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इस बार मैजिक बॉल नहीं है भज्जी के पास

१८ फ़रवरी २०११

हरभजन सिंह एक ऐसे खिलाड़ी हैं जो अपना दिल कलाइयों पर रखते हैं और यही बात उनकी गेंदबाजी की धार को पैना बना देती है. दिल से की गई भज्जी की यह गेंदबाजी उनकी टीम के लिए जादू का सा काम करती है.

भारत को चैंपयिन बनाने की कोशिशतस्वीर: APImages

लेकिन हरभजन सिंह के पास इस बार कोई जादुई गेंद नहीं है. अपना तीसरा वर्ल्ड कप खेल रहे हरभजन सिंह कहते हैं कि वह उनका मकसद हालात के मुताबिक गेंदबाजी करना है. उन्होंने कहा, "यह मेरा तीसरा वर्ल्ड कप है और अब मैं ज्यादा अनुभवी हूं. मेरा मकसद विकेट लेना है और इसके लिए मैं हालात के मुताबिक गेंदबाजी करूंगा."

18 साल की उम्र में अपना करियर शुरू करने वाले हरभजन सिंह पिछले 12 साल में एक स्टार बन चुके हैं और भारतीय टीम का एक अहम हिस्सा भी. 217 वनडे मैचों में 246 विकेट ले चुके टर्बोनेटर इस वर्ल्ड कप में भी भारत के लिए तुरुप का पत्ता माने जा रहे हैं.

हरभजन अकसर प्रयोग करते हैं. भज्जी का दूसरा नाम की गेंद से उन्होंने कई बार विरोधी टीमों को मुश्किल में डाला है. लेकिन इस बार वह किसी तरह का प्रयोग नहीं करेंगे. उन्होंने कहा, "ऐसी कोई नई बॉल नहीं है जिसके साथ मैं प्रयोग करूंगा. मेरे पास कोई मैजिक बॉल भी नहीं है."

ऐसा नहीं है कि भज्जी के प्रयोग करने की क्षमता कम हो गई है या वह रिस्क नहीं लेना चाहते. लेकिन उनके पास प्रयोग न करने के लिए भी तर्क हैं. वह बताते हैं, "जैसे जैसे टूर्नामेंट आगे बढ़ेगा, विकेट धीमा होता जाएगा. ऐसे में आपको अपनी गेंदबाजी में और ज्यादा विविधता लानी होगी."

दक्षिण एशिया में हो रहे वर्ल्ड कप को स्पिन गेंदबाजों का टूर्नामेंट माना जा रहा है. और हरभजन सिंह इस बात को साबित करके अपने देश को चैंपियन बनाने के लिए कुछ भी कर जाने को तैयार हैं. भारत को अपना पहला मैच शनिवार को बांग्लादेश के खिलाफ खेलना है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए कुमार

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