदद का पहुंचना मुश्किल हो गया.
तस्वीर: picture alliance/dpa/P. Krzysiek
पहुंची मदद
सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद से अनुमति मिलने के बाद वर्ल्ड फूड प्रोग्राम, रेड क्रॉस और रेड क्रेसेंट की तरफ से मदद पहुंचनी शुरू हुई.
तस्वीर: Getty Images/AFP/L. Beshara
अन्य शहरों को मदद
सिर्फ मदाया ही नहीं सीरिया के अन्य शहरों फुआ और कफराया में भी भोजन और दवाओं की सख्त जरूरत है. सालों से जारी ग्रह युद्ध ने सीरिया को तबाह करके रख दिया है.